pradeep kumar Language: Hindi 71 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid pradeep kumar 2 Oct 2020 · 1 min read वीणावादिनि वर दे। शब्द शब्द अक्षर अक्षर में, सार समाहित कर दे। जन के मन की पीर लिखूँ माँ, वीणावादिनि वर दे।। सच को सच कहने से माते, वर दे कभी न हारूँ।... Hindi · गीत 3 2 346 Share pradeep kumar 12 Sep 2020 · 1 min read सत्ता के सुरूर में..... कुछ काले कारनामे कर रहे मातहत, कुछ काले काम वे जो आप किये जा रहे। रौब से दबाव से प्रभाव से स्वभाव से ही, मौन जो विरोध के आलाप किये... Hindi · घनाक्षरी 2 1 296 Share pradeep kumar 24 Aug 2020 · 1 min read हम अकेल कामना पुष्पों की लेकर, कंटकों के राजपथ पर, हम अकेले चल रहे हैं।। कर रहीं हैं राज जग पर, ओढ़ कर उजले कफन को, कुछ मरी संवेदनाएं। फिर रही हैं... Hindi · गीत 1 281 Share pradeep kumar 16 Aug 2020 · 1 min read हो गये हैं...... मुजरिमों के मार्गदर्शक, मित्र, थाने हो गये हैं। इसलिए ही जुर्म के मौसम सुहाने हो गये हैं।। काटनी है जिंदगी उनको सजा के रूप में अब। स्वर्ग में तब्दील सारे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 1 433 Share pradeep kumar 12 Aug 2020 · 1 min read भला क्यों? हो गया है जब बिछुड़ना ही सुनिश्चित, और थोड़ा वक्त अब माँगूँ भला क्यों ? प्यास सागर भी बुझा पाया नहीं जब, ओस की बूँदों से फिर विनती क्या करनी।... Hindi · गीत 2 349 Share pradeep kumar 5 Aug 2020 · 1 min read सबूत माँगते थे जो राम का विरोध करने के लिए राम से ही, धन और दौलत अकूत माँगते थे जो। देशद्रोहियों के साथ मिलके समाज तोड़, सकें इसलिए ही भभूत माँगते थे जो। राम... Hindi · घनाक्षरी 1 223 Share pradeep kumar 5 Aug 2020 · 1 min read राम नाम से बड़ा न और कोई मंत्र है। महिमा अपार राम नाम की जो माप सके। जग में न बन सका अभी कोई यंत्र है। राम है अनंत कथा राम की अनंत और, राम हैं पुराण राम नाम... Hindi · घनाक्षरी 4 2 392 Share pradeep kumar 31 Jul 2020 · 1 min read साँप पाले जायेंगे। फैसले जनहित के सारे कल पे टाले जायेंगे। आस्तीनों में दुबारा साँप पाले जायेंगे।। खून होगा आपसी सद्भाव का चारों तरफ। धर्म मजहब जाति के मुद्दे उछाले जायेंगे।। भेड़ियों के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 6 6 244 Share pradeep kumar 28 Jul 2020 · 1 min read हमको बाँध न पाये बुद्ध तथागत अपना मन,तन, फक्कड़ मस्त कबीर। हमको बाँध न पाये कोई, दुनिया की जंजीर।। तेरा-मेरा, इसका-उसका, अपना और पराया। सबकुछ कोरा झूठ सत्य यह, लोभ मोह की माया। हीरे... Hindi · कविता 6 5 285 Share pradeep kumar 18 Jul 2020 · 1 min read संक्रमित शुभकामनाएं कागजों में कैद होकर, जी रही घुट-घुट दुआएं। कौन हैं हम? पूछती हैं, संक्रमित शुभकामनाएं।। हाथ में लेकर दिये जो चल रहे थे, ठोकरें खा खाइयों में गिर गये हैं।... Hindi · गीत 6 1 309 Share pradeep kumar 13 Jul 2020 · 1 min read अब भी गतिविधियों से हो रहा, "दीप" यही आभास। राजनीति की कोख में, अब भी कई विकास।। प्रदीप कुमार "दीप" सुजातपुर, सम्भल Hindi · दोहा 4 2 306 Share pradeep kumar 9 Jul 2020 · 1 min read हमनें भार समझ कर ढोये केवल भार समझकर ढोये, किए न अंगीकार! इसीलिए दिखते हैं रिश्ते, थके थके बीमार! ! हमने सिर्फ स्वार्थ को ओढा़, पीर पराई जानी कब! झूठे गढे़ कुतर्कों आगे, सीख सत्य... Hindi · गीत 4 1 217 Share pradeep kumar 7 Jul 2020 · 1 min read पटकथा फिर से महाभारत की लिक्खी जा रही है। हर जुबां पर दंभ की चिड़िया तराना गा रही है। पटकथा फिर से महाभारत