भूरचन्द जयपाल Language: Hindi 591 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * डार्लिग आई लव यू * कल रात मैं चैन से सोया था अचानक खटिया हिलने लगी मैंने सोचा भूकम्प आ गया… मगर आँखे खोली तो देखा….. मेरी बीबी मुझ अदने से आदमी पर….. चढ़ाई कर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 100 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * क्या मुहब्बत है ? * क्या मुहब्बत है ? कभी हमने तुमसे की कभी तुमने हमसे की ना जाने कब प्यार के सागर में ज्वार आया और क्रोधरूपी हलाहल निकला ……….. मैं शिव तो नहीं... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 94 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * बचपन * गांव बचपन का भला या गांव का बचपन भला कौन जाने कब -कब किस ने किसको नहीं *** छला खेलते थे जब उछलकर पेड़ की डाली से हम बन्दरों को... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 103 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * भीम लक्ष्य ** भीम लक्ष्य था उस महा मानव का जिसने झेली तिरस्कार-पीड़ाएं और खोया अपनों को मानवहित खातिर हम आज किये हैं वाद अपने हित।। मित सीमित है स्वार्थ आज अपने विश्व... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 180 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * तेरी आँखें * आज भी मेरे अक्स को संभाले है ये तेरी आँखें देख शीशे में अपनी आँखों में आंखे डालकर नज़र आयेगी तुम्हारी आँखों में हमारी आँखें जिस्म की दूरियां भी नजदीकियां... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 102 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * बस एक तेरी ही कमी है * अब मैं अपनी बर्बादियों से क्या कहूं वो आबाद रही जीवनभर मैं भागता रहा जीवनभर और सलीका मुझे जीने का कब था मैं यूंही राहे-जिंदगी में आ गया वो मुझको... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 88 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * फर्क दिलों-जिस्म में हो ना * ** फ़िजा में आज घुली है जमाने-भर की आबे-बू कुछ क्षण गुस्ल कर लूं प्यार की बारिश में यूं।। खुदा की खुदाई आये मेरे आँचल में चुपके से मुझे ना... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 92 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * रात्रि के बाद सुबह जरूर होती है * निशा आती है दिनभर की थकान के बाद अँधेरा धीरे धीरे घना होता जाता है पर फिर भी थके हारे श्रमिक के मन को भाती है क्योकि वह दिनभर की... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 104 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * मुस्कुराते हैं हम हमी पर * मुस्कुराते हैं हम हमी पर कभी थे हम आसमां पर आज भी हैं हम जमीं पर कल क्या हो सरजमीं पर।। मुस्कुराते हैं हम हमी पर कभी थे हम आसमां... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 113 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * आख़िर भय क्यों ? * मौत के तांडव से आख़िर भय क्यों ? जिंदा इंसान कब था मरे से भय क्यों ? क्या मौत आने से ही मरता इंसान ? फिर आज ग़म-ग़मगीन इंसान क्यों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 144 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * बडा भला आदमी था * काफिला चला जा रहा था मै उसके संग चलने की कोशिश कर रहा था वो बढ़ता ही जा रहा था मुझे पीछे छोड़ते हुए किसी एक ने भी पीछे मुड़कर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 154 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * सागर किनारे * सागर किनारे खड़ी इक नदी सदी से इंतज़ार कर रही है मिलन हो ना पाया सागर से अब तक मैं तड़पूंगी