राकेश पाठक कठारा 40 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid राकेश पाठक कठारा 28 May 2024 · 1 min read गर्मी के दोहे सूरज दादा कर रहे,अपनी आंखें लाल म ई की गर्मी से हुए,सकल जीव बेहाल गर्मी रितु के बाद में, आएगी बरसात मन यह ऐसा सोच कर, पुलकित करता गात Hindi · दोहा 106 Share राकेश पाठक कठारा 26 May 2024 · 1 min read राही आंगे बढ़ते जाना सुख दुःख की परवाह न करना राही आंगे बढ़ते जाना मीत मिलेंगे, गीत मिलेंगे उपवन में सुन्दर पुष्प खिलेंगे पर तुम मत ललचाना राही आंगे बढ़ते जाना लाभ हानि की... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 67 Share राकेश पाठक कठारा 26 May 2024 · 1 min read प्रार्थना हे भगवान आओ मैं नहीं हम हो जाएं घोर संकट में भी हम तुम्हें ना भुलाएं हमे इतना काबिल बनाएं कि हम परोपकार कर पाएं,भूंखे भले रहें पर मांस नहीं... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 63 Share राकेश पाठक कठारा 26 May 2024 · 1 min read उठ!जाग उठ!जाग समय है शेर हिरण सा भाग एक तरफ जल है एक तरफ आग प्रतीक्षा नहीं करता समय तू भी मत कर साहस को साथ ले किसी से मत डर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 58 Share राकेश पाठक कठारा 26 May 2024 · 1 min read खेल ईश्वर ने मिट्टी के खिलौने बनाया फिर उनमें जान डाला और उनसे बोला अब एक खेल का आयोजन होगा जिसमें मैं तुम्हें देता जाऊंगा और तुम लेते जाना इसके बाद... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 59 Share राकेश पाठक कठारा 26 May 2024 · 1 min read खंभों के बीच आदमी मैंने देखा है दो खंभे है उन दो खंभों के बीच की दूरी नापता हुआ आदमी वह हर रोज़ एक खंभे से चलता है दूसरे तक पहुंचता है कभी कभी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 57 Share राकेश पाठक कठारा 26 May 2024 · 1 min read वात्सल्य भाव छोटे छोटे बच्चों की आंगन में गूंजे किलकारी मानों सुख के रंगों से वे मार रहे है पिचकारी लिए खिलोने हांथों में वे दूर दूर तक जाते हैं धूल लगाकर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 92 Share राकेश पाठक कठारा 26 May 2024 · 1 min read रिश्ते रिश्ते भगवान् बनाता है निभाना है इंसान को मगर कहां निभाता है आज का श्रवण कुमार अपने माता-पिता को तीर्थ यात्रा की जगह वृद्ध आश्रम भेजना उचित समझता है आज... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 74 Share राकेश पाठक कठारा 25 May 2024 · 1 min read नशा तुम्हें कैसा लगेगा यदि तुम्हारे शरीर में जानवर की आत्मा आ जाय यदि तुम्हारी मेहनत की कमाई कोई छीन कर ले जाए यदि लोग तुम्हारे सम्मान के खिलाफ हो जाए... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 63 Share राकेश पाठक कठारा 25 May 2024 · 1 min read मदिरा पीने वाला दिन भर की मजदूरी के पैसे लेकर जाता है जब मधुशाला अमी के जैसे लगता है उसे ज़हर का प्याला पीकर के दो चार बोतलें हो जाता है मतवाला सब... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 82 Share राकेश पाठक कठारा 25 May 2024 · 1 min read उस देश का रहने वाला हूं उस देश का रहने वाला हूं जहां सब धर्मों के लोग समानता के अधिकार के साथ रहते हैं रुप रंग,भेष भाषा कनेक है फिर भी सब एक हैं विविधता बगिया... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 60 Share राकेश पाठक कठारा 24 May 2024 · 1 min read नारी नारी शराब की बोतल नहीं है जिसे पीकर फेंक दिया जाय नारी मदारी की बंदरिया नहीं है जिसे जब चाहे जहां नचाया जाय नारी पुरुष की गुलाम नहीं है जिसे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 49 Share राकेश पाठक कठारा 24 May 2024 · 1 min read विज्ञान और मानव हम ज़हर खाते हैं पीते हैं, ज़हर में जीते है मरते नहीं जीने के लिए यह सब करते हैं विषपान करके हम शिव जैसे जीते हैं शिव नीलकंठ कहलाए और... