मदन मोहन सक्सेना Tag: ग़ज़ल/गीतिका 105 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid मदन मोहन सक्सेना 10 Feb 2022 · 1 min read ग़ज़ल(शाम ऐ जिंदगी) ग़ज़ल(शाम ऐ जिंदगी) आँख से अब नहीं दिख रहा है जहाँ ,आज क्या हो रहा है मेरे संग यहाँ माँ का रोना नहीं अब मैं सुन पा रहा ,कान मेरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 183 Share मदन मोहन सक्सेना 8 Feb 2022 · 1 min read दो पल की जिंदगी दो पल की जिंदगी देखा जब नहीं उनको और हमने गीत नहीं गाया जमाना हमसे ये बोला की फागुन क्यों नहीं आया फागुन गुम हुआ कैसे ,क्या तुमको कुछ चला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 255 Share मदन मोहन सक्सेना 6 Jun 2018 · 1 min read ख्बाबों में अक्सर वह हमारे पास आती है दिल के पास है लेकिन निगाहों से जो ओझल है ख्बाबों में अक्सर वह हमारे पास आती है अपनों संग समय गुजरे इससे बेहतर क्या होगा कोई तन्हा रहना नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 232 Share मदन मोहन सक्सेना 17 May 2018 · 1 min read देखना है गर उन्हें ,साधारण दर्जें की रेल देखिये साम्प्रदायिक कहकर जिससे दूर दूर रहते थे राजनीती में कोई अछूत नहीं ,ये खेल देखिये दूध मंहगा प्याज मंहगा और जीना मंहगा हो गया छोड़ दो गाड़ी से जाना ,मँहगा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 365 Share मदन मोहन सक्सेना 8 May 2018 · 1 min read आजकल का ये समय भटका हुआ है मूल से प्यार की हर बात से महरूम हो गए आज हम दर्द की खुशबु भी देखो आ रही है फूल से दर्द का तोहफा मिला हमको दोस्ती के नाम पर दोस्तों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 572 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Apr 2018 · 1 min read अब सन्नाटे के घेरे में ,जरुरत भर ही आबाजें कंक्रीटों के जंगल में नहीं लगता है मन अपना जमीं भी हो गगन भी हो ऐसा घर बनातें हैं ना ही रोशनी आये ,ना खुशबु ही बिखर पाये हालत देखकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 224 Share मदन मोहन सक्सेना 11 Apr 2018 · 1 min read ग़ज़ल (किस ज़माने की बात करते हो ) किस ज़माने की बात करते हो रिश्तें निभाने की बात करते हो अहसान ज़माने का है यार मुझ पर क्यों राय भुलाने की बात करते हो जिसे देखे हुए हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 409 Share मदन मोहन सक्सेना 23 Mar 2018 · 1 min read किस को गैर कहदे हम और किसको मान ले अपना दुनिया में जिधर देखो हजारो रास्ते दीखते मंजिल जिनसे मिल जाए बह रास्ते नहीं मिलते किस को गैर कहदे हम और किसको मान ले अपना मिलते हाथ सबसे हैं दिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 430 Share मदन मोहन सक्सेना 22 Mar 2018 · 1 min read तन्हा रहता है भीतर से बाहर रिश्तों का मेला है पैसोँ की ललक देखो दिन कैसे दिखाती है उधर माँ बाप तन्हा हैं इधर बेटा अकेला है रुपये पैसोँ की कीमत को वह ही जान सकता है बचपन में गरीवी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 250 Share मदन मोहन सक्सेना 19 Mar 2018 · 1 min read क्या बताएं आपको हम अपने दिल की दास्ताँ मिली दौलत ,मिली शोहरत,मिला है मान उसको क्यों मौका जानकर अपनी जो बात बदल जाता है किसी का दर्द पाने की तमन्ना जब कभी उपजे जीने का नजरिया फिर उसका... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 454 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Mar 2018 · 1 min read दौलत आज है तो क्या , आखिर कल तो जानी है हर लम्हा तन्हाई का एहसास मुझको होता है जबकि दोस्तों के बीच अपनी गुज़री जिंदगानी है क्यों अपने जिस्म में केवल ,रंगत खून की दिखती औरों का लहू बहता ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 258 Share मदन मोहन सक्सेना 6 Mar 2018 · 1 min read रिश्तों को निभाने के अब हालात बदले हैं दीवारें ही दीवारें नहीं दीखते अब घर यारों बड़े शहरों के हालात कैसे आज बदले है. उलझन आज दिल में है कैसी आज मुश्किल है समय बदला, जगह बदली क्यों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 219 Share मदन मोहन सक्सेना 20 Feb 2018 · 1 min read ग़ज़ल( बीते कल को हमसे वो अब चुराने की बात करते हैं) सजाए मौत का तोहफा हमने पा लिया जिनसे ना जाने क्यों वो