राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी Language: Hindi 17 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 15 Jul 2017 · 1 min read बह ए मुतदारिक़ मुसम्मन सालिम ---जन्मदायिनी माँ मित्रों माँ जन्मदायिनी है लाल के सुख और दुख को समान भाव से लेती है सुख मे सुख,मे दुखमे दुख की अनुभूति करती है अगर लाल को कहीं कभी कोई... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 361 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 15 Jul 2017 · 2 min read भूले माँ का प्यार परदेशी सुत हो गये , भूले माँ का प्यार । हाथ जोड़ विनती करे , खुशी पुत्र परिवार। गीले में सोती रही, रखा लाल का ख्याल । अपनापन दिल में... Hindi · कविता 448 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 15 Jul 2017 · 1 min read सारसी छ्न्द- [ ==मातृ दिवस --मातृ दिवस पर माँ को समर्पित भावभीनी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि ============================= चली है क़लम आँख आँसू गिरे | माँ तुम्हें है नमन - माँ तुम्हें है नमन | =============================================== ===================सारसी छ्न्द-... Hindi · कविता 516 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 15 Jul 2017 · 1 min read माँ बिनु माँ के सूनी धरा, सूना है संसार । ममता माता से सिखो, कहे राज यह सार । माँ की महिमा है अमित , वर्णित वेद पुराण । जो नर... Hindi · दोहा 1 592 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 15 Jul 2017 · 1 min read सारसी छ्न्द- [१६+११=२७] सारसी छ्न्द- [१६+११=२७] सारसी छ्न्द चौपाई [मात्रभार १६] और दोहा के सम चरण [मात्रभार ११ ] के संयोग से निर्मित मधुर गेय -सारसी छ्न्द सम चरण तुकांत होता है सारसी... Hindi · कविता 718 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 8 Nov 2016 · 1 min read माँ माँ में समाहित संसार है । माँ की ममता अपार है । जब जब माँ ने दुलारा है एक ही आवाज़ आयी है = लाल तू बड़ा प्यारा है राजकिशोर... Hindi · कविता 283 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 8 Nov 2016 · 1 min read हाइकु बिकने लगे कल्पित समुंदर भावनाओं में =============== सीखो हायकु पाँच सात पाँचमें जापनी विधा ==================== तीन पंक्ति में सत्रह वर्णमाला पूरित भाव ================= ये प्रदूषण मानवीय रोगका है आभूषण ।... Hindi · हाइकु 415 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 8 Nov 2016 · 1 min read घर आँगन में फूल खिले हैं । 16/16 घर आँगन में फूल खिले हैं । गुलशन में गुल नूर मिले हैं । चाहत भर आँखों ने देखा । बिन दर्जी के वसन सिले हैं । अटपट शब्दों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 268 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 8 Nov 2016 · 1 min read जमानत जमानत १२२ १२२ १२२ १२ मुहब्बत इनायत शराफ़त लिखूँ । इजाज़त कयामत नज़ाकत लिखूँ । नकाबिल मुसाफिर दिवाने सखे , नतीजा नजाफत ज़ियारत लिखूँ । फरियाद फितरत उनकी नज़र का,... Hindi · कविता 506 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 18 Aug 2016 · 3 min read भारतीय संस्कृति का अनुपम पर्व= रक्षाबन्धन भारतीय संस्कृति का अनुपम पर्व= रक्षाबन्धन रक्षाबन्धन भारतीय संस्कृति का प्रमुख पर्व है ,/यह पर्व भाईचारा , विश्वबंधुत्व का संदेश देते हुये आत्मविश्वास ,और बहन की रक्षा का दृढ संकल्प... Hindi · कहानी 1k Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 11 Aug 2016 · 1 min read उन्हें बसाया दिल में धरा अपनी कभी सोना, कभी चाँदी उगलती थी / गजनबी लंग जाफ़र के कयामत को निरखतीथी/ ===================================== उन्हें बसाया दिल में इंतजार करते हैं/ उन्हे भुलाया मन से मगर प्यार... Hindi · शेर 260 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 11 Aug 2016 · 1 min read यथार्त व्यंग---उल्लू का मन जीत लिया यथार्त व्यंग ========= मात्रभार /१६-१४ देख जमाने की आदत को , राज बदलना सीख लिया / उल्लू फौज बराती बनकर , उल्लू का मन जीत लिया / बढ़ती संख्या जब... Hindi · कविता 530 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 11 Aug 2016 · 1 min read ओछी राजनीति ओछी राजनीति ================= राजनीति राज्य सरकार जनता का अंतरसंबंध, कलुषित मानसिकता हलाहल विष , जातिवाद वर्गवाद भाषावाद धर्मवाद/ क्षेत्रवाद दलीय द्वन्द्वाद के आगोश में व्यक्तिगत आरोप -प्रत्यारोप ओछी राजनीति, संकीर्ण... Hindi · कविता 381 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 11 Aug 2016 · 1 min read पत्नी का पति के नाम खत--- मंहगाई पत्नी का पति के नाम खत--- मंहगाई ========================================= बड़ी मंहगाई बालम सब्जी का खरीदी / नेनुआ तोरी बैगन टिंडा गोभी खीरा लौकी आलू मंहगी भिंडी मंहगी परवर पटल भी मँहगा/... Hindi · कविता 447 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 11 Aug 2016 · 1 min read दिले घन श्याम लिक्खा है मापनी : 1222 1222 1222 1222 काफ़िया : आम रदीफ़ : लिक्खा है =================================== कहे राधा सुने मीरा दिले घन श्याम लिक्खा है/ सदा शबरी दिखे मन मे प्रभू श्री... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 642 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 11 Aug 2016 · 1 min read तोहरी नगरिया भोजपरी -------------- बड़ी नीक लागे बालम तोहरी नगरिया / सुबह-शाम कोयल भी कूके , बोले सोन चिरैया / मधुरिम चँवर पवन की बगिया साजन मन हरसाती/ माई बहिनी तोहरी सुंदर... Hindi · कविता 348 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 11 Aug 2016 · 1 min read बुझदिल पड़ोसी बड़ा बुझदिल पड़ोसी है नहीं सम्मान जो जाने/ कायर की तरह भौके नहीं अरमान जो जाने/ भरे नफरत सदा विषधर , दिखा जब सिंह धरती पे, शावक बन गया बुझदिल... Hindi · कविता 497 Share