रमेश कुमार सिंह 'रुद्र' 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid रमेश कुमार सिंह 'रुद्र' 13 Nov 2018 · 1 min read माँ माँ माँ की सेवा करना ही सबसे बड़ा पुण्य का काम है इन्हीं के आचल तले ही अब शीतलता का छांव है माँ के पास जो सुख भोगे कहीं नहीं... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 19 96 1k Share रमेश कुमार सिंह 'रुद्र' 17 Dec 2020 · 1 min read कोरोना रुप विकराल कर,महामारी आ गई है, दिशाओं में अपना वो,तांडव मचा रही। आम-जन-खास-तक,नहीं पहचान रही, अपनी ऊंगली पर,सभी को नचा रही। खांसी साथ सर्दी लिए,दर्द व बुखार लिए, संक्रमित रुप... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 11 40 982 Share रमेश कुमार सिंह 'रुद्र' 11 Feb 2018 · 1 min read मनहरण घनाक्षरी शब्द और भाव लिए,साहित्य सुगंध लिए सृष्टि का सृजन कर,सपने सजायेंगे। ख्वाबों का उड़ान भर,कल्पना सृजित कर साहित्य समन्दर में,लहरें जगायेंगे। साहित्य समाजवाद,करें न कभी विवाद, सभी को साहित्यमय,भाव से... Hindi · घनाक्षरी 3 481 Share रमेश कुमार सिंह 'रुद्र' 10 Jan 2017 · 1 min read कश्मीर हमारा है सदियों से लहू बहायें हैं बगिया को खूब सजाये हैं फैला है आतंक तो क्या सबको मार भगायें हैं॥ कश्मीर हमारा था पहले भी हमारा आज रहेगा भी दूर इसे... Hindi · कविता 2 490 Share रमेश कुमार सिंह 'रुद्र' 18 May 2021 · 1 min read राहत बरसात का मौसम है पानी टपक रहा है शीतलता मिल रही है आनन्द आ रहा है बारिश के बुन्दों से तन-मन सिहर रहा है ठन्डी- ठन्डी हवाओं से मन मचल... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 1 485 Share रमेश कुमार सिंह 'रुद्र' 18 May 2021 · 1 min read काली घटा खुले आसमान में बादलों का उमड़ना सभी जीवों को गर्मी से राहत पहुंचाना मानो बादलों का बदलीं रूपी मुस्कान, बुन्दो के रुप में शीतलता प्रदान करना सबको ठन्डे मौसम का... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 2 286 Share रमेश कुमार सिंह 'रुद्र' 18 May 2021 · 1 min read सावन की फुहार सावन की फुहार की बूंदें अपने अन्दर शितलता का भण्डार लिए सभी जीव जन्तु के कल्याण हेतु लेकर उतर गई है सभी कलियाँ खिल गई है आपस में झूम रही... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 4 313 Share रमेश कुमार सिंह 'रुद्र' 10 Jan 2017 · 1 min read "बेटी" बेटी नहीं तो कल नहीं है। बेटी है तो सुफल यहीं है। बेटी है तो संसार है सुंदर। बेटी है तो अरमान है सुंदर। अन्तरज्योति है सपनों की। ज्योति है... Hindi · कविता 1 569 Share रमेश कुमार सिंह 'रुद्र' 10 Jan 2017 · 1 min read बेटी बेटी नहीं तो कल नहीं है। बेटी है तो सुफल यहीं है। बेटी है तो संसार है सुंदर। बेटी है तो अरमान है सुंदर। अन्तरज्योति है सपनों की। ज्योति है... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1 465 Share