Rambali Mishra 616 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Rambali Mishra 21 Sep 2024 · 1 min read शुभांगी छंद *शुभांगी छंद* विरले मनुजा,इस लोक दिखें, जो अति उत्तम,निर्मल हैं। अधिकांश यहाँ,दुख दानव हैं,पाप भरा मन,छल-बल है। विकृत मानस,दूषित नस -नस,घोर विनाशक,हैं जग में। विष नाग बने,चलते रहते,रक्तिम भावन,है रग... 1 205 Share Rambali Mishra 20 Sep 2024 · 1 min read सावन की बारिश *सावन की बारिश (त्रिभंगी छंद)* सावन की बारिश,मन की ख्वाहिश,उर-आँगन को,तृप्त करो। अहसास कराओ,दिल बहलाओ,मेरे प्यारे,याद करो। बारिश की बूँदों,से तन भींगे,मन अति हर्षित,हो जाये। सावन की रातें,प्रियमय बातेँ,मधुर मास... 1 298 Share Rambali Mishra 19 Sep 2024 · 1 min read सावन *सावन (गीत)* सावन में शंकर आयेंगे सावन में। जन - जन को भस्म लगाएंगे सावन में। शंकर बिना कहाँ मन लागे? शिवशंकर से ही जग जागे। आयें भोले नाथ धरा... 1 134 Share Rambali Mishra 19 Sep 2024 · 1 min read गुस्सा *गुस्सा (दोहे)* गुस्सा गागर पाप का,फुट करे विध्वंस। आत्मघात का पुंज यह,जैसे रावण -कंस।। क्रूर भाव अति दुष्टता,मन में गंद विचार। दुखदायी अनहित करे,गुस्सा कंटक तार।। गुस्सा करता जो मनुज,वही... 1 225 Share Rambali Mishra 17 Sep 2024 · 1 min read साथ *साथ* आजीवन यह साथ रहेगा। रत्ती भर यह नहीं घटेगा।। प्रेम मधुर संवाद दिखेगा। अन्तहीन इतिहास लिखेगा।। हर पल होगा मोहक मादक। दिल में भावन मधुरिम जब तक।। प्रीति रहेगी... 1 148 Share Rambali Mishra 17 Sep 2024 · 1 min read कुसंग *कुसंग* डरो सदा कुसंग से जहर सदा इसे समझ। रहो न पास में कभी दिखे कदा नहीं सहज। करे सदैव गन्दगी कुबुद्धि का शिकार है। बुरा सदैव सोचता विशेष भूमि... 1 151 Share Rambali Mishra 16 Sep 2024 · 1 min read समय का प्रवाह *समय का प्रवाह* प्रवाह काल चक्र का अनादि अन्तहीन है। रुके कभी नहीं बढ़े सदा भविष्यगीन है। चले सदैव एक ही दिशा नया-नया करे। बदल रहा समग्र को कहीं हरे... 1 207 Share Rambali Mishra 12 Sep 2024 · 1 min read हिन्दी अनुपम प्यारी रानी *हिन्दी अनुपम प्यारी रानी* हिन्दी अनुपम प्यारी रानी। सावित्री की प्रेम कहानी।। सत्यवान का यह शिव दर्शन। विश्ववाद साहित्य शुभासन।। सर्व काल में दिव्य अजेया। दिव्य मार्ग दर्शिका सुश्रेया।। पावन... 1 249 Share Rambali Mishra 11 Sep 2024 · 1 min read हिन्दी दिवस *हिन्दी दिवस* बिन हिन्दी के मन पागल है। हिन्दी बिन मानव घायल है।। हिन्दी अति प्रिय मोहक भाषा। मानवता की यह परिभाषा।। हिन्दी में चन्दन कानन है। पुरुषोत्तम इसका आनन... 1 142 Share Rambali Mishra 11 Sep 2024 · 1 min read राधा *राधा* है राधा अति प्रेम दिवानी। बनी हुई कान्हा की रानी।। कृष्ण लिये तुझको lझूमेगा। हर क्षण प्रिय मस्तक चूमेगा। तेरे बिना कृष्ण आधा है। तूने कृष्णा को साधा है।।... 