की लिक्खी जा रही है। है विषय अफसोस का यह, फिर धरा पर विश्व गुरु की,... Hindi · गीत 2 2 632 Share pradeep kumar 30 Jun 2020 · 1 min read सैनिक जैसे गीत... गद्दारों को अपने दम से, याद दिला दें नानी। सैनिक जैसे गीत लिखो कवि, राष्ट्र भक्त बलिदानी।। निर्धन की आँखों के आँसू, पीड़ा का अखबार। लोकतंत्र के सच्चे नायक, सच... Hindi · गीत 3 223 Share pradeep kumar 29 Jun 2020 · 1 min read उम्मीद रातों रोई कामना, दुखी हुई उम्मीद। एक एक कर हो गये, सपने सभी शहीद।। आशाएँ विकलांग हैं, और स्वप्न बीमार। ले लेता हूँ रोज ही, सांसें चंद उधार।। धुआँ-धुआँ सी... Hindi · दोहा 3 2 215 Share pradeep kumar 27 Jun 2020 · 1 min read आजादी के बाद आजादी के सपने टूटे, आजादी के बाद। जलीं बस्तियाँ धू धू करके, किसका कहें कसूर। जाति धर्म के फोड़े फुंसी, बन बैठे नासूर।। जितना मरहम मला घाव पर, उतनी पड़ी... Hindi · गीत 4 1 276 Share pradeep kumar 26 Jun 2020 · 1 min read पीछे रोज हटे आगे बढ़ने की धुन में हम, पीछे रोज हटे। कल को विस्मृत कर बैठे कल, कैसे उज्ज्वल हो। केवल तन धो लेने से मन, कैसे निर्मल हो। चाह समंदर बनने... Hindi · गीत 1 1 261 Share pradeep kumar 26 Jun 2020 · 1 min read किसानों को.. फसल ख्वाबों की आँखों में, कभी बोने नहीं देते। किसी उम्मीद के शिशु को, युवा होने नहीं देते। कभी बारिश, कभी सूखा, कभी आँधी, कभी ओले, किसानों को घड़ी भर... Hindi · मुक्तक 2 1 228 Share pradeep kumar 25 Jun 2020 · 1 min read आजकल शौक है नेमत कहाँ है आजकल। इश्क में गैरत कहाँ है आजकल। बिन डरे दुनिया में सच कोई कहीं। बोल दे हिम्मत कहाँ है आजकल।। पटरियों फुटपाथ सड़कों पर पड़ा।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 216 Share pradeep kumar 24 Jun 2020 · 1 min read जाने कब से..... जाने कब से मजबूरी के आँगन में, भूख प्यास के घुँघरू बाँधे नाच रहे।। गिरवी रखी हुई है अपनी तरुणाई, पूर्ण सुरक्षित अलमारी के कोने में। चुगली ना कर बैठे... Hindi · गीत 5 1 222 Share pradeep kumar 24 Jun 2020 · 1 min read तू ही है... मेरी हर नज्म है तू ही, मेरा हर गीत तू ही है। मेरा सपना मेरी चाहत, मुहब्बत प्रीत तू ही है। मेरे मनमीत मेरी जिंदगी है जिंदगी तुझसे। मेरे सीने... Hindi · मुक्तक 3 500 Share pradeep kumar 22 Jun 2020 · 1 min read राजनीति अंग-अंग में भरी कुटिलता, रोम-रोम में मक्कारी। कोरोना से कहीं भयानक, राजनीति है बीमारी।। ये लाशों का अम्बार देख खुश, होती है मुस्काती है। ये रंग बदलती गिरगिट सा, घड़ियाली... Hindi · गीत 2 3 395 Share pradeep kumar 21 Jun 2020 · 1 min read पिता पिता रूप भगवान का, पिता तीर्थ का नाम। चरण पिता के पूज ले, बन जाएंगे काम।। "दीप" संगणक सम पिता, पिता ज्ञान विज्ञान। पल भर में करते पिता, हर मुश्किल... Hindi · दोहा 2 2 466 Share pradeep kumar 21 Jun 2020 · 1 min read क्रोधित माधव देख रहा हूँ... "दीप" विवशता लाचारी का, बढ़ता वैभव देख रहा हूँ। मैं अपने नयनों से अपने, स्वप्नों के शव देख रहा हूँ। नेह निमंत्रण पाकर मेरा, आँगन में आ बैठ गयीं हैं,... Hindi · गीत 6 2 226 Share pradeep kumar 19 Jun 2020 · 1 min read स्वप्न न बेचे... रोटी की खातिर सबकुछ, बेचा लेकिन, स्वप्न न बेचे। हमनें चौराहों पर रखकर काले जामुन केले बेचे। चीकू सेब संतरे लीची नीबू आम करेले बेचे।। सब्जी बेची लेकिन अपने मन... Hindi · गीत 5 2 404 Share pradeep kumar 18 Jun 2020 · 1 min read रंग रूप के दरवाजे पर... रंग रूप के दरवाजे पर, कब से घायल इश्क पड़ा है!! आँखों के खारे पानी में, निज