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गुलाब
लोकनाथ ताण्डेय ''मधुर''
देश है तो हम हैं
लोकनाथ ताण्डेय ''मधुर''
अपनों में कभी कोई दूरी नहीं होती,पर,
लोकनाथ ताण्डेय ''मधुर''
अपनों में कभी कोई दूरी नहीं होती।
लोकनाथ ताण्डेय ''मधुर''
मुक्तक
लोकनाथ ताण्डेय ''मधुर''
बिगड़ जाते हैं रिश्ते,जरा सी भूल से।
लोकनाथ ताण्डेय ''मधुर''
मुक्तक
लोकनाथ ताण्डेय ''मधुर''
बाहर जो दिखती है, वो झूठी शान होती है,
लोकनाथ ताण्डेय ''मधुर''