राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी Tag: मुक्तक 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 24 Jul 2018 · 1 min read फासिला जिंदगी शाम शरमा गयी रोशनी के लिए l फ़िक्र करने लगी चाँदनी के लिए l फासिला जिंदगी जख्म जालिम शहर - बज्म फितरत फिदा रागिनी के लिए ll राज किशोर मिश्र... Hindi · मुक्तक 286 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 23 Jul 2018 · 1 min read [6]छंद- मनोरम-प्रेम में क्या सादगी है छंद- मनोरम मापनी- 2122 2122 प्रीति पावन बंदगी है l नीर प्रियवर जिंदगी है l गीत का स्वर लय बताता - प्रेम में क्या सादगी है l Hindi · मुक्तक 206 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 23 Jul 2018 · 1 min read 3-कहना सहज पर निभाना कठिन है बहती नदी पर ठिकाना कठिन है l कहना सहज पर निभाना कठिन है l उपदेश देते उन्हें देखता हूँ - मंदिर सहज सर झुकाना कठिन है ll राजकिशोर मिश्र 'राज'... Hindi · मुक्तक 383 Share राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 23 Jul 2018 · 1 min read घर -घर में मंदिर मस्जिद हैं घर -घर में मंदिर मस्जिद हैं l फिर भी क्यों इन्साफ नहीं है ll मन के कोने में बैठा है l नफरत का शैतान यहाँ है ll राजकिशोर मिश्र 'राज'... Hindi · मुक्तक 250 Share