कब तक अब सागर किनारे उठती है लहरे हिय-सागर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 57 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * अरुणोदय * मेट स्याह रातों की कालिख रवि उदित होता देखो कवि-हृदय- प्रकाश देखो रश्मिरथी सूरज को देखो धीरे-धीरे आता है वह सागर के तट से उबर- उबर कर किरणें फैलाता अपनी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 89 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read ** मैं शब्द-शिल्पी हूं ** मैं शब्द-शिल्पी हूंउ शब्दो को जोड़ता हूं मैं विध्वंसक नहीं जो दिलों को तोड़ता है /हूं फिर भी लोग मुझे इल्ज़ाम दिये जातें हैं मैं मोम-सा कोमल पत्थर किये जाते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 122 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read *. ईश्वर वही है * ईश्वर वही है जिसे हमने बनाया ईश्वर ने हमें नहीं बनाया क्योकि हमीं अपना ईश्वर तय करते हैं उसका रूप रंग आकृति सब कुछ लेकिन फिर भी वह हम पर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 66 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read * मैं अभिमन्यु * हर रोज चक्रव्यूह भेद निकलता हूं हर रोज महाभारत भेद निकलता हूं मैं अभिमन्यु सीखा नहीं माँ के उदर में ना खेद परिस्थितियां -पाशविक सिखलाती है मैं अभिमन्यु ना मैदान... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 129 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read ** हूं रूख मरुधरा रो ** हूं रूख मरुधरा रो केर नाम है म्हारो विषम सूं विषम टेम में भी मैं ऊभो रहूं ***** अकास म्हारी ओर देखे है टुकुर-टुकुर अर सोचे मन में ओ बिरखा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 75 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read *होंश खोकर जिंदगी कभी अपनी नहीं होती* मत कर खत्म जिंदगी की महक महखाने में जाकर लौट कर जब तलक आयेगा चूमेंगे तुम्हारा वदन गली के सब श्वान मिलकर महक का आभास लेंगे गिरकर गली के उस... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 106 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 2 min read * एक ओर अम्बेडकर की आवश्यकता * एक ऐसा शख़्स जो अभावो में पला यह नहीं कह सकते हम क्योंकि वह अभावों को ठेलता हुआ आगे निकला वक्त का सीना चीरते समाज-ए-चिराग सा वक्त के सघन अँधेरे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 86 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read * यह टूटती शाखाऐं है * *** यह उस पेड़ की टूटती हुई शाखाऐं है वृद्ध हो चुका है वह जीर्ण हो चुका है यह शाखाऐं छोड़ती हुई नज़र आती है उसे अपने में समाये रखने... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 77 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 2 min read * ये संस्कार आज कहाँ चले जा रहे है ? * ** ये संस्कार आज कहाँ चले जा रहे है हम आज ख़ुद-ब-खुद छले जा रहे हैं पाते संस्कार शाला-परिवार पा रहे हैं सुसंस्कार – कारखाने कहां जा रहे हैं।। *****... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 119 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read * शब्दों की क्या औक़ात ? * शब्दों की क्या औकात वक्त बोलता है वक्त का मारा कहां-कहां नहीं डोलता है आदमी जुबां कब खोलता है बेचारा नपा-तुला ही बोलता है ।। वक्त मज़बूत कर देता आदमी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 86 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read * चतु-रंग झंडे में है * चतु-रंग झंडे में है तीन जिसमें अहम चौथा रंग रहा गौण इनको बड़ा अहम विकास-चक्र चलता वह नील- रंग है रंगों-रंग पिसता-घिसता नील है अहम।। वह अशोक-चक्र सबका का करता... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 77 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read ऐ पत्नी ! ऐ पत्नी ! तुम अज़ब ग़ज़ब हो रहता पास जब मैं तेरे तो, तुम ज़ुल्म ढहाती हो जुबां से तुम कनफोड़वा-सी कान फोड़ती ।। ऐ पत्नी ! तुम ग़ज़ब ढहाती... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 149 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read * मेरी पत्नी * मेरी पत्नी आज-कल बहुत पढ़ती है मन ही मन बहुत कुछ,कुछ गढ़ती है नाख़ुश जो आजकल मुझसे रहती है कविता मेरी ही रटरट बहुत पढ़ती है।। गढ़ती है मन में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 167 Share भूरचन्द जयपाल 12 Feb 2024 · 3 min read ज्ञान सागर गतांक से आगे धर्मदास जी कहते हैं कि मुझे बताओ कि कैसे पुरूष वह लोक बनाया साहेब कबीर वचन सृष्टि के प्रारम्भ में पुरूष यानि परमात्मा अद्वेत अर्थात अकेले थे... Hindi · लेख 108 Share भूरचन्द जयपाल 12 Feb 2024 · 3 min read अथ ज्ञान सागर सोरठा- सत्य नाम है सार,बूझो संत विवेक करी। उतरो भव जल पार, सतगुरू को उपदेश यह ।। सतगुरू दीनदयाल, सुमिरो मन चित एक करि छेड़ सके नहीं काल,अगम शब्द प्रमाण... Hindi · लेख 1 104 Share भूरचन्द जयपाल 11 Feb 2024 · 2 min read कबीर ज्ञान सार भक्ति पद्धति को कबीर से अच्छा कोई समझ सका है ना समझा सका है , मैं केवल कबीर ज्ञान का अति संक्षिप्त ज्ञान जो मेरी बुद्धि और आत्मा की पकड़... Hindi · लेख 1 703 Share भूरचन्द जयपाल 12 Jul 2021 · 1 min read आपसे सुंदर आपसे सुंदर कोई हो नहीं सकता ये जज़्बात है मेरे, मेरा हो नहीं सकता तेरे पहलू में ना बैठूँ ये अब हो नहीं सकता आपसे सुंदर कोई हो नहीं सकता... Hindi · गीत 1 588 Share भूरचन्द जयपाल 15 May 2021 · 1 min read सूखी डाली है सूखी डाली है उस पर भी हरियाली है बाहर-टूटे हो तोभी अंदर -बलिहारी है बाहर नहीं जीवटता तो तुम्हारे अंदर है जी-कर देखो जीवन फिर हरियाली है।। ?मधुप बैरागी Hindi · मुक्तक 1 1 632 Share भूरचन्द जयपाल 2 May 2021 · 1 min read ये मौत का ताण्डव ये मौत का ताण्डव फिर भी तुम नहीं सुधरे अधर-धरे ज़हर-प्याला विश-ज्वाला हरे विश्वास वायू ।। फिर कौन बचाये हर हवाला विश पी गये हर, हरि ने किया छल बताओ... Hindi · कविता 865 Share भूरचन्द जयपाल 21 Apr 2021 · 1 min read आख़िर भय क्यों ? मौत के तांडव से आख़िर भय क्यों ? जिंदा इंसान कब था मरे से भय क्यों ? क्या मौत आने से ही मरता इंसान ? फिर आज ग़म-ग़मगीन इंसान क्यों... Hindi · कविता 3 496 Share भूरचन्द जयपाल 10 Apr 2021 · 1 min read तुम मुझे याद करती हो तुम मुझे याद करती हो मुझे पता है दिल-फ़रियाद करती हो मुझे पता है रूह तड़फती है तेरी मेरे लिए माशूक जी-मरती-मर-जीती हो मुझे पता है।। ?मधुप बैरागी Hindi · मुक्तक 1 608 Share भूरचन्द जयपाल 4 Apr 2021 · 1 min read तोड़ता अपनों को वो भला हो सकता है ? अपनों से बुरा भला कौन हो सकता है अपनों से भला बुरा कौन हो सकता है वो कौनसी ताक़त अपनो से जोड़ती है तोड़ता अपनों को वो भला हो सकता... Hindi · मुक्तक 1 556 Share भूरचन्द जयपाल 1 Apr 2021 · 1 min read ऐ पत्नी ! ऐ पत्नी ! ........ ऐ पत्नी ! तुम अज़ब ग़ज़ब हो रहता पास जब मैं तेरे तो, तुम ज़ुल्म ढहाती हो जुबां से तुम कनफोड़वा-सी कान फोड़ती ।। ऐ पत्नी... Hindi · कविता 1 585 Share भूरचन्द जयपाल 28 Feb 2021 · 1 min read आपको हमनें दिल में टैग कर रखा है आपको हमनें दिल में टैग कर रखा है आपको हमनें दिल से टैग कर रखा है हमेशा मुस्कुराता चेहरा देखूं आपका आपने हमें अपने दिलकैद कर रखा है।। ?