*प्रणय* Tag: विडम्बना 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid *प्रणय* 22 Sep 2024 · 1 min read 😢विडम्बना😢 😢विडम्बना😢 हमारे देश में अब यह नहीं देखा जाता कि रचना "कैसी" है। देखा यह जाता है कि "किसकी" है।। 🙅प्रणय प्रभात🙅 Hindi · आज का आभास · विडम्बना 1 37 Share *प्रणय* 2 Jan 2024 · 1 min read #सब_त्रिकालदर्शी #सब_त्रिकालदर्शी ■ परीक्षण आवश्यक- महान भारतीय कालगणना और ज्योतिष विज्ञान को बदनाम करने वालों की अब भरमार हो चुकी है। सत्रह मुंह, चौंतीस बातें वाली बात को चरितार्थ करते तथाकथित... Hindi · विडम्बना 1 241 Share *प्रणय* 14 Nov 2023 · 1 min read #बाल_दिवस_से_क्या_होगा? #आज_का_सवाल- ■ बाल दिवस से क्या होगा? 【प्रणय प्रभात】 365 दिनों में एक दिवस मनाने से नहीं, हमेशा के लिए सोच बदलने से बचेगा बचपन। निरीह मासूमों पर न थोपें... Hindi · दिवस विशेष · विडम्बना 1 291 Share *प्रणय* 2 Nov 2023 · 1 min read ■ अभाव, तनाव, चुनाव और हम #सामयिक_रचना- ■ क्या खाक़ मनाएं दीवाली...? 【प्रणय प्रभात】 बरसात बिना गुम हरियाली। सूखी शाखें, सूखी डाली।। ऊपर से विकट महामारी। जिससे सारी दुनिया हारी।। लाचार करोड़ों कामगार। बेबस श्रम करता... Hindi · प्रणय की कविता · विडम्बना · सम सामयिक · हिंदुस्तान 1 168 Share *प्रणय* 28 Oct 2023 · 1 min read ■ चुनावी साल के चतुर चुरकुट।। ■ चुनावी साल के चतुर चुरकुट।। Hindi · चुनावी साल · विडम्बना 1 119 Share *प्रणय* 9 Oct 2023 · 2 min read ✍🏻 #ढीठ_की_शपथ ✍🏻 ढीठ की शपथ बेशर्मी की चरमसीमा :-- 【प्रणय प्रभात】 मैं टेसू-छाप महाअड़ियल यह शपथ लेता/लेती हूँ कि इस सालH दीपावली पर चाइना (चीन) में निर्मित लाइटों (लड़ियों/झालरों को नहीं... Hindi · कटाक्ष · लघुव्यंग्य · विडम्बना 1 118 Share *प्रणय* 13 Aug 2023 · 2 min read #लघुकथा #लघु(तथा)कथा ■ छोटीं राहत, बड़ी मुसीबत।। 【प्रणय प्रभात】 झप्प की आवाज़ के साथ ही बिजली गुल हो गई। सिर-दर्द से बेहाल विनय ने चैन की सांस ली। आज वो बिजली... Hindi · त्रासदी · लघुकथा · विडम्बना 1 2 423 Share *प्रणय* 2 Mar 2023 · 1 min read ■ आज की लघुकथा #लघुकथा ■ पिछली वाली गली 【प्रणय प्रभात】 फरवरी का गुलाबी सा मौसम। शाम के चार बजे के आसपास का समय। कमल रोज़ की तरह घर के दरवाज़े पर डटा था।... Hindi · लघुकथा · विडम्बना · सम सामयिक 1 326 Share *प्रणय* 1 Mar 2023 · 1 min read ■ नई महाभारत.. #सामयिक_रचना ◆सिंहासन सब देख रहा है◆ 【प्रणय प्रभात】 चक्षुहीन धृतराष्ट्र मौन है ना जाने अब भीष्म कौन है? धर्मराज पाँसों में उलझे पांचाली के केश न सुलझे। अर्जुन गहन सोच... Hindi · राजनीति · विडम्बना · व्यंग्य कविता · सम सामयिक · हिंदुस्तान 1 3 447 Share *प्रणय* 27 Jan 2023 · 1 min read ■ आज का अंदेशा ■ भस्मासुर..... ★ कल होंगे और भी मारक रियायत के केंद्र बड़े शैक्षणिक परिसर अब शिक्षा के मंदिर नहीं सियासत और साज़िश के अखाड़े। सरकारी तंत्र पर हावी संगठनात्मक षड्यंत्र।... Hindi · चिंता और चिंतन · राजनीति · विडम्बना · सामयिक 1 269 Share