कवि रमेशराज Tag: मुक्तक 12 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid कवि रमेशराज 18 May 2017 · 1 min read रमेशराज के 2 मुक्तक गुलशन पै बहस नहीं करता मधुवन पै बहस नहीं करता वो लिए सियासी दुर्गंधें चन्दन पै बहस नहीं करता | +रमेशराज ----------------------------- “असुर ” कहो या बोलो-“ खल हैं “... Hindi · मुक्तक 373 Share कवि रमेशराज 18 May 2017 · 1 min read रमेशराज के दो मुक्तक जटा रखाकर आया है, नवतिलक लगाकर आया है मालाएं-पीले वस्त्र पहन, तन भस्म सजाकर आया है जग के बीच जटायू सुन फिर से होगा भारी क्रन्दन सीता के सम्मुख फिर... Hindi · मुक्तक 511 Share कवि रमेशराज 10 May 2017 · 1 min read रमेशराज के 2 मुक्तक 1. हम शीश झुकाना भूल गये सम्मान जताना भूल गये, तेज़ाब डालते नारी पर अब प्यार निभाना भूल गये | +रमेशराज ======================== 2. ये टाट हमेशा हारेंगे चादर-कालीनें जीतेंगे तू... Hindi · मुक्तक 354 Share कवि रमेशराज 6 May 2017 · 1 min read रमेशराज के 2 मुक्तक बस यही फैसला अच्छा है मद-मर्दन खल का अच्छा है | जो इज्जत लूटे नारी की फांसी पर लटका अच्छा है || +रमेशराज ----------------------- सब हिस्से के इतवार गये त्यौहार... Hindi · मुक्तक 359 Share कवि रमेशराज 4 May 2017 · 1 min read रमेशराज के 2 मुक्तक मिलता नहीं पेट-भर भोजन अब आधी आबादी को नयी गुलामी जकड़ रही है जन-जन की आज़ादी को | भारत की जनता की चीख़ें इन्हें सुनायी कम देतीं हिन्दुस्तानी चैनल सारे... Hindi · मुक्तक 308 Share कवि रमेशराज 30 Apr 2017 · 1 min read रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक 1. जिसने कहा उजाला दूँगी, सब तक नूर निराला दूँगी अंधकार जब आया फ़ौरन वही रौशनी मुकर गयी | हम बोले जब राम उठाले , हमें ज़िन्दगी रही सम्हाले अब... Hindi · मुक्तक 276 Share कवि रमेशराज 29 Apr 2017 · 5 min read रमेशराज के वर्णिक छंद में मुक्तक || मुक्तक ||--1. --------------------------------------- थाने के सिपैयाजी की मूँछ को सलाम है श्वान जैसी आदमी की पूँछ को सलाम है, नेता अधिकारी चरें मक्खन-मलाइयाँ जनता के पास बची छूँछ को... Hindi · मुक्तक 550 Share कवि रमेशराज 29 Apr 2017 · 1 min read रमेशराज के 7 मुक्तक केसरिया बौछार मुबारक होली का त्यौहार मुबारक | जो न लड़ा जनता की खातिर उस विपक्ष को हार मुबारक || +रमेशराज ------------------------- नेता बाँट रहे हैं नोट सोच-समझ कर देना... Hindi · मुक्तक 304 Share कवि रमेशराज 7 Oct 2016 · 4 min read ' मधु-सा ला ' चतुष्पदी शतक [ भाग-1 ] +रमेशराज चतुष्पदी -------1. नेताजी को प्यारी लगती, केवल सत्ता की हाला नेताजी के इर्दगिर्द हैं, सुन्दर से सुन्दर बाला। नित मस्ती में झूम रहे हैं, बैठे नेता कुर्सी पर, इन्हें सुहाती... Hindi · मुक्तक 352 Share कवि रमेशराज 7 Oct 2016 · 4 min read ' मधु-सा ला ' चतुष्पदी शतक [ भाग-2 ] +रमेशराज चतुष्पदी--------26. बेटे की आँखों में आँसू, पिता दुःखों ने भर डाला मजा पड़ोसी लूट रहे हैं देख-देख मद की हाला। इन सबसे बेफिक्र सुबह से क्रम चालू तो शाम हुयी... Hindi · मुक्तक 348 Share कवि रमेशराज 7 Oct 2016 · 4 min read ' मधु-सा ला ' चतुष्पदी शतक [ भाग-3 ] +रमेशराज चतुष्पदी--------51. त्याग रहे होली का उत्सव भारत के बालक-बाला बैलेन्टाइनडे की सबको चढ़ी हुई अब तो हाला। साइबरों की कुन्जगली में श्याम काम की बात करें उनके सम्मुख राधा अब... Hindi · मुक्तक 555 Share कवि रमेशराज 7 Oct 2016 · 4 min read ' मधु-सा ला ' चतुष्पदी शतक [ भाग-4 ] +रमेशराज चतुष्पदी--------76. आज हुआ साकार किसतरह सपना आजादी वाला, आजादी के जनक पी रहे आज गुलामी की हाला। सारे नेता बन बैठे हैं अंग्रेजों की संतानें, तभी विदेशी खोल रहे है... Hindi · मुक्तक 282 Share