1 147 Share Rambali Mishra 9 Sep 2024 · 1 min read अवकाश के दिन *अवकाश के दिन* धर्म कर्म में वक्त बिताता। माँ दुर्गा को याद दिलाता।। हे माँ!मुझको छोड़ न देना। अपनी गोदी में भर लेना।। कुछ दूरी पर रामेश्वर हैं। दर्शन देते... 1 158 Share Rambali Mishra 3 Sep 2024 · 1 min read कनक मंजरी छंद *कनक मंजरी छंद* चार चरण,23 वर्ण,हर चरण में प्रथम 4 लघु, 6 भगण, अंत में 1 दीर्घ अनिवार्य। मधुरिम सुन्दर मोहक रागिनि भाव प्रधान सदा सुखदा। अतिशय शांत रसायन भावुक... 538 Share Rambali Mishra 3 Sep 2024 · 1 min read शैतान मन *शैतान मन* जब तक मन में है शैतानी। तब तक वृत्ति अशुभ की रानी।। मन में खुराफात बसता है। गलत काम उत्तम लगता है।। अधम समझ का निर्माता है। गंदी... 1 223 Share Rambali Mishra 2 Sep 2024 · 1 min read प्रियतम *प्रियतम (शुभांगी छंद)* प्रियतम कब से,चाह रहा है,तुझको करना,मस्ताना। तुझे रिझा कर,खुश कर देता,हो जाते हो,दीवाना। प्रियतम तेरे,साथ रहेगा,सब कुछ देगा,सच कहता। कभी नहीं वह,तुझको त्यागे,एक तुम्हीं में,मन रहता। साथ... 1 206 Share Rambali Mishra 2 Sep 2024 · 1 min read कहाँ हो? *कहाँ हो?* तुझको तन-मन ढूढ़ता,बहुत विकल है आज। क्या जानें तुम हो कहाँ,हो कर अति नाराज?? नहीं मिलोगे क्या कभी,नहिं होगा दीदार? क्या मंशा है मित्र जी,रूठ गया क्या प्यार??... 1 286 Share Rambali Mishra 2 Sep 2024 · 1 min read शैतानी दिमाग *शैतानी दिमाग(सरसी छंद)* गाली दे कर खुश होता है,बने बहादुर वीर। जलता हरदम विद्वानों से,कायर दूषित चीर। बुद्धिहीन कलुषित गँवार है,अंदर-बाहर गंध। जिह्वा पर गन्दगी विराजे,आँखों से है अंध। मरियल-सड़ियल... 1 228 Share Rambali Mishra 1 Sep 2024 · 1 min read गुरु महिमा *गुरु महिमा (दुर्मिल सवैया)* गुरु ब्रह्म समान महान सुजान विधान सुचालक ज्ञान भरें। अरुणोदय मोहक भाव प्रकाश सदा तिमिरांचल नष्ट करें। शिव मानव -सा रमते रहते चलते कहते गुरु ज्ञान-... 1 255 Share Rambali Mishra 31 Aug 2024 · 1 min read अधूरा नहीं *अधूरा नहीं* अधूरा नहीं पूर करना प्रिये। गली से नहीं दूर रहना प्रिये। तुम्हारी मुलाकात में रस भरा। तुझे देखकर मन हमेशा हरा। तुम्हीं एक मेरे सितारे सदा। परम दिव्य... 1 280 Share Rambali Mishra 31 Aug 2024 · 1 min read जब-जब *जब-जब (वीर रस)* जब-जब आयेंगे धरती पर,तब-तब लेंगें प्रभु का नाम। काम करेंगे यही समझकर,ईश्वर के हैं सारे काम। मन में प्रभु जी सदा रहेंगे,काम करेंगे हो हरि गान। मस्ती... 