सिद्धार्थ गोरखपुरी Tag: कविता 82 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 सिद्धार्थ गोरखपुरी 23 Mar 2022 · 1 min read चुपके -चुपके पढ़ता है वो प्यारा सा लड़का थोड़ा रुकते -रुकते पढ़ता है मुझे पता है किताबों को वो चुपके -चुपके पढ़ता है लोग उसका उपहास उड़ाते जब कुछ भी बोला करता है अपनी... Hindi · कविता 1 330 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Mar 2022 · 1 min read बी. डी. पब्लिक स्कूल मैं शिक्षा का सारथी हूँ और ज्ञान का मूल हूँ जी हाँ, मैं ही बी. डी. पब्लिक स्कूल हूँ बच्चों के उज्वल भविष्य का संकल्प लिए स्कूलों में एक बेहतर... Hindi · कविता 419 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 8 Mar 2022 · 1 min read रूठ जाने का मन करता है मैं फिर से रूठ जाना चाहता हूँ तुमसे भी और खुद से भी रूठने की फ़ितरत नहीं है मेरी फिर भी न जाने क्यों रूठ जाना चाहता हूँ न तुम... Hindi · कविता 328 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 8 Mar 2022 · 1 min read नारी मातृशक्ति को समर्पित रचना - जिम्मेदारियों का बोझ जिसके सर होता है वही जानता है कैसे गुजर - बसर होता है घर में क्या है क्या नहीं ये जानता भी... Hindi · कविता 1 2 473 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 7 Feb 2022 · 1 min read बनारस लिख दूँ न्योछार सकल ज्ञान को करदूँ अपने विवेक से सरबस लिख दूँ मां गंगे का तीर लिखूँ और बाबा का धाम बनारस लिख दूँ बाबा विश्वनाथ की धरती तीनो लोकों से... Hindi · कविता 2 2 579 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 29 Jan 2022 · 2 min read मेरे यार फेसबुकिए मेरे यार फेसबुकिए बता दो इस समय तुम हो कहाँ मैं तुम्हें ढूंढ रहा हूँ यहाँ -वहाँ न जाने कहाँ तुम्हारा अप्रतिम सा फोटो जब भी फेसबुक पर आता था... Hindi · कविता 2 2 437 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Jan 2022 · 1 min read माँ का आँचल माँ एक बार फिर से मुझको,आँचल ओढ़ के सो जाने दे बचपन की यादें ताज़ा हो जाएँ ,बचपन में मुझको खो जाने दे माँ!तुम्हारी ममता की छाँव तले मैं अक्सर... Hindi · कविता 2 5 496 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 11 Jan 2022 · 1 min read शब्द तुम्हारे ऐ हिन्दी! तुम्हारी बदौलत बहुतों ने पाई है शोहरत हर ओर तुम्ही तुम रहो सदा हमारी है बस इतनी चाहत भाषाओं की कठिन डगर में हम नहीं खड़े मजबूर मिलेंगे... Hindi · कविता 1 337 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 11 Jan 2022 · 1 min read मुकदमा कर दूँ दिल और दिमाग़ दोनों विपरीत थे द्वन्द अंतस में चलते रहे रातभर मन ने ठाना कि प्रभु से लड़ाई करूंगा दिल ने कहा है ये छोटी बात भर दिमाग़ ने... Hindi · कविता 482 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 Jan 2022 · 1 min read बस नहीं चलता पर बस नहीं चलता खुद पर बस नहीं चलता के घर से दूर जाना हो बहुत ज्यादा कमाना घर छोटा सा हैं मेरा आलीशान ठिकाना हो पर बस नहीं चलता... Hindi · कविता 395 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 Jan 2022 · 1 min read उम्मीद की किरण समय के विषम स्थितियों में मानव फड़फड़ाता परिंदा होता है उम्मीदें खो जाने पर अंदर कुछ तो जिन्दा होता है यही तो है उम्मीद की किरण जो उपजती नहीं अकारण... Hindi · कविता 226 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 Dec 2021 · 1 min read बुका पढ़ हो जइबा बबुआ तूँ अनपढ़ पहिले से बाटा तूँ मनबढ़ अरे विद्यालय के सीढ़ी चढ़ विजयी भईया कहले रहलें सब छोड़ छाड़ के बुका पढ़ माहटर साहब का तुहे पढ़इहैँ... Hindi · कविता 210 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 Dec 2021 · 1 min read अपना प्रिय प्रिय का प्रिय बस मोबाईल है जो चेहरे पे लाता इस्माइल है जुल्फ घनेरी है प्रिय की क्या जुल्फों की स्टाईल है प्रिय जैसा प्रिय मिलना मुश्किल अरे प्रिय की... Hindi · कविता 1 1 489 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 2 Dec 2021 · 1 min read राह का रोड़ा हमारी राह में रोड़ा क़भी ज्यादा क़भी थोड़ा मिलता जरूर है बड़ा असमंजस है कि क्या रोड़े मेरे ही ख़ातिर बने हैं? क़भी भाग्य ,क़भी वक्त और कभी लोग सब... Hindi · कविता 2 2 536 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 23 Nov 2021 · 1 min read बड़े चालाक हो प्रभु बड़े चालाक हो मेरे प्रभु हर गुत्थी सुलझाए रखते हो। बस हमे ही जीवन मृत्यु के बीच यूँहीं उलझाए रखते हो। आदमी को ठोकर के बाद पथ बोध कराया करते... Hindi · कविता 3 5 378 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Nov 2021 · 1 min read माई तय करती है हम कितने क़ाबिल है ये कमाई तय करती है। हम हमेशा से क़ाबिल हैं ये बस माई तय करती है। हमारे इज्जत का पैमाना तय होता है कमाई