अब हमसे कफ़न उधार दिलाने की बात करते हैं हुए दुनिया से बेगाने हम जिनके इक इशारे पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 295 Share मदन मोहन सक्सेना 28 Dec 2017 · 1 min read ग़ज़ल (दुनियाँ जब मेरी बदली तो बदले बदले यार दिखे) ग़ज़ल (दुनियाँ जब मेरी बदली तो बदले बदले यार दिखे) हिन्दू देखे ,मुस्लिम देखे इन्सां देख नहीं पाया मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में आते जाते उम्र गयी अपना अपना राग लिए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 402 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Dec 2017 · 1 min read ग़ज़ल ( शायद दर्द से अपने रिश्ते पुराने लगते हैं) वो हर बात को मेरी क्यों दबाने लगते हैं जब हक़ीकत हम उनको समझाने लगते हैं जिस गलती पर हमको वो समझाने लगते है उस गलती को फिर क्यों दोहराने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 327 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Oct 2017 · 1 min read तुम्हारा साथ जब होगा नजारा ही नया होगा तुम्हारी याद जब आती तो मिल जाती ख़ुशी हमको तुमको पास पायेंगे तो मेरा हाल क्या होगा तुमसे दूर रह करके तुम्हारी याद आती है मेरे पास तुम होगे तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 413 Share मदन मोहन सक्सेना 12 Oct 2017 · 1 min read मेरे दिलबर तेरी सूरत ही मुझको रास आती है जुदा हो करके के तुमसे अब ,तुम्हारी याद आती है मेरे दिलबर तेरी सूरत ही मुझको रास आती है कहूं कैसे मैं ये तुमसे बहुत मुश्किल गुजारा है भरी दुनियां... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 303 Share मदन मोहन सक्सेना 11 Oct 2017 · 1 min read कौन साथ ले जा पाया है रुपया पैसा महल अटारी कौन किसी का खाता है अपनी किस्मत का सब खाते मिलने पर सब होते खुश हैं ना मिलने पर गाल बजाते कौन साथ ले जा पाया है रुपया पैसा महल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 306 Share मदन मोहन सक्सेना 19 Sep 2017 · 1 min read ग़ज़ल (दोस्त अपने आज सब क्यों बेगाने लगतें हैं) जब अपने चेहरे से नकाब हम हटाने लगतें हैं अपने चेहरे को देखकर डर जाने लगते हैं वह हर बात को मेरी क्यों दबाने लगते हैं जब हकीकत हम उनको... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 268 Share मदन मोहन सक्सेना 12 Sep 2017 · 1 min read पैसों की ताकत के आगे गिरता हुआ जमीर मिला सपनीली दुनियाँ मेँ यारों सपनें खूब मचलते देखे रंग बदलती दूनियाँ देखी ,खुद को रंग बदलते देखा सुबिधाभोगी को तो मैनें एक जगह पर जमते देख़ा भूखों और गरीबोँ को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 304 Share मदन मोहन सक्सेना 11 May 2017 · 1 min read ग़ज़ल(ये रिश्तें काँच से नाजुक) ग़ज़ल(ये रिश्तें काँच से नाजुक) ये रिश्तें काँच से नाजुक जरा सी चोट पर टूटे बिना रिश्तों के क्या जीवन ,रिश्तों को संभालों तुम जिसे देखो बही मुँह पर ,क्यों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 268 Share मदन मोहन सक्सेना 9 May 2017 · 1 min read ग़ज़ल( उम्र भर जिसको अपना मैं कहता रहा) आँख से अब नहीं दिख रहा है जहाँ ,आज क्या हो रहा है मेरे संग यहाँ माँ का रोना नहीं अब मैं सुन पा रहा ,कान मेरे ये दोनों क्यों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 258 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Apr 2017 · 1 min read ग़ज़ल ( इस आस में बीती उम्र कोई हमें अपना कहे) कभी गर्दिशों से दोस्ती कभी गम से याराना हुआ चार पल की जिन्दगी का ऐसे कट जाना हुआ इस आस में बीती उम्र कोई हमें अपना कहे अब आज के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 273 Share मदन मोहन सक्सेना 10 Mar 2017 · 1 min read ग़ज़ल (चलो हम भी बोले होली है तुम भी बोलो होली है ) मन से मन भी मिल जाये , तन से तन भी मिल जाये प्रियतम ने प्रिया से आज मन की बात खोली है मौसम आज रंगों का छायी अब खुमारी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 597 Share मदन मोहन सक्सेना 14 Dec 2016 · 1 min read मेरी ग़ज़ल प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -३ , अंक ३ ,दिसम्बर २०१६ में प्रकाशितहुयी है . आप भी अपनी प्रतिक्रिया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 