1 226 Share Rambali Mishra 31 Aug 2024 · 1 min read नारी *नारी (वीर रस)* कोमल कली सहज नारी है,सदा समर्पित शुद्ध विचार। बच्चों की सेवा - रक्षा कर,उनमें भरती शुभ संस्कार। भोजन देती कपड़े सिलती,सुख सुविधा का रखती ख्याल। बनी हुई... 1 185 Share Rambali Mishra 30 Aug 2024 · 1 min read गाली *गाली (सरसी छंद)* गाली दे कर खुश होता है,बने बहादुर वीर। जलता हरदम विद्वानों से,कायर दूषित चीर। बुद्धिहीन कलुषित गँवार है,अंदर-बाहर गंध। जिह्वा पर गन्दगी विराजे,आँखों से है अंध। मरियल-सड़ियल... 1 177 Share Rambali Mishra 30 Aug 2024 · 1 min read जिंदगी *जिंदगी* तुम्हारे बिना जिंदगी ये अधूरी। बहुत शून्य मैदान रातें अँधेरी । नहीँ पुष्प खिलता नहीं पक्षियाँ हैं। नहीँ गीत कलरव नहीं मन प्रिया है। अगर साथ होते बगीचा सुहाना।... 1 146 Share Rambali Mishra 30 Aug 2024 · 1 min read शुभ प्रभात *शुभ प्रभात* शुभ प्रभात मित्र जी सदा प्रसन्न होइए। दिन सदा सुखांत हो उमंग बीज बोइए। मिले अनंत स्नेह भाव शुभ्र कर्म कीजिए। सहर्ष मित्रता चले सदैव घाव धोइए। भव्य... 1 167 Share Rambali Mishra 29 Aug 2024 · 1 min read अमृत नागर *अमृत नागर* हे मेरे मधु अमृत नागर। अतुलनीय प्रिय विश्व उजागर।। दर्शनीय अति मधुर धरोहर। दिव्य भावमय सहज मनोहर।। अलबेला है रूप अमृता। कोमल नित नम वृत्ति शिव मता।। है... 1 301 Share Rambali Mishra 29 Aug 2024 · 1 min read प्रेम का तोहफा * *प्रेम का तोहफा* अतुलित अनुपम प्रिय अनामिका। प्रियतम की अति दिव्य राधिका।। उर्मिल स्नेहिल सुन्दर आनन। प्रीति सार मोहक शिव आँगन।। रहिए पास हमेशा प्यारे। हे अनामिका!मधुरिम तारे।। तुझ... 1 225 Share Rambali Mishra 29 Aug 2024 · 1 min read अहंकार *अहंकार* जितना पीट सको मुँह पीटो। अपने सिर को खूब घसीटो।। तोड़ो अपना जबड़ा जमकर। आँख फोड़ लो क्रोधित हो कर।। खुद को बाका सदा समझना। सदा तिमिर को दिनकर... 1 161 Share Rambali Mishra 28 Aug 2024 · 1 min read कितनी जमीन? *कितनी जमीन?* जितनी है उतनी काफी है। संतुष्टी में इंसाफ़ी है। थोड़ा भी ज्यादा हो जाता। जब संतोष हृदय में आता।। बिन संतोष व्यर्थ सब संपत। "हाही" में दरिद्रता जागृत।।... 1 223 Share Rambali Mishra 28 Aug 2024 · 1 min read जीवन के अध्याय *जीवन के अध्याय (वीर रस )* जीवन मानव मानस चरितम,एक -एक से हैं अध्याय। सुख -दुख जीवन-मरण यशामृत,इसमें लिखा न्याय-अन्याय। लाभ-हानि- अपयश-ईर्ष्या के,एक-एक पन्ने को देख। इसमें अक्षर-मच्छर-निशिचर,पढ़ते जाना लेख-सुलेख।... 1 261 Share Rambali Mishra 27 Aug 2024 · 1 min read कहाँ मिलोगे? *कहाँ मिलोगे?* कहाँ मिल सकोगे तुझे खोजना है। तुम्हारे विषय में सदा सोचना है। तुम्हीं लक्ष्य प्यारे हृदय में धँसे हो। तुझे ढूढ़ना है सही में बसे हो। सुनहरा मनोरम... 1 162 Share Rambali Mishra 27 Aug 2024 · 1 min read मोहिनी *मोहिनी* मोहिनी स्वरूप ब्रह्म का विधान स्तुत्य है। प्रेम स्रोत दिव्य भाव भंगिमा सुकृत्य है। प्यार का अमोघ अस्त्र रूप वंदनीय है। तोड़ता इसे वही कुकृत्य निंदनीय है। विष्णु चेतना... 1 192 Share Previous Page 2 Next