सपनों का तर्पण करके। स्वाभिमान का कटा हुआ सर, उसको सादर अर्पण करके।।... Hindi · गीत 3 1 215 Share pradeep kumar 14 Jun 2020 · 1 min read कृष्ण सो रहे अपनों में संग्राम छिड़ा है, चादर ओढ़े कृष्ण सो रहे।। त्याग चुकी है आज केंचुली, राजनीति परिभाषाओं की। ज्येष्ठ मास की धूप सरीखी, तपे चाँदनी आशाओं की।। धर्म सरीखे शब्द... Hindi · गीत 3 2 378 Share pradeep kumar 6 May 2020 · 1 min read फटी पुरानी चादर ओढ़े... फटी पुरानी चादर ओढे़,कच्चे घर में, टूटे फूटे सपनों की जिद जारी है ! युगों बाद फुरसत की छत पर, चिंतन और मनन के छण हैं ! युगों बाद टकराने... Hindi · गीत 1 1 247 Share pradeep kumar 16 Apr 2020 · 1 min read लिखा आँसुओं पर विधना ने... लिखा आँसुओं पर विधना ने, जन्मसिद्ध अधिकार हमारा।। टंकित नाम हमारा केवल, कर्तव्यों के पृष्ठों पर ही ! पीड़ाओं के अभिलेखों पर, संत्रासों पर कष्टों पर ही ! हमनें जब... Hindi · गीत 220 Share pradeep kumar 29 Mar 2020 · 1 min read भूख ने तोड़ा तो। जिन सपनों ने गांव गली घर छुड़वाया, भूख ने तोड़ा तो वे सारे टूट गये।। दूर से चंदा जैसा लगता था लेकिन, पास गये तो पाया जुगनू मरा हुआ। जाते... Hindi · गीत 1 251 Share pradeep kumar 14 Mar 2020 · 1 min read प्रेम का प्रतिमान तू है। गीतिका का व्याकरण, तू गीत का विज्ञान तू है। तू मुहब्बत की धरोहर, प्रेम का प्रतिमान तू है।। भावनाओं का समंदर नेह का भंडार तू है । तू समर्पण का... Hindi · गीत 211 Share pradeep kumar 7 Mar 2020 · 1 min read कौवे के अखबार में, युगों-युगों से ही रहे, भेड़ भेड़िये मीत। कौवे के अखबार में, छपा गिद्ध का गीत।। जब से बगुले ने सुने, मीठे मछली बैन। तब से पागल प्रेम में, दिखता है... Hindi · गीत 1 1 519 Share pradeep kumar 3 Mar 2020 · 1 min read नागयज्ञ होना चाहिए। हद से अधिक धैर्यशीलता का सदियों से, दामन पे लगा हुआ दाग धोना चाहिए। हमने बहुत कुछ खोया शांति हेतु अब, शत्रुओं से बोल दो कि उन्हें खोना चाहिए। शोणित... Hindi · घनाक्षरी 2 1 280 Share pradeep kumar 27 Feb 2020 · 1 min read आहट हर हिरदय में अकुलाहट है, हर वाणी में कड़वाहट है। हर आँख आग का गोला है हर मस्तिष्क मे झुँझलाहट है। ये शोर शराबा भीड़भाड़ ये रक्तपात ये आगजनी ।... Hindi · मुक्तक 1 266 Share pradeep kumar 22 Feb 2020 · 1 min read गैरों की बाहों में..... राजतिलक के अवसर पर ही, सपनों को वनवास मिला। गैरों की बाहों में हमको, अपनों का विश्वास मिला। । कितने रावण पीली चादर, ओढ़ जगत में राम हुये। धवल चाँँदनी... Hindi · गीत 2 2 340 Share pradeep kumar 19 Feb 2020 · 1 min read आदमी हूँ.. मैंने, मृत्यु के, दरवाजे पर भी, आवाज दी है, जिंदगी को! मैंने, हार में, तलाशी हैंं, जीत की, अनंत संभावनाएँ! मैंने, दम लिया है, दर्द को, दवा बनाकर! मैंने, क्षितिज... Hindi · कविता 1 239 Share pradeep kumar 12 Dec 2016 · 1 min read तब और महाभारत होगा। सुप्रभात मित्रों। सिंहासन के बगुले जब जब हंसों को ललकारेंगे। जब जब रावण सिया हरण को भेष जोगिया धारेंगे। जब जब भरी सभा में पंचाली का चीर हरण होगा। जब... Hindi · कविता 775 Share pradeep kumar 5 Dec 2016 · 1 min read सियासत करे चाहे नहीं कुछ भी, बजा पर ढोल देगी ये। मिलाकर झूठ को सच में, तराजू तोल देगी ये।। सियासत तो सियासत है, सियासत का भरोसा क्या। अभी बोला है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 266 Share pradeep kumar 5 Dec 2016 · 1 min read किसान भूखा है। किसी की चाहतें प्यासी, कोई अरमान भूखा है। कहीं मजदूर भूखे हैं, कहीं किसआन