252 Share मदन मोहन सक्सेना 6 Dec 2016 · 1 min read गज़ल (सभी पाने को आतुर हैं , नहीं कोई चाहता देना) गज़ल (सभी पाने को आतुर हैं , नहीं कोई चाहता देना) जिसे चाहा उसे छीना , जो पाया है सहेजा है उम्र बीती है लेने में ,मगर फिर शून्यता क्यों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 216 Share मदन मोहन सक्सेना 17 Nov 2016 · 1 min read (ग़ज़ल/गीतिका)मुझे दिल पर अख्तियार था ये कल की बात है उनको तो हमसे प्यार है ये कल की बात है कायम ये ऐतबार था ये कल की बात है जब से मिली नज़र तो चलता नहीं है बस मुझे दिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 252 Share मदन मोहन सक्सेना 16 Nov 2016 · 1 min read मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -३ अंक २ ,नवम्बर २०१६ में मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -३ अंक २ ,नवम्बर २०१६ में प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -३ अंक २... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 254 Share मदन मोहन सक्सेना 26 Oct 2016 · 1 min read ग़ज़ल (रिश्तों के कोलाहल में ये जीवन ऐसे चलता है ) किस की कुर्वानी को किसने याद रखा है दुनियाँ में जलता तेल औ बाती है कहतें दीपक जलता है पथ में काँटें लाख बिछे हो मंजिल मिल जाती है उसको... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 349 Share मदन मोहन सक्सेना 6 Oct 2016 · 1 min read मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -३ अंक १ ,अक्टूबर २०१६ में प्रकाशित प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -३ अंक १ ,अक्टूबर २०१६ में प्रकाशित हुयी है . आप भी अपनी प्रतिक्रिया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 268 Share मदन मोहन सक्सेना 27 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल (जिसे देखे हुए हो गया अर्सा मुझे) किस ज़माने की बात करते हो रिश्तें निभाने की बात करते हो अहसान ज़माने का है यार मुझ पर क्यों राय भुलाने की बात करते हो जिसे देखे हुए हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 230 Share मदन मोहन सक्सेना 23 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल ( मुहब्बत है इश्क़ है प्यार है या फिर कुछ और ) लोग कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती है हम नजरें भी मिलाते हैं तो चर्चा हो जाती है. दिल पर क्या गुज़रती है जब वह दूर होते हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 331 Share मदन मोहन सक्सेना 6 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल ( क्या जज्बात की कीमत चंद महीने के लिए है ) दर्द को अपने से कभी रुखसत ना कीजिये क्योंकि दर्द का सहारा तो जीने के लिए है पी करके मर्जे इश्क़ में बहका ना कीजिये ख़ामोशी की मदिरा तो सिर्फ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 521 Share मदन मोहन सक्सेना 22 Aug 2016 · 1 min read ग़ज़ल( समय से कौन जीता है समय ने खेल खेले हैं) ग़ज़ल( समय से कौन जीता है समय ने खेल खेले हैं) अपनी जिंदगी गुजारी है ख्बाबों के ही सायें में ख्बाबों में तो अरमानों के जाने कितने मेले हैं भुला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 330 Share मदन मोहन सक्सेना 12 Aug 2016 · 1 min read ग़ज़ल (गज़ब हैं रंग जीबन के) ग़ज़ल (गज़ब हैं रंग जीबन के) गज़ब हैं रंग जीबन के गजब किस्से लगा करते जबानी जब कदम चूमे बचपन छूट जाता है बंगला ,कार, ओहदे को पाने के ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 282 Share मदन मोहन सक्सेना 3 Aug 2016 · 1 min read ग़ज़ल (निगाहों में बसी सूरत फिर उनको क्यों तलाशे है ) कुछ इस तरह से हमने अपनी जिंदगी गुजारी है जीने की तमन्ना है न मौत हमको प्यारी है लाचारी का दामन आज हमने थाम रक्खा है उनसे किस तरह कह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 301 Share मदन मोहन सक्सेना 2 Aug 2016 · 1 min read मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -२ , अंक ११ ,अगस्त २०१६ में प्रकाशित प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -२ , अंक ११ ,अगस्त २०१६ में प्रकाशित हुयी है . आप भी अपनी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 236 Share मदन