Laxminarayan Upadhyay Language: Hindi 19 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Laxminarayan Upadhyay 2 Jul 2021 · 2 min read सिगरेट से भविष्य फुली हुई सांसो से अपनी बात को पुरी करने की कोशिश करते हुये उसने जबरदस्ती दम खीँचा और बोला भाईजी एक सिगरेट दइयो…….! दुबला-पतला शरीर और भय रहित ललक से... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 1 3 279 Share Laxminarayan Upadhyay 2 Jul 2021 · 1 min read जाग हिन्द के वीर अमर जाग हिन्द के वीर अमर जाग हिन्द के वीर अमर रणभेरी में सिंह सा गर्जन कर उठ म्रत्युंजय प्राप्त कर तू कुरुक्षेत्र में नया सृजन कर हे शिव तू तांडव... Hindi · कविता 1 263 Share Laxminarayan Upadhyay 15 Jun 2021 · 1 min read बरसात तेरी हल्की सी बूंद की खुशबू में प्रकृति की डाली झुक जाये एक राह में बैठे तके सह तेरी जैसे कंठो की स्याही सूख जाये एक आस तू नि:श्वास ह्रदय... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 4 322 Share Laxminarayan Upadhyay 29 May 2020 · 1 min read समय #समय आज भी नहीं रुका वो सदियों के जैसे ना उम्र ना थकान ना मोह और ना द्वेष ना वाणी ना स्वाद ना चाह ना कोई भेष कई बाते, यादे,... Hindi · कविता 2 2 300 Share Laxminarayan Upadhyay 21 Apr 2020 · 1 min read देख रहा हुं देख रहा हुं घुलता सा प्याला देख रहा हु होता अंधियारा देख रहा हु देख रहा सदियों का तरपण सांसो को ज़मते देख रहा हुं राम का तरकश तान बांध... Hindi · कविता 4 5 318 Share Laxminarayan Upadhyay 27 Mar 2020 · 1 min read कारोना वायरस .. कारोना वायरस ...दो पक्तियां दूरिया मे दवा और दवा से दूरिया बनी है एकांत मे स्वास्थय और देहांत मे घनी है लोक मे तन्त्र और गण मे बन्द लोक है... Hindi · कविता 1 2 625 Share Laxminarayan Upadhyay 28 Jan 2020 · 2 min read सिगरेट से भविष्य फुली हुई सांसो से अपनी बात को पुरी करने की कोशिश करते हुये उसने जबरदस्ती दम खीँचा और बोला भाईजी एक सिगरेट दइयो.......! दुबला-पतला शरीर और भय रहित ललक से... Hindi · कहानी 2 1 451 Share Laxminarayan Upadhyay 20 Jan 2020 · 1 min read राधे स्नेह.... वियोग तपती धूप मे ठंडी छाँव हो तुम बिन बयां किये गहरे भाव हो तुम अंतरमन की मेरी परवाह हो तुम ...राधे जो कभी न भरे वो घाव हो तुम हो... Hindi · कविता 1 1 387 Share Laxminarayan Upadhyay 15 Jan 2020 · 1 min read झंडा गायन (स्वतंत्रता गणतंत्रता दिवस) देश का ये तिरंगा... झंडा गायन (स्वतंत्रता गणतंत्रता दिवस) देश का ये तिरंगा झुका है कहाँ वो थे पागल जो उसको झुकाने चले सरफरोसो की तमन्ना से बना ये ध्वज पूरे विश्व को इसे... Hindi · गीत 1 661 Share Laxminarayan Upadhyay 15 Jan 2020 · 1 min read पापा पापा के पसीने की महक से खुशहाल होता है घर तेरा अल्फाजो की दुआ माँ की काम जो करती है जवानी बेटे की उसके नए आयाम जो भरती है तिनका... Hindi · कविता 1 1 394 Share Laxminarayan Upadhyay 29 Dec 2019 · 1 min read सरपंच चुनण रो टेम ल्यो आग्यो ओ सरपंच चुनण रो टेम मेट दय् गो ओ कईया रो भेम कई लांबी कोई ओच्छी टेकसी ओरां के चुल्ह पर आपगी सेकसी अब कई आग पगाण खड़या... Hindi · कविता 1 1 867 Share Laxminarayan Upadhyay 6 Dec 2019 · 1 min read मेरे वीर कमल आज देखा जाने और जीने का अलग मिजाज मेरे वीर का ह्रदय हुआ स्थिर जैसे और देखा मन भारी ह्रदय के चीर का देखा मेरा कमल साहवा का जो महका... Hindi · कविता 3 611 Share Laxminarayan Upadhyay 6 Dec 2019 · 1 min read बहिन प्रमिला त्याग आज जो देखा ...... अमर शहीद कमल की बहिन प्रमिला के लिए कुछ शब्द धन्य हो बहिन आप .... प्रणाम तुम्हे हे गौरव भगिनी तुम मेरी कविता की भक्ती हो... Hindi · कविता 1 614 Share Laxminarayan Upadhyay 12 Jul 2019 · 1 min read देखा हैं आज ... देखा हैं आज ... जो नहीं थे हाँफते दिन भर मेहनत करके आजकल उन्ही हाथों को कांपते देखा हैं तुम सोचते होंगे हम सही हैं य़ा गलत 2 मैने उनको... Hindi · कविता 1 280 Share Laxminarayan Upadhyay 12 Jul 2019 · 1 min read जिन्दगी मेरे ख्वाबो की झिलमिल तू मेरे वर्षो का साया हैं तु प्यासी जमीं मेरी वर्षो से पानी को पाया है आ भी जा मेरे ख्वाबो की अब इंतहा ना ले... Hindi · कविता 2 255 Share Laxminarayan Upadhyay 26 Nov 2018 · 1 min read *पता ही नहीं चला ,* समय चला , पर कैसे चला, पता ही नहीं चला , ज़िन्दगी की आपाधापी में .. कब निकली उम्र हमारी यारो , *पता ही नहीं चला ,* कंधे पर चढ़ने... Hindi · कविता 7 344 Share Laxminarayan Upadhyay 21 Nov 2018 · 2 min read माँ नमस्कार मैं कोई बड़ा लेखक य़ा वक्ता नहीं हु आज आप सभी की शुभकामनाओ के साथ मेरी पहली रचना आप सबको समर्पित आशा है प्यार और सहयोग मिलेगा शीर्षक माँ... Hindi · कविता 9 5 338 Share Laxminarayan Upadhyay 21 Nov 2018 · 1 min read माँ माँ तुमको मैं कैसे लिख दु तुम शब्दो मे कैसे आओगी … अपना सबकुछ देकर बस मुझमे खुद को पाओगी .. माँ तुमको मैं........ कैसे बिताये हैं तुमने वो दिन... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 15 50 1k Share Laxminarayan Upadhyay 21 Nov 2018 · 2 min read माँ नमस्कार मैं कोई बड़ा लेखक य़ा वक्ता नहीं हु आज आप सभी की शुभकामनाओ के साथ मेरी पहली रचना आप सबको समर्पित आशा है प्यार और सहयोग मिलेगा शीर्षक माँ... Hindi · कविता 10 2 303 Share