Tag: ग़ज़ल/गीतिका
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ग़ज़ल(शाम ऐ जिंदगी)
मदन मोहन सक्सेना
दो पल की जिंदगी
मदन मोहन सक्सेना
ख्बाबों में अक्सर वह हमारे पास आती है
मदन मोहन सक्सेना
देखना है गर उन्हें ,साधारण दर्जें की रेल देखिये
मदन मोहन सक्सेना
आजकल का ये समय भटका हुआ है मूल से
मदन मोहन सक्सेना
अब सन्नाटे के घेरे में ,जरुरत भर ही आबाजें
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल (किस ज़माने की बात करते हो )
मदन मोहन सक्सेना
किस को गैर कहदे हम और किसको मान ले अपना
मदन मोहन सक्सेना
तन्हा रहता है भीतर से बाहर रिश्तों का मेला है
मदन मोहन सक्सेना
क्या बताएं आपको हम अपने दिल की दास्ताँ
मदन मोहन सक्सेना
दौलत आज है तो क्या , आखिर कल तो जानी है
मदन मोहन सक्सेना
रिश्तों को निभाने के अब हालात बदले हैं
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल( बीते कल को हमसे वो अब चुराने की बात करते हैं)
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल (दुनियाँ जब मेरी बदली तो बदले बदले यार दिखे)
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल ( शायद दर्द से अपने रिश्ते पुराने लगते हैं)
मदन मोहन सक्सेना
तुम्हारा साथ जब होगा नजारा ही नया होगा
मदन मोहन सक्सेना
मेरे दिलबर तेरी सूरत ही मुझको रास आती है
मदन मोहन सक्सेना
कौन साथ ले जा पाया है रुपया पैसा महल अटारी
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल (दोस्त अपने आज सब क्यों बेगाने लगतें हैं)
मदन मोहन सक्सेना
पैसों की ताकत के आगे गिरता हुआ जमीर मिला
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल(ये रिश्तें काँच से नाजुक)
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल( उम्र भर जिसको अपना मैं कहता रहा)
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल ( इस आस में बीती उम्र कोई हमें अपना कहे)
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल (चलो हम भी बोले होली है तुम भी बोलो होली है )
मदन मोहन सक्सेना
मेरी ग़ज़ल
मदन मोहन सक्सेना
गज़ल (सभी पाने को आतुर हैं , नहीं कोई चाहता देना)
मदन मोहन सक्सेना
(ग़ज़ल/गीतिका)मुझे दिल पर अख्तियार था ये कल की बात है
मदन मोहन सक्सेना
मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -३ अंक २ ,नवम्बर २०१६ में
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल (रिश्तों के कोलाहल में ये जीवन ऐसे चलता है )
मदन मोहन सक्सेना
मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -३ अंक १ ,अक्टूबर २०१६ में प्रकाशित
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल (जिसे देखे हुए हो गया अर्सा मुझे)
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल ( मुहब्बत है इश्क़ है प्यार है या फिर कुछ और )
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल ( क्या जज्बात की कीमत चंद महीने के लिए है )
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल( समय से कौन जीता है समय ने खेल खेले हैं)
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल (गज़ब हैं रंग जीबन के)
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल (निगाहों में बसी सूरत फिर उनको क्यों तलाशे है )
मदन मोहन सक्सेना
मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -२ , अंक ११ ,अगस्त २०१६ में प्रकाशित
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल (आये भी अकेले थे और जाना भी अकेला है)
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल ( खुद से अनजान)
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल (लाचारी )
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल (मुसीबत यार अच्छी है)
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल (ये जीबन यार ऐसा ही )
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल (आज के हालात )
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल (अब समाचार ब्यापार हो गए )
मदन मोहन सक्सेना
गज़ल (ये कैसा परिवार)
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल(ये किसकी दुआ है )
मदन मोहन सक्सेना
गज़ल (कुदरत)
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल (मेरे मालिक मेरे मौला )
मदन मोहन सक्सेना
ग़ज़ल (चार पल)
मदन मोहन सक्सेना
गज़ल (बात करते हैं )
मदन मोहन सक्सेना