मारूफ आलम Tag: कविता 15 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid मारूफ आलम 10 Jun 2022 · 1 min read तूफान फिर लौटकर आयेगा हजारों महानगर बसाये हैं हमने समुद्र की जमीनों पर कब्जा करके खेती के नाम पर पाट दिये खर्रे कब्जा लीं नदियाँ,रेत को सब्जा करके पानी तो पानी है कहीं तो... Hindi · कविता 3 1 164 Share मारूफ आलम 29 May 2022 · 1 min read दलाली का स्तर कितना ऊंचा है तुम देते हो गाली तुर्कों को लेकिन जिक्र तक नही करते अंग्रेजों का,अपनी किताबों मे और तो और तुम्हारी वाट्सएप युनिवर्सिटी मे मुगलों की बुराई तो मिल जायेगी मगर अंग्रेजो... Hindi · कविता 1 306 Share मारूफ आलम 19 May 2022 · 1 min read सवाल मर नही जायेगा मस्जिदों को ढहाने से सवाल नही मर जायेगा मंदिरों को बनाने से सवाल नही मर जायेगा सवाल फिर भी जिंदा रहेगा रहती दुनियाँ तक सवाल,बेरोजगारी का,सवाल भुखमरी का सवाल शिक्षा... Hindi · कविता 1 243 Share मारूफ आलम 21 Mar 2022 · 1 min read अंडे दिए हैं शायद दड़बों मे बटेरों ने दायरा समेट लिया चुपके से सवेरों ने कदम रख दिया हैं लगता है अंधेरों ने हमारे जाल मे हलचल काहे को होगी दरिया खंगाल लिया कब का मछेरों ने सांप... Hindi · कविता · ग़ज़ल/गीतिका 1 210 Share मारूफ आलम 4 Jan 2022 · 1 min read लोग कहते हैं सैकड़ों मुल्क हैं तुम्हारे लोग कहते हैं कि सैकड़ों मुल्क हैं तुम्हारे लेकिन फिर भी फिरते हो दर दर मारे कभी बर्मा कभी काबुल कभी फिलीस्तीन कभी यमन से भगाए जाते हो बड़ी बेकदरी... Hindi · कविता 225 Share मारूफ आलम 3 Jan 2022 · 1 min read क्योंकि वो अनमोल होते हैं मैं नही चाहता कि मुझे भीख मे दी जाऐ चंद बीघा जमीन और बदले मे छीन लिये जायें मुझसे मेरे जंगल मैं नही चाहता तितर बितर कर दिया जाये मेरा... Hindi · कविता 1 318 Share मारूफ आलम 8 Dec 2021 · 1 min read और बाकी हिरन तमाशा देखते हैं जब मुझ पर जुल्म हुआ तुम खामोश रहे जब तुम पर जुल्म हुआ मैं खामोश रहा इस खामोशी का ना तुम्हे कुछ फायदा हुआ ना मुझे कुछ फायदा हुआ अगर... Hindi · कविता 1 290 Share मारूफ आलम 29 Nov 2021 · 1 min read तुम्हारे जुल्म की हमपर कोई हद नही है तुम्हारे आंकड़ों मे हमारी कहीं गिनती नही है तुम्हारे वास्ते हम इंसान नही हैं तुम्हारी वास्ते हमारा कोई मान नही है तुम्हारी नजरों मे हमारा कोई कद नही है तुम्हारे... Hindi · कविता 2 2 406 Share मारूफ आलम 20 Nov 2021 · 1 min read चमड़े तक उधेड़ दिये जंगल पर राज करने वाले लोग जंगल से खदेड़ दिये तुमने सिर्फ इज्जतें ही नही लूटीं चमड़े तक उधेड़ दिये और इतने पर भी जुल्म तुम्हारे खत्म नही हुए तुम... Hindi · कविता 1 232 Share मारूफ आलम 17 Nov 2021 · 1 min read ना नक्सली हैं ना माओवादी हैं ना नक्सली हैं ना माओवादी हैं वतन के चराग़ हैं हम वतन की बाती हैं हम आदिवासी हैं हम आदिवासी हैं मत कुचलो पहरेदार हमे हम लूटो पहरेदार हमे मत... Hindi · कविता 3 2 331 Share मारूफ आलम 14 Nov 2021 · 1 min read ये टीस हमे चुभती है ये बात हमे काटती है लफ्ज़ चुभते हैं,जुबान काटती है क्या कहें,किससे कहें,और क्यों कहें ये हुकूमत भी अमीरों के तलवे चाटती है जनजाति का एक तगमा देकर बड़ी चालाकी से चकमा देकर हुकूमत आदिवासियों... Hindi · कविता 289 Share मारूफ आलम 13 Nov 2021 · 1 min read बहुत खलता है जब छोड़ना पड़ता है बहुत खलता है जब छोडना पड़ता है अपना घर अपना आंगन भले ही हो वो शहर मे,या गांव मे धूप मे या घने जंगल की छांव मे पक्का पलस्तर चढ़ा... Hindi · कविता 2 2 217 Share मारूफ आलम 12 Nov 2021 · 1 min read ये जंगल हमारा है जीतेंगे हर कीमत पे हम अब ये दंगल हमारा है आदिवासी हैं हम,ये जंगल हमारा है तुम ही तुम क्यों रहोगे ये पृथ्वी,ये सूरज,ये चाँद जितना तुम्हारा है उतना हमारा... Hindi · कविता 1 192 Share मारूफ आलम 4 Nov 2021 · 1 min read जैसे कि तुम मुहाज़िर हो कोई वो तुम्हें धितकारते हैं ऐसे जैसे कि तुम काफिर हो कोई जैसे ये वतन तुम्हारा ना हो जैसे कि तुम मुहाज़िर हो कोई उन्हें नफरत है तुम्हारे रंग रूप से... Hindi · कविता 1 388 Share मारूफ आलम 31 Oct 2021 · 1 min read आदिवासी तुम रहते हो सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी यहीं इन्ही जंगलों मे मगर तुम पर ये इल्जाम लगाते हैं सरकारी अमले कि तुमने काट कर जंगल विरान कर दिये और... Hindi · कविता 1 353 Share