भूखा है।। जिसे हो देखना देखो, निगाहों से मेरी आकर। सड़क फुटपाथ चौराहों पे हिंदुस्तान भूखा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 331 Share pradeep kumar 5 Dec 2016 · 1 min read कोई भूखा नहीं होता। कोई नंगा नहीं होता कोई भूखा नहीं होता। सियासत ने अगर इस देश को लूटा नहीं होता।। जरा नजदीक आकर देखिए फिर मान जाओगे। सियासत में कभी पूरा कोई वादा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 279 Share pradeep kumar 5 Dec 2016 · 1 min read खुश्बुएँ प्यार की। खुश्बुएँ ये प्यार वाली फिर लुटाने दो मुझे। साख अपने इस वतन की अब बचाने दो मुझे।। जो अमन के नाम पर भी बन चुके धब्बा उन्ही। दुश्मनों का आज... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 508 Share pradeep kumar 13 Nov 2016 · 1 min read बुरा है इश्क जालिम गजल हँसाता है रुलाता है रुलाता है हँसाता है। बुरा है इश्क ये जालिम सभी को आजमाता है।। नहीं वो बात करता है जहाँ के सामने मुझसे। अकेले में मगर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 488 Share pradeep kumar 12 Nov 2016 · 1 min read यार हमको भी मुहब्बत हो गई। दर्द सहने की हां' आदत हो गई। यार हमको भी मुहब्बत हो गई।। खुश हुई जनता तेरे फरमान से। औ सियासत की सियासत हो गई।। अब जहाँ कहने लगा शायर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 263 Share pradeep kumar 10 Sep 2016 · 1 min read अनुमान क्यों लिक्खूं। मुझे मालूम है सच तो भला अनुमान क्यों लिक्खूँ। मैं पूँजीवाद का झूठा बता गुणगान क्यों लिक्खूँ। गरीबी भूख लाचारी अभी जिंदा है' भारत में। बता बापू ते'रे सपनों का'... Hindi · मुक्तक 458 Share pradeep kumar 10 Sep 2016 · 1 min read सियासी राग सियासी राग गाया जा रहा है। हमें उल्लू बनाया जा रहा है।। गडे़ मुर्दे उखाडे़ जा रहे हैं। मगर सच को दबाया जा रहा है।। गरीबी को मिटा पाये नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 399 Share pradeep kumar 10 Sep 2016 · 1 min read जवानियाँ प्रणम्य हैं। हमको दिलातीं याद शहीदों की बार बार देश में बनी हैं जो निशानियाँ प्रणम्य हैं। प्रेरणा बनी हैं आज बलिदान देने हेतु बलिदानियों की वो कहानियाँ प्रणम्य हैं। जिनकी रगों... Hindi · कविता 271 Share pradeep kumar 31 Aug 2016 · 1 min read कभी कोई कभी कोई जलाता है बुझाता है कभी कोई कभी कोई। मेरी हस्ती मिटाता है कभी कोई कभी कोई।।1 बुरा चाहा नहीं मैनें जहाँ में तो किसी का भी। मुझे क्यूं आजमाता है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 551 Share pradeep kumar 27 Aug 2016 · 1 min read सनम मेरा मुझसे चुराता है मुझको। रुलाता है मुझको हँसाता है मुझको। सनम मेरा' मुझसे चुराता है मुझको।। जिसे हर कदम पर सँभाला था मैंने। वही आज आँखें दिखाता है मुझको।। उन्हे देखकर के यही लग... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 532 Share pradeep kumar 27 Aug 2016 · 1 min read मैं हूँ दीप वो जो सदा ही जला हूँ। नहीं मैं रुकूंगा नहीं मैं रुका हूँ। सचाई के पथ पर सदा ही चला हूँ।। कमी ढूँढने में लगे क्यूं हो मेरी। कहा कब है मैनें कि मै देवता हूँ।।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 345 Share pradeep kumar 27 Aug 2016 · 1 min read नजरें मिलाऊं कि नजरें चुराऊं। गजल जहाँ को भुला दूं मैं खुद को भुलाऊँ। मगर है न मुमकिन तुम्हे भूल जाऊँ।। सभी जख्म रिसने लगे हैं मेरे अब। कलेजे को किससे कहां मै सिलाऊं।। बुरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 383 Share Page 1 Next