से। हमको... Hindi · कविता 459 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 20 Nov 2021 · 1 min read गाँव का कुआं अब तो मृतप्राय हो चला जो सदियों तक जीता था। गाँव का वो प्यारा सा कुआं जहाँ हर कोई पानी पीता था। पैदल चलने वाले राही देख कुआं रुक जाते... Hindi · कविता 2 4 1k Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 19 Nov 2021 · 1 min read उल्लू सीधा कौन करता है उल्लू बना के उल्लू सीधा कौन करता है? ज्वलंत मुद्दों पर आखिर चुप कौन रहता है? जनता ने जिसको अपना आवाज बनाया। उसने न्याय के ख़ातिर कहाँ-कहाँ भटकाया। दोष सरकार... Hindi · कविता 1 2 303 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 Nov 2021 · 1 min read धरती और अम्बर जब बादल गरजा करते हैं और बिजली कड़का करती है। फिर धरती से छोटी बूंदे हँस के झगड़ा करती है। मस्त हवा का हल्का झोंका जब बदन पे आके लगता... Hindi · कविता 442 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 Oct 2021 · 1 min read आदमी आदमी का हो जाए काश के आदमी ना बदले किसी का वक्त देखकर। ये वक्त बदलता कहाँ है किसी का वक्त देखकर। वक्त क्या एक सा रहा है किसी का? तो फिर वक्त के... Hindi · कविता 708 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 Oct 2021 · 1 min read तारे रात के दामन में बिखर गए तारे। के फिर रहे हैं रात भर मारे मारे। रात बीते तो तसल्ली हो उन्हें, घबरा गए हैं इस कदर तारे। दिन में छिप... Hindi · कविता 227 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Oct 2021 · 1 min read करवा चौथ अपने प्रियतम से अनुराग का व्रत। निर्जला रहकर त्याग का व्रत। चाँद से अपने चाँद के सलामती के लिए, चाँद के दीदार तक चलता अनवरत। यह करवा चौथ है ,सुहागिनों... Hindi · कविता 1 490 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 19 Oct 2021 · 1 min read इच्छाओं का चलो आज कत्ल कर दें खुद की इच्छाओं का बहुत परेशान करतीं हैं मुझे साँझ सबेरे और रातों में भी दिन को दिन नहीं रहने देतीं और रात को रात... Hindi · कविता 1 235 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 30 Sep 2021 · 1 min read ठहरा-ठहरा जिंदगी कहीं तो पहुँचा दे , मैं ठहरा-ठहरा रहता हूँ। अब कुछ भी नहीं भाता है मुझे ,मैं गूंगा बहरा रहता हूँ। जेहन में कितने दर्द लिए ख्वाबों को कहीं... Hindi · कविता 2 564 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 30 Jul 2021 · 1 min read हे भारत के वीर पुत्र ! नमन तुम्हे हर बार रहा है हे भारत के वीर पुत्र ! नमन तुम्हे हर बार रहा है। तुम्हारे ही साहस केे बलपर ,लोगों का घर बार रहा है। भारत के शौर्य की रक्षा में तुमने... Hindi · कविता 475 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 8 Jul 2021 · 1 min read हिंदी और अंग्रेजी फूट डालो राज करो की नीति से ,हमे गुलाम कर गए। अब बारी भाषा की आ गयी है ,कि ऐसा काम कर गए। हर हिंदुस्तानी भाषा में ,अंग्रेजी शब्दों के... Hindi · कविता 3 4 546 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 14 May 2021 · 1 min read कोरोना कर गया उधड़े हुए रिश्तों को लेकर चल रहे थे लोग। और बचा - खुचा काम कोरोना कर गया। Hindi · कविता 278 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 31 Mar 2021 · 1 min read दौलत तेरी फितरत ऐसी है ,कि सबकी जुबान बदल देती है। बुराइयों का लिबास ओढ़े व्यक्ति की पहचान बदल देती है। तेरे अकूत होने से सारे दोष मिथ्या हो जाते है,... Hindi · कविता 1 334 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Mar 2021 · 1 min read थोड़ा लाइक वाइक किया करो गर्दभ स्वर के स्वर सम्राट थोड़ा माइक वाइक लिया करो। क्यो पुरा द्विचक्र से चलते हो नई बाइक वाइक लिया करो। नमस्ते कहने और मिलने से अभिवादन अब स्वीकार नहीं,... Hindi · कविता 2 308 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Mar 2021 · 1 min read जरी जईता एहि होली में वैक्सीन से कंट्रोल हो पाई, अब दम नाही बा गोली में। रंग में भंग जे पड़ी जाई त, मिठास का रही बोली में। एक साल तूँ बड़ा सतवला अब तुहके... Hindi · कविता 3 521 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Mar 2021 · 1 min read वक्त क्यूँ ठहर जाता है वक्त ,जीवन में मुश्किल और दिल में बेचैनियां लिए। लग जाता है जैसे परेशानियों का हैंड ब्रेक हाथ में जिम्मेदारियों की डोर लिए कैसे छुड़ाए हैंड... Hindi · कविता 1 372 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 23 Mar 2021 · 1 min read सावधान हो जा मतदाता अब परधानी आवत बा सब प्रत्याशी के पैर में चक्र, कुछ याद दियावत बा। सावधान हो जा मतदाता अब परधानी आवत बा। केहू के अईले से कुटुम्ब प्रसन्न ,केहू फूटी आंख न भावत बा।... Hindi · कविता 1 1 561 Share Previous Page 2