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खुशी से जिसे था गले से लगाया। गजल ।
निर्मला कपिला
गज़ल
निर्मला कपिला
खुद को चोट लगाये कौन ------ गज़ल
निर्मला कपिला
कमी हिम्मत में कुछ रखती नहीं मैं------- गज़ल
निर्मला कपिला
सूरत से सीरत भली सब से मीठा बोल--- दोहे
निर्मला कपिला
जीवन में कुछ खोया भी ----- गज़ल
निर्मला कपिला
दोहरे मापदंड --कहानी--- निर्मला कपिला
निर्मला कपिला
देखो न मुझ से रूठ के दिलबर चला गया --- गज़ल
निर्मला कपिला
अगरचे मैला साधू संत का किरदार हो जाये---- गज़ल
निर्मला कपिला
कवच ------कहानी --निर्मला कपिला
निर्मला कपिला
सजाया ख्वाब काजल सा वो आन्सू बन निकलता है
निर्मला कपिला
रदीफों की वफा हो हासिलों से---- गज़ल
निर्मला कपिला
हाइकु
निर्मला कपिला
रुबाइ गज़ल गुनगुनाने की रातें ----- गज़ल
निर्मला कपिला
जीवन में कुछ खोया भी ----- गज़ल
निर्मला कपिला
वो बच्चों के लिए खुद का निवाला छोड़ देती है -- गज़ल
निर्मला कपिला
वक्त के पाँव-------------------- (कहानी )
निर्मला कपिला
मिड -डे मील ------ कविता
निर्मला कपिला
हवा का झोँका - (कहानी )
निर्मला कपिला
आस्तित्व ------ कहानी --- निर्मला कपिला
निर्मला कपिला
गज़ल गुलकन्द सी मीठी लगे अन्दाज प्यारा है ---- गज़ल
निर्मला कपिला
भूख ---- लघु कथा
निर्मला कपिला
देखो न मुझ से रूठ के दिलबर चला गया --- गज़ल
निर्मला कपिला
ज़िन्दगी को मनाओ खुशी की तरह--- गज़ल
निर्मला कपिला
मैं नेता बनूंगा -- कविता--- हास्य व्यंग
निर्मला कपिला
निकल कर कहां से ये आई खबर---- गज़ल
निर्मला कपिला
माँ की संदूकची -----कविता
निर्मला कपिला
दोहे
निर्मला कपिला
व्यंग -- बुढापे की चिन्ता समाप्त ये व्यंग 3 /10/10 का है लेकिन इस बार फिर उम्मीद जगी है[ कल सपना जो आया!
निर्मला कपिला
दिल से एक पन्ना------------- संस्मरण
निर्मला कपिला
प्रेम सेतु (कहानी ) -----मेरी पुस्तक प्रेम सेतु से
निर्मला कपिला
मुझे तुमसे या दुनियां से गिला क्या ---- गज़ल -निर्मला कपिला
निर्मला कपिला
गज़ल----- निर्मला कपिला उलझनो को साथ ले कर चल रहे हैं
निर्मला कपिला
नई सुबह - कहानी -- निर्मला कपिला1
निर्मला कपिला
अखिर क्यों---- कविता ये 2010 मे लिखी गयी कविता आज भी उतनी ही प्रासंगिक है
निर्मला कपिला
सुखदा------ कहानी
निर्मला कपिला
कहानी--- गुरू मन्त्र---- निर्मला कपिला
निर्मला कपिला
दोहे
निर्मला कपिला
नाराज़ वो क्यों बैठे हैं एक गिला ले कर ---- गज़ल
निर्मला कपिला
बेखुदी मे अश्क आँखों से बहाता ही रहा मै - गज़ल
निर्मला कपिला
पूर्व पर पश्चिम का लिबास कैसा विरोधाभास ?
निर्मला कपिला
क्या होता है बचपन ऐसा
निर्मला कपिला
ऎ वरदा ऎ सौभाग्य वती,--- कविता
निर्मला कपिला
मृ्ग अभिलाशा ---हम विकास की ओर !--कविता [सुबह से पहले काव्य संग्र्ह से
निर्मला कपिला
बदल जायेगी तकदीर----- कविता
निर्मला कपिला
भगत सिंह का क्षोभ---- सुनो मेरी आत्मा की आवाज
निर्मला कपिला
उनींदे से भटकते मेरे अब अरमान लगते हैं गज़ल
निर्मला कपिला
कहानी------ कर्जदार
निर्मला कपिला
चाहतों की लाश सडती मुफ्लिसी के सामने -- गज़ल
निर्मला कपिला
*इन्विट्रो फर्टेलाईजेशन* के साईड एफेक्ट पर एक कहानी
निर्मला कपिला