प्रदीप तिवारी 'धवल' Tag: गीत 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid प्रदीप तिवारी 'धवल' 26 Nov 2021 · 1 min read आत्मनिर्भर भारत आत्मनिर्भर भारत आत्मनिर्भर, आत्मनिर्भर, आत्मनिर्भर हों विश्व पर आश्रित न होकर आत्मनिर्भर हों देखती आँखे हैं सपने, आत्मनिर्भर हों हाथों में हो काम अपने, आत्मनिर्भर हों १ इस महामारी ने... Hindi · गीत 2 2 448 Share प्रदीप तिवारी 'धवल' 26 Jun 2020 · 1 min read आशा के दीप जलाते हैं योगी योगी को भोग का रोग नहीं, नित योग का भोग लगाते हैं योगी। जनहित में निशिवासर धाय के, जनता का धीर बढ़ाते हैं योगी । प्रदेश के लोग हताश न... Hindi · गीत 1 3 470 Share प्रदीप तिवारी 'धवल' 23 Sep 2018 · 1 min read हम तो आग लगायेंगे... देश के हर कोने को हम तो आग लगायेंगे, हम नेता हैं पक्ष - विपक्ष के मत हथियाएँगे, राजनीति हित आज हमें कुछ करना ही होगा, घृणा द्वेष का ज़हर... Hindi · गीत 478 Share प्रदीप तिवारी 'धवल' 1 Jan 2018 · 1 min read नववर्ष शुभ हो आत्मबल उत्साह में, नित नए प्रतिमान देखे हृदय का प्रमाद भी, नित नए दिनमान देखे लक्ष्य की प्रतिपूर्ति हो, नयन भी सम्मान देखे ‘धवल’ अभिलाषा यही, नववर्ष गुणगान देखे।। आपको... Hindi · गीत 358 Share प्रदीप तिवारी 'धवल' 17 Mar 2017 · 1 min read आदमी है हाड़, मॉस, लहू से तैयार आदमी. पानी का बुलबुला भी औ बयार आदमी. अपने पे मगर आ गया,जो मोदी की तरह, तो देश में बनता है वो सरकार आदमी.... Hindi · गीत 441 Share प्रदीप तिवारी 'धवल' 28 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ बेटियाँ हर कोख कौम देश का अभिमान बेटियाँ कर रही हैं राष्ट्र का निर्मान बेटियाँ प्रकृति प्रदत्त प्रेम की संतान बेटियाँ प्रभू ने खुद रचा हो जो बखान बेटियाँ पुरुषों... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · गीत · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1k Share प्रदीप तिवारी 'धवल' 31 Dec 2016 · 1 min read नए साल पर हों तमन्नाएं पूरी, नए साल पर हों तमन्नाएं पूरी सिमट जाये बढ़ते हुए दिल की दूरी नए जोश का तन में संचार हो सात्विक विचारों का संसार हो राहें नई हों, दिशायें नई... Hindi · गीत 689 Share प्रदीप तिवारी 'धवल' 28 Dec 2016 · 1 min read भ्रष्ट कहौ जौ उनका तौ बौराय जात हैं. भ्रष्ट कहौ जौ उनका तौ बौराय जात हैं. थरिया कै अस जूँठन वै कर्राय जात हैं. जब से भएँ सरकारी अफसर मिटा दरिद्दर सारा. गाड़ी बंगला नौकर चाकर, खाय फिरी... Hindi · गीत 1 744 Share प्रदीप तिवारी 'धवल' 29 Nov 2016 · 1 min read अवधी रचना- सावन माँ मन भावन है. सावन माँ मन भावन है, शिव डमरू से फूट रही रसधारा, खेतन, बागन, मेडन मा, हरियाली लपेटे तयार है चारा, गोरु बछेरू पशू औ परानी के साथे जवान सेवान है... Hindi · गीत 660 Share