Madhusudan Dixit 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Madhusudan Dixit 20 Jan 2019 · 1 min read मुक्तक गीत कैसे मधुर गुनगुनाने लगे प्रीति की रीति जग को बतान लगे वो प्रफुल्लित सदा पुष्प की गंध से बाटिकामे भ्रमर अब तो आने लगे ।। **************************** मधुसूदन दीक्षित/फतेहपुर उत्तर... Hindi · मुक्तक 471 Share Madhusudan Dixit 5 Jan 2019 · 1 min read मनुज जन्म साकार होगया मुझको यह एतबार होगया मुझको तमसे प्यार होगया मुस्कानें मुखड़े पर आयीं पीड़ाओं से पार होगया तेरी कृपा कटाक्ष मिलीतो मेरा भी उद्धार होगया प्रतिपल होता ध्यान तुम्हारा जीवन का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 233 Share Madhusudan Dixit 4 Jan 2019 · 1 min read यदि चाह रहा जीवन सुखकर यह सारा जग ही है नश्वर फिर क्यों करता है आडम्बर पूरे कर कर्म सभी अपने निष्काम कर्म मे रत रहकर सबकुछ माया परमेश्वर की तू राग द्वेष से उठ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 254 Share Madhusudan Dixit 23 Dec 2018 · 1 min read भारत माँ का गान चाहिए गीतिका मुझे न अपना मान चाहिए भारत माँ का गान चाहिए अस्ताचलगामी न बनें बस उदयाचल का ध्यान चाहिए कभी न जो खटके आँखों को वैसा ही परिधान चाहिए भेद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 251 Share Madhusudan Dixit 22 Dec 2018 · 1 min read गीतिका बने विश्व मे भारत सक्षम बने स्वयं के सम्बल भी हम नहीं दैन्यता रहे कभी भी बढ़ते जायें आगे हरदम राम कृष्ण आदर्श हमारे कभी किसी से रहें नहीं कम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 249 Share Madhusudan Dixit 22 Dec 2018 · 1 min read ज्ञान धर्म ग्रंथ कोई पढ़ो गीता या कूरान, बदलेगा कुछ भी नहीं यदि न मिटा अभिमान, ईश्वर से परिपूर्ण है यह सारा ब्रह्माण्ड, सबसे रखता प्रेम वह जिसको है यह ज्ञान।... Hindi · मुक्तक 284 Share Madhusudan Dixit 19 Dec 2018 · 1 min read कुण्डलियाँ आतंकित इस विश्व का राजा हो या रंक। करता लहू-लुहान है सबको यह आतंक।। सबको यह आतंक मिटाएं सब मिलकर हम। इन आतंकवादियों से ज्यादा हम सक्षम। विश्वशांति के लिये... Hindi · दोहा 301 Share Madhusudan Dixit 19 Dec 2018 · 1 min read राष्ट्रवाद की गंगा चार साल मे पता चला हम कहाँ गये, दुनिया मे सम्मान मिला हम जहाँ गये, गंगोत्री जैसा निर्मल अपना. नेता, राष्ट्रवाद. की गंगा मे हम नहा गये।। ?मधुसूदन दीक्षित? Hindi · मुक्तक 542 Share Madhusudan Dixit 15 Dec 2018 · 1 min read लूट की छूट जिन लोगों ने देश को लूटा सत्तर साल, हित चिंतक बन देश के ठोक रहे हैं ताल, सत्ता फिर से मिल गई फिर से होगी लूट, मिली लूट की छूट... Hindi · कविता 315 Share Madhusudan Dixit 29 Nov 2018 · 1 min read अम्मा याद बहुत आती है अम्मा याद बहुत आती है बचपन की वह प्रीति मनोहर मेरा अंतस सहलाती है अम्मा या द बहुत आती है मल मल कर नितप्रति नहलाना लोरी गाकर नित्य सुलाना रोटी... Hindi · गीत 9 8 571 Share