Dr. Nisha Mathur Tag: कविता 19 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr. Nisha Mathur 27 Sep 2018 · 1 min read तुम इतना जो मुस्कराती हो, तुम इतना जो मुस्कराती हो, तुम हरदम इतना जो बिंदास मुस्कराती हो, लगता है खुद से कहीं खुद को चुराती हो। शेफालिका के फूल सी निर्झर झरती हो, पाषाण को... Hindi · कविता 4 3 660 Share Dr. Nisha Mathur 12 Sep 2018 · 1 min read प्राण निमंत्रण प्राण निमंत्रण चाँद तू कुछ और निखर, अपनी चंद्रिका पे इनायत कर, उर बीच पनार के छालों को, हाथों पे सजाकर रक्खा है। प्राण का फागुन खिल रहा, मेरी सांसों... Hindi · कविता 2 1 439 Share Dr. Nisha Mathur 27 Sep 2018 · 1 min read कुछ गङबङ है!! कुछ गङबङ है!! देख रही हूं कुछ गङबङ है ये बेचैनी और ये हङबङ है!! मौहब्बत नयी दिखे,है जालिम बोली में भी तेरे खङखङ है!! बदली से ये बादल टकराया... Hindi · कविता 1 851 Share Dr. Nisha Mathur 27 Sep 2018 · 1 min read कैसे तुम बिन कैसे तुम बिन कैसे तुम बिन चैन धरूँ पिया, कैसे धङकते मन को समझाऊँ, छलक रही नैनों की गगरीया, कैसे ये गीत विरह का गाऊँ। आंगन बुहारू, मांडणा मांडू, अंग-अंग... Hindi · कविता 1 905 Share Dr. Nisha Mathur 5 Sep 2018 · 1 min read साँस साँस चंदन हो गयी साँस साँस चंदन हो गयी मैं! नीर भरी कुंज लतिका सी साँस साँस महकी चंदन हो गयी छुई अनछुई नवेली कृतिका सी पिय से लिपटन भुजंग हो गयी! अंगनाई पुरवाई... Hindi · कविता 1 1 499 Share Dr. Nisha Mathur 17 Jan 2017 · 1 min read काहे को ब्याहे महतारी ? सौंधी माटी की खुश्बू को यूं चाक चाक ढल जाने दो, छोटी सी कच्ची है गगरिया, तन को तो पक जाने दो। मधु स्मृतियों के बीच पनपते बचपन को खिल... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1 1 1k Share Dr. Nisha Mathur 18 Sep 2018 · 1 min read औरत औरत ----(विधा- छंदमुक्त स्वतंत्र) कैसे?औरत का घर के हर, कोने कोने में बसता है जीव। ख्वाबों की शालो को जीवन भर, उधेङता बुनता है जीव। एक कन्या से यौवना के... Hindi · कविता 322 Share Dr. Nisha Mathur 27 Sep 2018 · 1 min read कुनमुनी नींदे!! कुनमुनी नींदे ना जाने किस ख्याल में खोयी हुई, पलकों पे नाचती सी कुनमुनी नींदे!! तेरी यादों की मखमली चादर ओढी हुई दिल में झाँक इतराती हैं कुनमुनी नींदे!! तुझसे... Hindi · कविता 497 Share Dr. Nisha Mathur 27 Sep 2018 · 1 min read एक कमरे की जिन्दगी!!! एक कमरे की जिन्दगी!!! एक कमरे में बसर करती ये जिन्दगी जाने कहां कब क्यूं खत्म होती जिन्दगी!! खिलखिलाते से बचपन लिये खिलती कभी बहकती जवानी लिये जिन्दगी लङखङाता बुढापा... Hindi · कविता 516 Share Dr. Nisha Mathur 18 Sep 2018 · 1 min read ये इत्र सी स्त्रियां !! ये इत्र सी स्त्रियां !! (विधा- छंदमुक्त स्वतंत्र ) ये इत्र सी स्त्रियां !! महकाती फुलवारियां, रूह रूह कोने कोने, चहकती ज़िंदगियाँ !! ये इत्र सी स्त्रियां !! सुगंध की... Hindi · कविता 1 957 Share Dr. Nisha Mathur 18 Sep 2018 · 1 min read घूँघट पट से नयन झांकती घूँघट पट से नयन झांकती (विधा- छंदमुक्त स्वतंत्र)) जब चांदनी मेरी छत पे पिघले पूनम का चांद मचलता हो, जब बरखा रानी बिजुरी को छेङे मन बैचैनी में बतियाता हो,... Hindi · कविता 285 Share Dr. Nisha Mathur 18 Sep 2018 · 1 min read छोटी सी बच्ची बन जाऊं!! छोटी सी बच्ची बन जाऊं!! (विधा- छंदमुक्त स्वतंत्र ) कभी कभी दिल करता है छोटी सी बच्ची बन जाऊं छोङ तमाशा दुनियादारी का मां के आंचल छुप जाऊं!! भागूं दौङूं... Hindi · कविता 499 Share Dr. Nisha Mathur 18 Sep 2018 · 2 min read ऐ दिल जरा बचपन की गलियों से गुजर आऊं!! ऐ दिल जरा बचपन की गलियों से गुजर आऊं!! (विधा- छंदमुक्त स्वतंत्र)) ऐ दिल जरा बचपन की गलियों से गुजर आऊं गरमी की छुटियों को तगङे आलस में जी आऊं... Hindi · कविता 327 Share Dr. Nisha Mathur 12 Sep 2018 · 1 min read तीये की बैठक "तीये की बैठक" तथागत का हंसता सा चित्र पुष्प हारों से हो रहा सुवासित कोविद, आगन्तुक सभी उपस्थित अब होगा गरूण पुराण वाचित!! परिचित दिख रहे हैं गमगीन दिवंगत आत्मा... Hindi · कविता 1k Share Dr. Nisha Mathur 12 Sep 2018 · 1 min read एक कमरे की जिन्दगी!!! एक कमरे की जिन्दगी!!! एक कमरे में बसर करती ये जिन्दगी जाने कहां कब क्यूं खत्म होती जिन्दगी!! खिलखिलाते से बचपन लिये खिलती कभी बहकती जवानी लिये जिन्दगी लङखङाता बुढापा... Hindi · कविता 247 Share Dr. Nisha Mathur 3 Sep 2018 · 1 min read होठो की बंसी होठो की बंसी तू ही माला, तू ही मंतर, तू ही पूजा, तू ही मनका का कहूं के, मेरी धड़कन पे गंगाजल सी प्रीत लिखूं। तू है मधुबन में, तेरे... Hindi · कविता 370 Share Dr. Nisha Mathur 30 Aug 2018 · 1 min read हाय! खोखली तालियां!!!! हाय! खोखली तालियां!!!! अलसवेरे ढोलक की थाप, नौबत बधाईयां सुरों की सप्तक संग, और संगीत में रूबाईयां किन्नरों की किस्मत में, कैसी ये रूसवाईयां नित नित स्वांग रचाते, हाय बजाते... Hindi · कविता 287 Share Dr. Nisha Mathur 19 Mar 2018 · 1 min read सफेद साङी अवसान के समय स्वरमय पहना दिया सफेद कफन सभला दी गयी बंदिशो और प्रथाओं की ढेरों चाबियां जिस सिन्दूरी रिश्ते को वो मनुहार से जीती आयी थी वही निर्जीव नसीब... Hindi · कविता 449 Share Dr. Nisha Mathur 20 Feb 2018 · 1 min read गर्भिणी वो तिल तिल, तन मन से हार दौङती, गर्भिणी! चिंतातुर सी, बढता उदर लिये! झेलती चुभते शूल भरे अपनों के ताने, भोर प्रथम पहर उठती ढेरों फिकर लिये!! एक बच्चा... Hindi · कविता 278 Share