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 58 Share राकेश पाठक कठारा 24 May 2024 · 1 min read समय का पहिया समय का पहिया घूम रहा है लगातार घड़ी के कांटे की तरह सूरज की तरह भूमि की तरह हे राही तुझे भी चलना होगा आग और पानी के साथ खाली... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 38 Share राकेश पाठक कठारा 24 May 2024 · 1 min read कमी ना थी अन्न की कमी ना थी पर जानवरों को खाने लगे पानी की कमी ना थी पर ख़ून पीने लगे कपड़ों कमी ना थी पर नंगें चलने लगे धर्म कमी ना... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 73 Share राकेश पाठक कठारा 24 May 2024 · 1 min read उम्मीद का दिया शहर के एक मुहल्ले में एक युवक ने किराया से एक कमरा लिया और उसमे रहने लगा शायद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था वह चाहता था खाली समय... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 55 Share राकेश पाठक कठारा 24 May 2024 · 1 min read यह दुनिया यह दुनिया खोया पाया केंद्र है खिलौना बनानें, बेचने और तोड़ने की दुकान है लाभ हानि , सुख दुःख दिन रात का पहिया है पुन्य पाप कमानें का साधन है... Poetry Writing Challenge-3 42 Share राकेश पाठक कठारा 23 May 2024 · 1 min read धरती का स्वर्ग खूबसूरत वन जिसके बीच सड़क बनीं है सड़क के दोनों ओर पहाड़ हैं आगे जाने पर झरना जिससे पानीं बह रहा है स्नान करने की कामना होती है पीपल की... Poetry Writing Challenge-3 35 Share राकेश पाठक कठारा 23 May 2024 · 1 min read प्रेम दिन और रात की तरह सुख दुःख आते जाते हैं परिवर्तन प्रकृति का नियम है स्वीकार करो, स्वीकार करो सब जीवों के प्रति दया भाव हो सबसे प्यार करो प्रेम... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 33 Share राकेश पाठक कठारा 23 May 2024 · 1 min read धरती को तरुओं से सजाना होगा सूखती नदियां उजड़ते जंगल वन्य जीवों का विलुप्त होना पहाड़ों का खनन किसी बड़े संकट का संकेत है विकास नहीं विनास है कभी प्रकृति को मां कहा जाता था आज... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 91 Share राकेश पाठक कठारा 23 May 2024 · 1 min read कुछ तो कहना होगा ईश्वर की असीम अनुकम्पा से देखने सुनने बोलने की शक्ति मिली आजाद देश में क्या गूंगे बहरे अंधे बनकर जीना होगा बापू की हत्या पर कुछ तो कहना होगा कब... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 34 Share राकेश पाठक कठारा 22 May 2024 · 1 min read जानवर और आदमी जानवर ही नहीं आदमी को आदमी पालतू बनाता है कुत्ता दो रोटी पाकर दुम हिलाता है गुर्राता है बात बढ़ी तो स्वामी के दुश्मन को काट खाता है धोखा देना... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 60 Share राकेश पाठक कठारा 22 May 2024 · 1 min read गांव के तीन भाई प्रेम , सहयोग, भाईचारा तीनों भाई गांव छोड़कर शहर चले गए हैं कमाने के लिए अकेलापन को छोड़ गए हैं गांव के घर की देखभाल करने केलिए हालात यह है... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 53 Share राकेश पाठक कठारा 22 May 2024 · 1 min read हे ईश्वर! क्या तुम मुझे क्षमा करोगे? हे ईश्वर! मैं नास्तिक नहीं हूं तुम्हें भली-भांति जानता नहीं हूं मगर मानता हूं संभव हो तो मुझे क्षमा कर देना क्योंकि मैं ने तुम्हें प्रसन्न करने का प्रयास छोड़... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 49 Share राकेश पाठक कठारा 22 May 2024 · 1 min read निर्णय यदि अदालत में मेरे गवाह देने से किसी निर्दोष की जान बच सकती है तो मुझे क्या करना चाहिए ? यदि भरे बाजार में द्रोपदी का चीरहरण हो तो मुझे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 38 Share राकेश पाठक कठारा 19 May 2024 · 1 min read शैतान का मजहब एक शैतान की आत्मा ने जब साधारण मनुष्य के शरीर में प्रवेश किया तब उसने उपदेश दिया न जीना है ना जीने देना है गौतम और बापू से बदला लेना... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 76 Share राकेश पाठक कठारा 5 May 2022 · 1 min read कौन है कहते तो बहुत है मगर सुनता कौन है सब नेता हैं गद्दार तो इन्हे चुनता कौन है दिखावा विलासिता के समान लाए हो मेहनत है किसकी ये गुनता कौन है Hindi · शेर 2 1 315 Share राकेश पाठक कठारा 4 May 2022 · 1 min read धार्मिक उन्माद मानव वह है जो जीवों के लिए जीकर मर जाता है मत करो हिंदू मुसलमान झगड़े इंसान डर जाता है Hindi · शेर 267 Share राकेश पाठक कठारा 4 May 2022 · 1 min read साहित्यकारों से पढ़ने से पहले पढ़ाना नहीं चाहिए साहित्यकारों को यह भुलाना नहीं चाहिए Hindi · शेर 3 330 Share राकेश पाठक कठारा 3 May 2022 · 1 min read संघर्ष संघर्ष के बिना जीवन बेकार है करो मत छोड़ो सबका अधिकार है Hindi · शेर 477 Share राकेश पाठक कठारा 3 May 2022 · 1 min read कड़वा सच हर कोई अपने आप से दिन रात लड़ रहा है पतझड़ में पादप के पत्ते सा झड़ रहा है Hindi · शेर 2 1 730 Share राकेश पाठक कठारा 3 May 2022 · 1 min read मानव तन पाया है मानव तन तो उपकार कीजिए भेद भाव भूल सबसे प्यार कीजिए Hindi · शेर 1 388 Share राकेश पाठक कठारा 3 May 2022 · 1 min read सुख दुख सुख और दुख जीवन के दो किनारे हैं मत इनकी परवाह करो ज्यों नभ के तारे हैं Hindi · शेर 1 436 Share राकेश पाठक कठारा 2 May 2022 · 1 min read कर्म गलती नहीं है ईश्वर की जिसने मनुज बनाया है कर्म प्रधान जगत में जिसने जो बोया वो पाया है Hindi · शेर 1 1 349 Share राकेश पाठक कठारा 2 May 2022 · 1 min read कहने से बिगड़ जाती है बात कई बार चुप रहने से जाग गए तुलसी जागे हनुमान अपनो के सच कहने से Hindi · शेर 1 606 Share राकेश पाठक कठारा 2 May 2022 · 1 min read इंतजार मत करना गिर जाओ तो इंतजार मत करना किसे के उठाने का चलने का हौसला रखो खुद समय नहीं देखने दिखाने का Hindi · शेर 492 Share राकेश पाठक कठारा 24 Apr 2022 · 1 min read नीति के दोहे 2 1 तुलसी , सूर , कबीर ओ रहिमन को मत भूल मिटता मन का मल और , दोहे सुंदर फूल 2 मानो अपना धर्म पर, सबका कर सम्मान ईश्वर होता... Hindi · दोहा 1 419 Share राकेश पाठक कठारा 24 Apr 2022 · 1 min read नीति के दोहे 1 अहंकार त्यागे बिना, शिक्षा दुर्लभ होय रूस और यूक्रेन का , युद्घ न टाला कोय 2 जो भी अपने आप को, छोटा लेता मान उसकी सच्ची जीत है, जाए... Hindi · दोहा 639 Share राकेश पाठक कठारा 23 Apr 2022 · 1 min read पुस्तकों की पीड़ा दोहे 1 पाठक कोई ना रहा , लेखक की भरमार बिकती है अश्लीलता, मोबाइल से प्यार 2 क्यों सच्चा साहित्य अब , बिकता नहि बाजार तुलसी सूर कबीर की, वाणी... Hindi · दोहा 1 328 Share राकेश पाठक कठारा 23 Apr 2022 · 1 min read पिता जी कुंडलियां 1 पिता आप भगवान हैं, दिया जन्म उपकार बनकर सुत हम श्रवण सा, करें सदा व्यवहार करें सदा व्यवहार, आप की सेवा लायक बनकर कर दे सिद्ध, जगत जाने... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कुण्डलिया 8 10 494 Share