मधुसूदन गौतम Tag: कविता 68 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 मधुसूदन गौतम 2 Apr 2017 · 1 min read सखी बात हुई तुमसे री सखी। सारी बाते ही तुम्हे लिखी। पर देखो किस्मत का फेर सारी बातें कही और दिखी। नाम तुम्हारा देख न पाया। अति आनदं था मन समाया।... Hindi · कविता 676 Share मधुसूदन गौतम 30 Mar 2017 · 2 min read मेरा राजस्थान राजस्थान दिवस पर मेरी कलम घिसाई ******************************** अपने राजस्थान की गाथा सुनाता जितनी मुझे याद हे उतनी बताता। 1*उद्गम* एक नवम्बर 56को अस्तित्व में आया है। राजस्थान नाम तबसे इसने... Hindi · कविता 3 1 5k Share मधुसूदन गौतम 28 Mar 2017 · 2 min read प्रतिपदा प्रपंच अकडूमल एवं झगडूमल आज सुबह नाई की दुकान पर मिले। अभिवादन हुआ। अकडू बोला यार आज से नवरात्रि चालू हो जायेगी। नव वर्ष लग जाएगा तो सोचा सेविंग बनवा ही... Hindi · कविता 347 Share मधुसूदन गौतम 15 Mar 2017 · 1 min read कुछ कुछ रंग दर्द में डूबे है। कुछ दर्द निमग्न है रंगो में। कुछ दर्द छलकते जामो में। कुछ रंग बिखरे सत्संगो में। कुछ रंग पलाशी निखरे है। कुछ होली वाले... Hindi · कविता 354 Share मधुसूदन गौतम 14 Mar 2017 · 2 min read होली संजू बिन उसको कितना था प्यार इस होली के त्यौहार से। उठते ही जो सुबह सुबह ही आ जाता था प्यार से। रंग उड़ाता मस्ती करता वो डांट मार भी खाता था।... Hindi · कविता 471 Share मधुसूदन गौतम 8 Mar 2017 · 2 min read मंत्रमुग्ध(एक श्रृंगार कविता) * यात्रा में * मन्त्र मुग्ध सा मन मेरा अवलोकित उसको करता हे। पल पल पलक झुकाता हे शायद थोडा सा डरता हे। भाल रिक्त अलंकरण से पर अलंकार भी... Hindi · कविता 311 Share मधुसूदन गौतम 7 Mar 2017 · 1 min read चाय बनाई तो बनाई मैने चाय बनाई तो बनाई। नही बनाई तो नही बनाई। तुम्हारे पैसे तुम रखो जी मुझे नही करनी कमाई। मै तो अपने हिसाब से बनाता हूँ। मेरी रेट में ही... Hindi · कविता 738 Share मधुसूदन गौतम 30 Jan 2017 · 2 min read गांधी बापू *रघुपति राघव राजाराम* ********************* आदरणीय महात्मा गाँधी जी परम्परागत अहिंसावादी जी। मै आपसे एक बात पूछूं। कि में आपको क्यों पूजूं। यहाँ हिन्द में अजीब रस्में हैं। सभी आपकी खाते... Hindi · कविता 281 Share मधुसूदन गौतम 29 Jan 2017 · 1 min read अभिव्यक्ति की आज़ादी *त्वरित कलम घिसाई* तुम्हे फ़िल्म बनाना आता है। हमे हाथ चलाना आता है। इसमें अलग कोई बात नही । सबको समझाना आता है। हुनर अपना अपना है जी। बात यह... Hindi · कविता 493 Share मधुसूदन गौतम 27 Jan 2017 · 1 min read तोतो को रटा दिया त्वरित कलम घिसाई *********************** कुछ तोतो को रटा दिया सबसे बड़ा एक मन्त्र। यह देश हमारा है लोगो अमर रहे गणतन्त्र। बस तबसे सारे ही तोते इसे दोहराये जाते है।... Hindi · कविता 299 Share मधुसूदन गौतम 25 Jan 2017 · 1 min read गणतन्त्र पर कलम घिसाई कलम घिसाई गणतन्त्र पर ************************ गणतन्त्र कहूँ जनतन्त्र कहूँ। या फिर होकर स्वतन्त्र कहूँ। कुछ भी बोलूँ पर डरता हूँ। बेहतर है खुद को यन्त्र कहूँ। 1 मैंने वृद्धा से... Hindi · कविता 1 313 Share मधुसूदन गौतम 25 Jan 2017 · 1 min read गणतन्त्र मेरी कुछ वर्ष पूर्व की कलम घिसाई ************************ गणतन्त्र कहूँ जनतन्त्र कहूँ। या फिर होकर स्वतन्त्र कहूँ। कुछ भी बोलूँ पर डरता हूँ। बेहतर है खुद को यन्त्र कहूँ। 1... Hindi · कविता 220 Share मधुसूदन गौतम 11 Jan 2017 · 1 min read बिटिया वचन ÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷ पापा मुझे कुछ कहना है। बातें हमेशा करती हूँ। पर आज अलग ही करना है। पापा मैं आपकी बेटी हूँ। आज बड़ी पोस्ट पर बैठी हूँ । क्यों ?... Hindi · कविता 795 Share मधुसूदन गौतम 4 Jan 2017 · 2 min read सोलहवा साल सोलहवें साल की अंतिम कलम घिसाई ÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷ अठारह मात्रिक ।कहीं पर लय भंग हो सकती है। ÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷ साल सोलहवे तुझे याद करूँ। तेरा दिल से मैं साधुवाद करूँ। जाने अनजाने... Hindi · कविता 220 Share मधुसूदन गौतम 14 Dec 2016 · 1 min read दुर्मिल सवैया दुर्मिल सवैया 8 सगण कलम घिसाई दुर्मिल छंद 4 सगण प्रत्येक पंक्ति। ****************************** पतवार लियो जब हाथ सखा, जलधार बही मञ्झधार सखा। सबको मरना शत बार सखा, लगता जब जीवन... Hindi · कविता 363 Share मधुसूदन गौतम 14 Dec 2016 · 1 min read शिखरनी छंद कभी आओ मेरे घर पर बहाना कुछ बना | तभी जानो मेरे सुख दुःख रहूँ क्यों अनमना | सभी बातों का सार मधु तुमको शायद मिले| बिना तेरे ये जीवन... Hindi · कविता 628 Share मधुसूदन गौतम 1 Jul 2016 · 1 min read कलम घिसाई 3 आज मै ऊँचे आसन पर आज मैं ऊँचे आसन पर मसनद के सहारे बैठा हूँ। देख जमीन पर लोगो को खूब घमन्ड में ऐंठा हूँ। * इस आसन पर चढ़ने में पर कितना जियादा गिरा... Hindi · कविता 432 Share मधुसूदन गौतम 28 Jun 2016 · 1 min read कलम घिसाई 2 **वक्त** वक्त वक्त की बात है आये सबका वक्त। वक्त जिसके साथ नही वो ही है कमबख्त।। * कमबख्त है वो जिसका गया हाथ से वक्त। वीर होता वो ही जो... Hindi · कविता 578 Share Previous Page 2