मोहन सक्सेना 15 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (आये भी अकेले थे और जाना भी अकेला है) पैसोँ की ललक देखो दिन कैसे दिखाती है उधर माँ बाप तन्हा हैं इधर बेटा अकेला है रुपये पैसोँ की कीमत को वह ही जान सकता है बचपन में गरीवी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 307 Share मदन मोहन सक्सेना 15 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल ( खुद से अनजान) ग़ज़ल ( खुद से अनजान) जानकर अपना तुम्हे हम हो गए अनजान खुद से दर्द है क्यों अब तलक अपना हमें माना नहीं नहीं है अब सुबह से शाम तक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 344 Share मदन मोहन सक्सेना 15 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (लाचारी ) ग़ज़ल (लाचारी ) कुछ इस तरह से हमने अपनी जिंदगी गुजारी है जीने की तमन्ना है न मौत हमको प्यारी है लाचारी का दामन आज हमने थाम रक्खा है उनसे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 297 Share मदन मोहन सक्सेना 14 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (मुसीबत यार अच्छी है) मुसीबत यार अच्छी है पता तो यार चलता है कैसे कौन कब कितना, रंग अपना बदलता है किसकी कुर्बानी को किसने याद रक्खा है दुनिया में जलता तेल और बाती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 383 Share मदन मोहन सक्सेना 14 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (ये जीबन यार ऐसा ही ) ग़ज़ल (ये जीबन यार ऐसा ही ) ये जीबन यार ऐसा ही ,ये दुनियाँ यार ऐसी ही संभालों यार कितना भी आखिर छूट जाना है सभी बेचैन रहतें हैं ,क्यों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 311 Share मदन मोहन सक्सेना 14 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (आज के हालात ) ग़ज़ल (आज के हालात ) आज के हालात में किस किस से हम शिकवा करें हो रही अपनों से क्यों आज यारों जंग है खून भी पानी की माफिक बिक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 232 Share मदन मोहन सक्सेना 14 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (अब समाचार ब्यापार हो गए ) ग़ज़ल (अब समाचार ब्यापार हो गए ) किसकी बातें सच्ची जानें अब समाचार ब्यापार हो गए पैसा जब से हाथ से फिसला दूर नाते रिश्ते दार हो गए जिटल डिजिटल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 265 Share मदन मोहन सक्सेना 14 Jul 2016 · 1 min read गज़ल (ये कैसा परिवार) गज़ल (ये कैसा परिवार) मेरे जिस टुकड़े को दो पल की दूरी बहुत सताती थी जीवन के चौथेपन में अब ,वह सात समन्दर पार हुआ रिश्तें नातें -प्यार की बातें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 289 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल(ये किसकी दुआ है ) ग़ज़ल(ये किसकी दुआ है ) मैं रोता भला था , हँसाया मुझे क्यों शरारत है किसकी , ये किसकी दुआ है मुझे यार नफ़रत से डर ना लगा है प्यार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 268 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read गज़ल (कुदरत) गज़ल (कुदरत) क्या सच्चा है क्या है झूठा अंतर करना नामुमकिन है. हमने खुद को पाया है बस खुदगर्जी के घेरे में .. एक जमी बक्शी थी कुदरत ने हमको... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 420 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (मेरे मालिक मेरे मौला ) ग़ज़ल (मेरे मालिक मेरे मौला ) मेरे मालिक मेरे मौला ये क्या दुनिया बनाई है किसी के पास खाने को मगर बह खा नहीं पाये तेरी दुनियां में कुछ बंदें,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 243 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (चार पल) ग़ज़ल (चार पल) प्यार की हर बात से महरूम हो गए आज हम दर्द की खुशबु भी देखो आ रही है फूल से दर्द का तोहफा मिला हमको दोस्ती के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 292 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read गज़ल (बात करते हैं ) गज़ल (बात करते हैं ) सजाए मौत का तोहफा हमने पा लिया जिनसे ना जाने क्यों बो अब हमसे कफ़न उधार दिलाने की बात करते हैं हुए दुनिया से बेगाने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 487 Share Page 1 Next