मधुप बैरागी Hindi · मुक्तक 1 397 Share भूरचन्द जयपाल 24 Sep 2020 · 1 min read ये बेचारी ग़म दुनियाँ दुनियाँ चेलैंज देती है हमको और हम दुनियाँ जाने ना अब हमें, तो है ये बेचारी ग़म दुनियाँ दुनियाँ निकालेगी चाहेगी गिन- गिन कमियाँ मिल भी जाये तो क्या है... Hindi · मुक्तक 2 347 Share भूरचन्द जयपाल 16 Sep 2020 · 1 min read दुनियाँ को जाने दो अब यारों यूं दोस्त हमसे रूठा नहीं करते यूं दोस्त दर्द छुपाया नहीं करते दुनियाँ को जाने दो अब यारों यूं यारों से दर्द बयां नहीं करते ।। मधुप बैरागी Hindi · मुक्तक 1 348 Share भूरचन्द जयपाल 3 Aug 2020 · 6 min read गीता आत्मतत्त्व सार ( क्रमशः) प्राक्कथन भगवद्गीता समस्त वैदिक ज्ञान का नवनीत है। ------------------------------------------------------ ओउम श्री परमात्मने नम: श्री गुरूवाये नम: ऊँ अज्ञान तिमिरांधस्य ज्ञानञ्जनशलाकया । चक्षुरुमिलितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमः ।। मैं घोर... Hindi · लेख 4 4 841 Share भूरचन्द जयपाल 30 Jul 2020 · 1 min read मेरी पत्नी मेरी पत्नी आज-कल बहुत पढ़ती है मन ही मन बहुत कुछ,कुछ गढ़ती है नाख़ुश जो आजकल मुझसे रहती है कविता मेरी ही रटरट बहुत पढ़ती है।। गढ़ती है मन में... Hindi · कविता 4 2 877 Share भूरचन्द जयपाल 30 Jul 2020 · 1 min read वो भूलकर भी फिर भूल करते हैं कल तल जो लोग झुककर सलाम करते थे हमको वो आज सोचते , हाशिये पर धकेल दिया है हमको वो भूलकर भी फिर भूल करते हैं धूल करते हैं ख़ुद... Hindi · मुक्तक 1 2 572 Share भूरचन्द जयपाल 30 Jul 2020 · 1 min read क़त्लकर देर ना कर क़ातिल क़त्लकर देर ना कर सुबह -ए- शाम महर ना कर क़हर बरपाना है तो जल्दी-२ क़त्ल हुए को तो क़त्ल ना कर ।। ?मधुप बैरागी Hindi · मुक्तक 2 2 508 Share भूरचन्द जयपाल 25 May 2020 · 1 min read लोग जले तो जले दिल लगाया है आप से हमने अब कहां ढूंढ़े दूजा ठिकाना लोग जले तो जले अपनी बला से छोड़ा जाय ना बेवजह मुस्कुराना।। ?मधुप बैरागी Hindi · मुक्तक 1 324 Share भूरचन्द जयपाल 23 May 2020 · 1 min read अन्तस् पीड़ा अन्तस् पीड़ा अब बखान कर दीजिए अजीज हो विश्वश्त तो कह दीजिए घुटन सहने से अच्छा है कहना जनाब लीजिए ना दिल पर मरहम कीजिए ।। ? मधुप बैरागी Hindi · मुक्तक 1 578 Share भूरचन्द जयपाल 8 May 2020 · 1 min read लॉकडाउन लॉकडाउन अच्छी बात है कीजिए मगर ..जनता को तो जीने दीजिए ! कब तक आखिर कब तक घरों में रोकोगे बेकाम बेबश जनता...कोरोना को रोकोगे ? लॉकडाउन अच्छी बात है... Hindi · कविता 3 1 450 Share भूरचन्द जयपाल 2 Feb 2020 · 1 min read मुहब्बत मुहब्बत दोस्तों का ईमान होती है मुहब्बत ही दोस्तों की जान होती है परवाह दुनियां की किसको है अब जब मुहब्बत में रजा रब की होती है ।। ?मधुप बैरागी Hindi · मुक्तक 2 1 421 Share भूरचन्द जयपाल 23 Jan 2020 · 1 min read ये दिल अज़ब- गज़ब इस अजब मुस्कुराहट पे तो ये दिल वारा है कौन जाने अब फिर भी ये दिल कुं -वारा है नाज़ - नख़रे भी तुम्हारे कितने अजब हैं शायद ये दिल... Hindi · मुक्तक 2 482 Share भूरचन्द जयपाल 23 Jan 2020 · 1 min read तीर चल गया सन्नन सा आँखों से तीर चल गया ना जाने किसका सितारा ढल गया सौख नजरों से बच के निकल जाना अब ना जाने दिन किसका ढल गया ।। ?मधुप बैरागी Hindi · मुक्तक 2 573 Share भूरचन्द जयपाल 23 Jan 2020 · 1 min read जिंदगी क्या है जिंदगी क्या है , मौत क्या है , मुफ्त दवा है मुफ्त सलाह है,बस जीने की मुफ्त सलाह है साथ जिंदगी निभाती है कब तलक दवा है मौत-विश्राम है जिंदगी... Hindi · मुक्तक 2 514 Share भूरचन्द जयपाल 21 Jan 2020 · 1 min read बडा भला आदमी था काफिला चला जा रहा था मै उसके संग चलने की कोशिश कर रहा था वो बढ़ता ही जा रहा था मुझे पीछे छोड़ते हुए किसी एक ने भी पीछे मुड़कर... Hindi · कविता 4 1 480 Share Page 1 Next