डॉ. अनिल 'अज्ञात' 68 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 डॉ. अनिल 'अज्ञात' 10 Aug 2021 · 1 min read दिल करता है दिल करता है तुमसे हरदम, अपने दिल की बात करूँ,, किया न हो जीवन में कोई, ऐसी मोहब्बत आज करूँ,, जान मेरी तुम दूर बहुत, पर एहसासों में रहती हो,,... Hindi · शेर 1 370 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 10 Aug 2021 · 1 min read मिट्टी का ज़हान अतीत मिट्टी वर्तमान मिट्टी, मिट्टी का ही ज़हान है, मिट्टी ही तो बचपनों की, ख़ूबसूरत शान है। देती जी हमको शरण, अंतकाल के बाद भी, उस पवित्र मिट्टी को, दिल... Hindi · शेर 1 232 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 10 Aug 2021 · 1 min read आप सा होगा न दूजा चेहरा है चाँद सा, नशा है मुस्कान में। जुल्फ इतनी है घनी, बादल हो आसमान में। लेखनी तो रूक गयी, क्या लिखू तारीफ में। आप सा होगा न दूजा, सारे... Hindi · शेर 1 161 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 10 Aug 2021 · 1 min read इस बार भी जल जाऊंगा तन्हा मुसाफिर हूँ, सर्द रातों में पिघल जाऊंगा। मिल सके जो रोशनी, सर-ए-आम मेरे हमदम को। हर बार जला हूँ, इस बार भी जल जाऊंगा। Hindi · शेर 1 199 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 10 Aug 2021 · 1 min read उनकी हर अदा पर उनकी हर अदा पर इक गजल लिख दूँ, सांसों को खुशबू और धड़कन को कवल लिख दूँ। नाम कर दूँ दिल की जागीर को उनके खातिर, और सारी दुनिया को... Hindi · शेर 1 417 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 10 Aug 2021 · 1 min read क्या सच में हम स्वतंत्र हुए? क्या सच में हम स्वतंत्र हुए, या देश में ही परतंत्र हुए,,,? वही व्यवस्था आज भी है, पूँजीपतियों का राज भी है, शोषण था गलत या अंग्रेज़ गलत थे, सूरज... Hindi · कविता 1 273 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 10 Aug 2021 · 1 min read परिंदे घर से निकले हैं अमन की बात पे नाखुश, हुआ करते हैं अक्सर जो, आज सरहद पे कुछ ऐसे, दरिंदे घर से निकले है। कभी ना आँच आएगी, माँ आँचल में अब तेरे, करने... Hindi · शेर 1 266 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 10 Aug 2021 · 1 min read जब से जान-ए-वफ़ा, जब से जान-ए-वफ़ा, दूर तुम हो गयी,, तब से मंजिल, अंधेरो में गुम हो गयी । मैं फिरूँ खोजता, हर गली हर डगर,, ऐ मेरी ज़िंदगी तू कहाँ खो गयी। Hindi · शेर 1 405 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 10 Aug 2021 · 1 min read सद्धर्म राम-कृष्ण और ख़ुदा गॉड, हर देव जहाँ पूजे जाते, ये अश्रुपूर्ण दुःखदाई है, माशूम वहाँ नोचे जाते। धर्मपतित हवसी कामी, सद्धर्म मूल को क्या जाने, इस लोकतंत्र में कुछ ऐसे,... Hindi · शेर 279 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 10 Aug 2021 · 1 min read दुनियां एक हकीकत है,, दुनिया एक हक़ीक़त है, इसका भी एहसास करो, दर्पण को घिसना बंद करो, अंतर्मन को साफ करो। जिसको मिथ्या कहते हो, वह भी ईश्वर का प्रकटन है, कण-कण में ग़र... Hindi · शेर 280 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 10 Aug 2021 · 1 min read जिंदगी की दौड़ में ढूँढने से नही मिलते हालात हुआ ऐसा, जिंदगी की दौड़ में सब यार खो रहे हैं। नेक है इरादा दिल भी पवित्र उनका, पर व्यस्तता का बोझ दिनरात ढो रहे... Hindi · कविता 188 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 10 Aug 2021 · 1 min read ये कैसी तरुणाई है? दिल अश्रु से ओत-प्रोत है, ग़म की बदली छायी है, भ्रमर प्रेम का रूप में उलझा, कृत्रिम हुई अंगड़ाई है, ये कैसी तरुणाई है,,,,,। पल भर के इस नश्वर तन... Hindi · कविता 340 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 10 Aug 2021 · 1 min read जमीं से रिश्ता बनाये रखिये बंजर जमीं में भी दरख़्तों को लगाए रखिये, पतझड़ में भी गुलशन को सजाये रखिये। हर उड़ान में होती है थकावट कभी-कभी, आकाश में उड़िये, पर ज़मीं से रिश्ता बनाये... Hindi · शेर 204 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 25 Mar 2023 · 1 min read सीखने की भूख (Hunger of Learn) सीखने की भूख (Hunger of Learn) मंजिल दिखती है ख्वाबों में, तो इसमें तू हैरान न हो। ख्वाब दिखे तो दिखने दो, उस पर ज्यादा परेशान न हो॥ ‘भूख’ सफ़र... Hindi · Quote Writer 300 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 10 Aug 2021 · 1 min read हम मिले भी तो ऐसे हम मिले भी तो ऐसे,अनजानी सी डगर में, अब भी रुकी थी मेरी, रूह उस नज़र में, मय्यत में मेरी वो भी, सज के संवर के आये फूलों से सजा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 182 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 9 May 2023 · 1 min read तूफ़ानों से लड़करके, दो पंक्षी जग में रहते हैं। तूफ़ानों से लड़करके, दो पंक्षी जग में रहते हैं। छोटे से घर में रहकर, सबको सिंचित करते हैं। दो प्यारे छोटे पंक्षी, अब उनके घर में शामिल हैं। उनके खातिर... Quote Writer 266 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 25 Jul 2023 · 1 min read खून-पसीने के ईंधन से, खुद का यान चलाऊंगा, खून-पसीने के ईंधन से, खुद का यान चलाऊंगा, मैं खुद आग का दरिया हूँ, ना समझो जल जाऊंगा। पूरी होगी जब तैयारी, देखेगा अम्बर सारा, वादा है तुमसे सूरज, इक... Quote Writer 189 Share डॉ. अनिल 'अज्ञात' 10 Aug 2021 · 1 min read अब कलम उठाकर लड़ना होगा जब-जब वतन-परस्त, लोगों की सत्ता आयी है। तब भारत माँ के आंचल में दुःख की बदली छायी है, जब भी बिखरे हम, देश मेरा गुलाम हुआ, जाने कितने टुकड़ों में... Hindi · कविता 359 Share Previous Page 2