Utsav Kumar Aarya 116 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Utsav Kumar Aarya 23 Oct 2022 · 2 min read *हिन्दी दिवस* संस्कृत के प्रस्फुटन से गढ़े , हिन्दी एक मधुर-सी भाषा है , इसका उच्चारण सही से करो तो , इससे अच्छी नहीं कोई भाषा है। याद करो उस लम्हा को... Hindi · कविता 4 2 313 Share Utsav Kumar Aarya 23 Oct 2022 · 1 min read * बेटी की जिंदगी * बेटी की दर्दों को छोटी गलतियों से छुपाया जाता है, बड़ी कामयाबी को भी इनकी छोटी बताया जाता है, बेटी हर नखरें को आदेश समझ पालन करती हैं, थोड़े -... Hindi · कविता 6 379 Share Utsav Kumar Aarya 13 Aug 2022 · 1 min read रक्षाबंधन भाई बहन के असीम प्रेम को फिर से अटूट गढ़ाता है , राखी की डोर कलाई पर , बहना की स्मरण दिलाती हैं। राखी को अवलोकन करने पर , लगता... Hindi · कविता 3 1 455 Share Utsav Kumar Aarya 6 Aug 2022 · 1 min read परिस्थति के अनुकूल अनमोल - सी चारु भव्य लोक में सर्व ढ़लते परिस्थिति के अनुकूल आस - पास परिवेश को अवलोक परिस्थिति को आभास लगाते बुजुर्ग हमे भी अपनी नूतन हयात में परिस्थति... Hindi · कविता 2 462 Share Utsav Kumar Aarya 2 Aug 2022 · 1 min read चिट्ठियाँ आज के नूतन हयात में भी चिट्ठी की रिवाज प्रचलित है आर्यावर्त के भिन्न आलयों पर चिट्ठी ही एकल दूतत्व पहुँचाती । लेटरबॉक्स में होती चिड़ियाँ हर्ष - कष्ट का... Hindi · कविता 2 439 Share Utsav Kumar Aarya 2 Aug 2022 · 1 min read गलत का परिणाम, गलत करने वालों का , होता सदैव गलत है , इनकी आत्मा को ना , कभी सम्प्राप्ति चैन है। गलत करने वाले मनुज , होते यहाँ संख्यातीत है , तभी... Hindi · कविता 2 824 Share Utsav Kumar Aarya 2 Aug 2022 · 1 min read स्वंय का दोषी उपपाद्य को आह्वान दे रहा , स्वयं स्वयं को विध्वंस कर रहा , स्वस्थ आहार को खाना कूल , अस्वस्थ आहार ग्रहण कर रहा। वसुधा का समूल नाश कर रहा... Hindi · कविता 2 319 Share Utsav Kumar Aarya 2 Aug 2022 · 1 min read सुबह सुबह हमारी स्मृति शक्ति , होती बहुत तंदुरुस्त है , शागिर्दों को पढ़ने का , उम्दा समय होता सुबह। सुबह होने से अग्रे ही , मजदूर कृत्य करते जाते ,... Hindi · कविता 1 413 Share Utsav Kumar Aarya 2 Aug 2022 · 1 min read हम भाई - भाई थे आजादी सम्प्राप्ति से सर्वपूर्व , हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई , एक अचल बंधन में बँधे , हम भाई - भाई थे। आजादी सम्प्राप्ति के पश्चात , किस भ्रष्टाचारी मनुज ने... Hindi · कविता 2 401 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read कोरोना आर्यावर्त की अर्थव्यवस्था पर , कोरोना का प्रचंड तासीर पड़ा , शार्गिदों का पढ़ाई - लिखाई , जैसे संसर्ग समाप्य कर दिया। कहाँ से आया, कैसे आया? कौन है ये,... Hindi · कविता 2 386 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read बस की यात्रा अभी न होगा मेरा अंत , अभी- अभी तो पदस्थ हुये चल पड़े मंजिल की ओर , एक दृढ़ संकल्प को लिये , अभी न होगा मेरा अंत | आह्वान,... Hindi · कविता 2 406 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read सफलता की चाह धरा के हर प्राणी की चाह , सफलता को लब्ध करना है , सफलता वही मनुज लहता , जो सफलता की चाह रखता। असफलता से मत भागों सफलता की चाह... Hindi · कविता 1 468 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read अनजान मंजिल अनजान मंजिल की राह में , चल पड़े एक पथिक गढ़ , खोजते अपने मंजिल को , अपना कृत्य करते चलते। हयात में समय बीतता गया , पर न मिला... Hindi · कविता 1 275 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read तृष्णा इंसान नूतन उनमुक्त वजनी हयात में , बचकर रहना तृष्णा इंसानों से , शत्रुता हो या मित्रता कभी ना , करना किसी तृष्णा इंसानों से। सूरदास होते तृष्णा इंसान, बस अवलोकता... Hindi · कविता 1 291 