Madhu Shah Language: Hindi 15 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Madhu Shah 25 Aug 2024 · 1 min read *न्याय दिलाओ* *न्याय दिलाओ* है संजय अब आ जाओ बंगाल की पीड़िता का आंखों देखा हाल सुनाओ यह बड़ी दुखद मौमिता की कहानी जिसे पूरी दुनिया को है सुनानी जिसकी चीखें... Hindi 36 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read बूढ़ा बापू 60 वर्ष होते ही मेरा बापू कितना मुस्कुराया था उसमें भी वटवृक्ष की तरह खडा बड़प्पन आया था सीनियर सिटीजन का हर जगह फायदा उठाया था यात्राओं में तो 40... Hindi · गुमसुम · बुढा · सहमा · सीनियर सिटीजन 1 117 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read - आम मंजरी फागुन अभी चढ़ा ही नहीं आम का पुराना पेड़ फिर फागुन गाने लगा अपनी सारी डालो को फुनुगुआ ने लगा बौर आने लगा बौर आने लगा बूढ़ा पेड़ भी यौवन... Hindi · डाल · फागुन · बौर · शोर · हवा 1 146 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read पतंग* मुझे बचपन में भी न भाता था एक पतंग को बांधकर उड़ाना उसको कठपुतली की तरह डोर से चलाना कभी ऊपर कभी नीचे ले आना पतंगों को आपस में लड़ाना... Hindi · कठपुतली · खत्म · डोर · पतंग · लड़ाना 1 114 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read शिवरात्रि प्रकृति की बारात लिए आज आई एक रात ये है माघ की महानिशा बदल देगी सारी दशा भर देगी ऊर्जा का नशा धरा से कैलाश तक हर और खुशी की... Hindi · प्रकृति · बारात · ब्याह · मंगल गीत · माघ 1 130 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read शिक्षकों को प्रणाम* आज मुझे मेरे शिखर तक ले जाने वाली मां को शत-शत प्रणाम मुझे सबसे पहले मुस्कुराना सिखाया प्रथम अक्षर ज्ञान भी मां ने ने कराया दूसरा शिक्षक पिता के रूप... Hindi · गूगल · ज्ञान · मां · लखनी · शिखर 1 75 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read मूक सड़के यह मूक सड़कें कितना बोझ ढोंयेगी पड़ गए इसकी काया में अनगिनत छाले फिर भी कभी वाहनों का बोझ सभी जनमानस का शोर सड़क के कंधे थक गए हैं ढोते-ढोते... Hindi · कंधे · भोज · मूक · वाहन · शोर 1 57 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read होली बसंत ऋतु आते ही प्रकृति का उत्सव छाया धरती रंग बिरंगी हो आई नई कलियां नई फूल ले आई प्रकृति नए रंगों से सज आयी धरा दुल्हन सी लगती चलो... Hindi · उत्सव · प्रकृति · बसंत · सूर्यास्त 1 117 Share Madhu Shah 22 May 2024 · 1 min read मुझे ना पसंद है* मुझे ना पसंद है वह पंखे की वो हवा जो वजन के अभाव में टेबल पर पड़ी हमारी कविताएं गिरा देती है मुझे ना पसंद है वो बंद दरवाजे जिसके... Hindi · टेबल · दरवाजे · नापसंद · मोहर · वजन 1 72 Share Madhu Shah 22 May 2024 · 1 min read सत्यम शिवम सुंदरम हे केदारेश्वर देख आकाश लाल बिंदी लगाए आ रहा है कभी शर्मा रहा है बादल के घुंघट में अपना मुंह छुपा रहा है हर पुष्प खिल खिला रहा है पंछी... Hindi · आकाश · केदारेश्वर · गंगातट · पंछी 1 104 Share Madhu Shah 20 May 2024 · 1 min read प्रकृति का मातृ दिवस आज देखा है वात्सल्य सृजन करती प्रकृति को मिट्टी में जन्मे बीज को उसमें भी तो वात्सल्य भरा है देखो उन पहाड़ों को जो सृजित करते हैं पेड़ पौधे पोषते... Hindi · पंछी · प्रकृति · वात्सल्य · सृजन 1 83 Share Madhu Shah 20 May 2024 · 1 min read मेरा तकिया सृष्टि की कोई रचना बेजान नहीं होती मैं और मेरा तकिया रोज बातें करते हैं जिसकी गोद सर रखकर मैं दसों घंटे गुजारती हु मेरे आत्मीय संवादों को दिल से... Poetry Writing Challenge-3 · गोद · तकिया · नींद · रात · सृष्टि 2 111 Share Madhu Shah 20 May 2024 · 1 min read बसंत पंचमी देखो केसरिया चुनर से सारी धरती सज आई बसंत पंचमी आई पीली पीली सरसों देख धरती भी मुस्काई टेसू छटा बिखेर रहे थे तितलियां बागों में आई रंग बिरंगे फूल... Poetry Writing Challenge-3 · केसरिया · कोयल · चूनर · बसंत · सरसों 2 78 Share Madhu Shah 20 May 2024 · 1 min read अनकहा जिंदगी में बहुत कुछ कहा जिंदगी में बहुत कुछ सुना फिर भी कुछ अनकहा रहा इस कहे और अनकहे के बीच एक है दरार जिसे पाटती है मेरी कविता जो... Poetry Writing Challenge-3 · अनकहा · आंखों · कविता · जिंदगी 2 89 Share Madhu Shah 20 May 2024 · 1 min read आंखों की नदी एक नदी मेरी आंखों में भी बहती है कितनी बुझी अनबुझी कहानी कहती है कितने टेढ़ी-मेढे रास्तों से गुजरती है कभी पत्थरों से टकराती है लेकिन किसी से कुछ ना... Poetry Writing Challenge-3 · आंखों · किस्से · चांद · नदी · सूरज 2 112 Share