Neeraj Jain 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Neeraj Jain 24 May 2021 · 1 min read अब तुझको तेरा होना है ये गैरों की जो है बस्ती, हर बात पे तेरी है हँसती। इसे क्या मतलब तेरी हस्ती से, इसको प्यारी अपनी मस्ती। यहाँ सोच सभी की अलग चले, कर गल्ती... Hindi · कविता 3 4 425 Share Neeraj Jain 13 Jan 2021 · 2 min read साल दो हज़ार बीस आए तो तुम भी थे उसी तरह पहली बार, जैसे कोई आता है लेकर नई उम्मीदें नई बहार। होने भी लगा था कुछ - कुछ तुमसे लगाव, और सजा लिए... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 18 408 Share Neeraj Jain 13 Jan 2021 · 2 min read साल दो हज़ार बीस आए तो तुम भी थे उसी तरह पहली बार, जैसे कोई आता है लेकर नई उम्मीदें नई बहार। होने भी लगा था कुछ - कुछ तुमसे लगाव, और सजा लिए... Hindi · कविता 4 13 540 Share