Pappu Kumar Shetty Tag: कविता 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pappu Kumar Shetty 14 Aug 2021 · 1 min read मै फिर भी मुस्कुराता हूं.. जिम्मेदारियां है बहुत, जिन्हें, अब मैं अपने कंधों पर उठाता हूं. महसूस ना हो किसी को, दिल का दर्द, मैं फिर भी मुस्कुराता हूं....... मंजिल है अभी बहुत दूर,पैरों के... Hindi · कविता 1 1 685 Share Pappu Kumar Shetty 12 Apr 2021 · 1 min read अनजान मोहब्बत लाख गुनाह किए हैं मैंने जिंदगी में पर कभी कुछ चुराया नहीं. इस हंसी के पीछे का दर्द आज तक किसी को दिखाया नहीं. लोगों ने समझा मुझे मुसाफिर अनजान... Hindi · कविता 1 551 Share Pappu Kumar Shetty 16 Feb 2021 · 1 min read अंदाज़ अच्छे नहीं लगते कभी जो हो जाते हैं हम तुम्हारी अदाओं पर फिदा। तुम्हें हमारे अंदाज अच्छे नहीं लगते।। लोगों को भा जाती है फितरत हमारी। आप को हमारे लिबाज अच्छे नहीं लगते।।... Hindi · कविता 1 2 386 Share Pappu Kumar Shetty 3 Feb 2021 · 1 min read जिंदगी बदलते खत समय की चाल से कदम मिलाकर। अपनी मस्ती में चलते थे खत।। बहुत पीछे रह गया वह जमाना। जब जिंदगी बदलते थे खत।। अब हर घड़ी सोचता हूं मै ।... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 64 525 Share Pappu Kumar Shetty 10 Jan 2021 · 1 min read ममता की छांव में टूटा हुआ था घर, नहीं था कोई डर. सुना सुना वीरान था सारा नगर. बेड़ियां पड़ी थी पांव में, मैं खुश था अपनी मां की ममता की छांव में. रोते... Hindi · कविता 2 9 419 Share Pappu Kumar Shetty 8 Jan 2021 · 1 min read काश मैं पत्थर होता. काश मैं पत्थर होता.. देखकर अपनी लाचारी यू घुट घुट कर मैं ना रोता. काश मैं पत्थर होता... ना होती चिंता, ना होता डर. भूख का यह दर्दनाक मंजर ना... Hindi · कविता 5 18 545 Share Pappu Kumar Shetty 18 Dec 2020 · 1 min read मेरा लक्ष्य रुकना नहीं है मुझे, चलते मुझे जाना है न जाने कैसी कैसी बातें मेरे बारे में करता यह जमाना है. टूट जाऊंगा मैं 1 दिन, लोगों की जुबान पर यह... Hindi · कविता 1 6 366 Share Pappu Kumar Shetty 15 Dec 2020 · 1 min read कोरोना की मार गरीब लाचार कोरोना की बीमारी ने ऐसा किया वार. देखकर अपनी बेरोजगारी.. गरीब फिर से हुआ लाचार. सुनी थी सड़कें सुना था संसार. कैद था बचपन जागा मां का प्यार.. Hindi · कविता 4 13 280 Share Pappu Kumar Shetty 12 Nov 2018 · 1 min read प्यासी आंख मां की मां तूम ही संगम तुम ही सागर। तुम दिये की बाती हो।। देख मुझे तुम उदास। फिर कहा चुप रह पाती हो।। ना देखा तुम ने मुझको। बीत गया जमाना।।... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 45 442 Share