Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2017 · 1 min read

बह ए मुतदारिक़ मुसम्मन सालिम —जन्मदायिनी माँ

मित्रों माँ जन्मदायिनी है लाल के सुख और दुख को समान भाव से लेती है सुख मे सुख,मे दुखमे दुख की अनुभूति करती है अगर लाल को कहीं कभी कोई दर्द होता है पहला शब्द माँ
होता है माँ ममता की सागर है माँ अतुलनीय है कभी -कभी कुदरत कैसा खेल रचना माँ हो जाती है किंकर्तव्यविमूढ़ दिल पर पत्थर रख करती है अपने वचन की रक्षा———– महाभारत पर्व से ————–
बह ए मुतदारिक़ मुसम्मन सालिम
========================
मापनी – २१२ २१२ २१२ २१२
माँ कही एक दिन लाल सुन लो ज़रा
ज्ञान मन मे भरो लाल गुन लो ज़रा
राज कहना नहीं तू कभी प्यार में
नारि को श्राप है लाल धुन लो ज़रा
पांडु नंदन दिए कर्ण के प्रेम मे
नारि कहना वचन , प्यार बुन लो जरा
मातु यह क्या किया पाप मुझसे हुए
बोल देती अगर , राज चुन लो ज़रा
जो दिए थे वचन , लाज रखने पड़े /
लाल खोना कठिन तार झुन लो ज़रा/-

1 Comment · 311 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
धूमिल होती पत्रकारिता
धूमिल होती पत्रकारिता
अरशद रसूल बदायूंनी
कृष्ण चतुर्थी भाद्रपद, है गणेशावतार
कृष्ण चतुर्थी भाद्रपद, है गणेशावतार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
प्रेम
प्रेम
Sushmita Singh
काश कभी ऐसा हो पाता
काश कभी ऐसा हो पाता
Rajeev Dutta
सोचो अच्छा आज हो, कल का भुला विचार।
सोचो अच्छा आज हो, कल का भुला विचार।
आर.एस. 'प्रीतम'
वफा से वफादारो को पहचानो
वफा से वफादारो को पहचानो
goutam shaw
At the end of the day, you have two choices in love – one is
At the end of the day, you have two choices in love – one is
पूर्वार्थ
कूड़े के ढेर में
कूड़े के ढेर में
Dr fauzia Naseem shad
नज़्म/कविता - जब अहसासों में तू बसी है
नज़्म/कविता - जब अहसासों में तू बसी है
अनिल कुमार
मूर्ख बनाकर काक को, कोयल परभृत नार।
मूर्ख बनाकर काक को, कोयल परभृत नार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
शिर्डी के साईं बाबा
शिर्डी के साईं बाबा
Sidhartha Mishra
*मस्ती बसती है वहॉं, मन बालक का रूप (कुंडलिया)*
*मस्ती बसती है वहॉं, मन बालक का रूप (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
💐अज्ञात के प्रति-102💐
💐अज्ञात के प्रति-102💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
6) “जय श्री राम”
6) “जय श्री राम”
Sapna Arora
बेटी को मत मारो 🙏
बेटी को मत मारो 🙏
Samar babu
"बाजरे का जायका"
Dr Meenu Poonia
मोरनी जैसी चाल
मोरनी जैसी चाल
Dr. Vaishali Verma
इंसान VS महान
इंसान VS महान
Dr MusafiR BaithA
विजया दशमी की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं 🎉🙏
विजया दशमी की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं 🎉🙏
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
2863.*पूर्णिका*
2863.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तारीफों में इतने मगरूर हो गए थे
तारीफों में इतने मगरूर हो गए थे
कवि दीपक बवेजा
"ऐसा मंजर होगा"
पंकज कुमार कर्ण
इंसान एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त थे
इंसान एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त थे
ruby kumari
मां की प्रतिष्ठा
मां की प्रतिष्ठा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
|| हवा चाल टेढ़ी चल रही है ||
|| हवा चाल टेढ़ी चल रही है ||
Dr Pranav Gautam
दो पंक्तियां
दो पंक्तियां
Vivek saswat Shukla
आज उन असंख्य
आज उन असंख्य
*Author प्रणय प्रभात*
मतदान करो
मतदान करो
TARAN VERMA
ईश्वर की आँखों में
ईश्वर की आँखों में
Dr. Kishan tandon kranti
पर्यावरण
पर्यावरण
Madhavi Srivastava
Loading...