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आँखों की गहराइयों में बसी वो ज्योत,
Sahil Ahmad
साहिल पर खड़े खड़े हमने शाम कर दी।
Sahil Ahmad
आरजू ओ का कारवां गुजरा।
Sahil Ahmad
यदि है कोई परे समय से तो वो तो केवल प्यार है " रवि " समय की रफ्तार मेँ हर कोई गिरफ्तार है
Sahil Ahmad
डुबो दे अपनी कश्ती को किनारा ढूंढने वाले
Sahil Ahmad
भले दिनों की बात
Sahil Ahmad
Shayari
Sahil Ahmad
जब गेंद बोलती है, धरती हिलती है, मोहम्मद शमी का जादू, बयां क
Sahil Ahmad
बनारस की ढलती शाम,
Sahil Ahmad
नवरात्रि के इस पावन मौके पर, मां दुर्गा के आगमन का खुशियों स
Sahil Ahmad
बनारस के घाटों पर रंग है चढ़ा,
Sahil Ahmad
नवरात्रि के इस पवित्र त्योहार में,
Sahil Ahmad
मैदान-ए-जंग में तेज तलवार है मुसलमान,
Sahil Ahmad
साहिल के समंदर दरिया मौज,
Sahil Ahmad
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ग़ज़ल की ये क़िताब,
Sahil Ahmad
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ये गजल बेदर्द,
Sahil Ahmad
इस दरिया के पानी में जब मिला,
Sahil Ahmad
इस दरिया के पानी में जब मिला,
Sahil Ahmad
ह्रदय जब स्वच्छता से ओतप्रोत होगा।
Sahil Ahmad
तुम गंगा की अल्हड़ धारा
Sahil Ahmad
Banaras
Sahil Ahmad
पापा का संघर्ष, वीरता का प्रतीक,
Sahil Ahmad
साहिल समंदर के तट पर खड़ी हूँ,
Sahil Ahmad
बनारस की धारों में बसी एक ख़ुशबू है,
Sahil Ahmad
ज़िन्दगी के सफर में राहों का मिलना निरंतर,
Sahil Ahmad
मैं साहिल पर पड़ा रहा
Sahil Ahmad