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मत पूछो यारो,कोरोना में दिन कैसे काट रहा हूँ
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बरसात के दिन भूले नहीं हम
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साजन सजनी की बरसात
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जब से हुई है उनसे मेरी मुलाकात
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न भूलेंगे हम वो बरसात की रात
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एक गजल बरसात पर
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लिखता रहा इश्क भरे खत
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माँ --आर के रस्तोगी
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पिता
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भगवान के दर्शन - एक सच्ची दर्द भरी कहानी
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क्या भगवान है ? एक सच्ची कहानी
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मासूम शिव भक्त – एक सच्ची कहानी
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मेरे पिता
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मेरी दोस्ती मेरा प्यार
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मेरी याद तुम्हे आती तो होगी
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ठंड और रजाई
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सूने सूने गीत है आज
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चंदा मामा बाल कविता
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पति पत्नी की नोक झोंक (हास्य व्यंग)
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तुमसे कोई शिकायत नही
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पत्नि जो कहे,वह सब जायज़ है
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उनकी यादें
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मेरे प्यार की किस्ती को,तुम यूही पार लगा देना --आर के रस्तोगी
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दीप का दिवाली पर सन्देश --आर के रस्तोगी
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मै भी हूं तन्हा तू भी है तन्हा
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कुछ व्यंग्य पर बिल्कुल सच
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मै पैसा हूं दोस्तो मेरे रूप बने है अनेक
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बुढ़ापे में अभी भी मजे लेता हूं
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जीवन संगनी की विदाई
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मन तेरा भी करता होगा
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बापू की पुण्य तिथि पर
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स्वर कोकिला लता जी
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छीन लिए है जब हक़ सारे तुमने
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आदमी कितना नादान है
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बताओ तो जाने
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दो जून की रोटी
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बुढ़ापे में जीने के गुरु मंत्र
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दूल्हे अब बिकते हैं (एक व्यंग्य)
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मन की फितरत
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वर्षा ऋतु में प्रेमिका की वेदना
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पढ़े लिखे खाली घूमे,अनपढ़ करे राज (हास्य व्यंग)
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नववर्ष तुम्हे मंगलमय हो
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नींबू की चाह
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भला है बुरा है मेरा पति,सुहागन मेरा ख़िताब तो है --आर के रस्तोगी
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अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है --आर के रस्तोगी
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जन्म जन्म हम साथ निभाये,तुम ऐसे बंधन में बंध जाओ -आर के रस्तोगी
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फर्ज मां बाप के प्रति
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प्रकृति व पर्यावरण
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कविताओं में मुहावरे पार्ट तीन
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पंख अपने ही फैला,जमाना उड़ान को देखता है
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