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read लकड़ी का खेल जन्म के समय में हो , मृत्यु के समय में हो , हो चाहे किसी वय में , होता निपट लकड़ी का ही, परिपूर्ण रूप से खेल यहाँ । झूला... Hindi · कविता 1 355 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read माँ तू देवी हैं माँ तू देवी का स्वरूप है , मैं वंदता सदैव तुम्हे हूँ , तेरी चरणों में क्या है माँ , इसमें रहकर मैने यशस्वी लहया है। लला, अबूझ तनय है... Hindi · कविता 1 523 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read पराधीन पंछी की सोच हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा? हमें बंधनमुक्त कर दो , स्वयं की रीति हमें भी , स्वतंत्रता का हयात दे दो , ईश्वर ने हमें पंख दिए , प्लवने से हमें... Hindi · कविता 1 317 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read अनुशासन मनुज को उम्दा गढ़ने में , अनिवार्य होता उत्तम अनुशासन , अनुशासन ही प्रभावित करता , जगत के सभी मनुजों को। शिक्षा से भी सर्वपूर्व आता , हमारी अनुशासन का... Hindi · कविता 1 256 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read दुनिया की रीत आज के इस भुवन की , रीत विपुल परिकल्पना है , कुकर्मी से संधि कर लो , अपना हयात अभेद्य कर लो , ऐसी अपूर्व दुनिया की रीत। भ्रष्टाचारा, दुष्कर्म,... Hindi · कविता 1 263 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read वक्त वक्त - वक्त का खेल यहाँ , वक्त हमेशा भुनाता रहता , वक्त किसी का मोहताज नहीं , यह अग्रसर बढ़ते रहता है। लोक में वक्त निखिल आता है ,... Hindi · कविता 2 347 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read हम असुरक्षित महसूस कर रहे हम असुरक्षित महसूस कर रहे , वनों की कतराई हो रही है , शुद्ध ऑक्सीजन लुप्त हो रही , हम असुरक्षित महसूस कर रहे। बाइकों, कारों के चलन से ,... Hindi · कविता 1 284 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read संगति का प्रभाव आजकल के इस द्रुतगमन में , संगति का प्रभाव गर्भधारण होता , जगती में अगरचे कुछ गढ़ना है तो , उम्दा संगति का होना अनिवार्य है। उम्दा संगति सर्वथा हमें... Hindi · कविता 1 400 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read न्याय पथिक न्याय के पंथ पर चलना , होता वृहत् भयावह है , सहस्रों में एक मनुज , गढ़ता न्याय पथिक है। न्याय के पंथ में होती , पग - पग पर... Hindi · कविता 1 343 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read हिंसक शत्रु होते हमारे हिंसक शत्रु आस - पास ही हमारे रहते सदैव घात लगायें हमें वेदना पहुँचाने में अनभिज्ञ होते हिंसक शत्रु वैमनस्यतों से भी घातक होते हमारे स्वजन ही है... Hindi · कविता 1 286 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read माटी के पुतले हैं हम माटी का खेल लोक में , माटी से आविर्भाव हैं हम , माटी में ही मिल जाएँगे , माटी के पुतले हैं हम। समीर, सलिल, अवनि, वह्नि, व्योम , इन... Hindi · कविता 1 217 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read रीति - रिवाज समाज की हमारी रीति - रिवाज , किसने ऐसी गढ़ायी रीति - रिवाज? प्रसन्नता में तो भरपूर लेते , पर कष्ट में भी ना तजते हमें , दरिद्रों को असमृद्ध... Hindi · कविता 1 335 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read गुरु ब्रह्मा, विष्णु, महेश स्वरूप , होते हमारे पूज्यवर गुरु , इनके आशीष,करुणा से , होता हमारा जीवन कृतार्थ। गुरु की वार्ता अश्रुत करना हयात विनष्ट कर डालता है इनके वचन... Hindi · कविता 1 352 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read जो आया, वो जाएगा इस विशालकाय लोक में , जो आया, वो जाएगा , पर मत त्रासों जाने से , जाना तो लिखित हमारा , जैसे आनंद से आये हो , वैसे आनंद से... Hindi · कविता 504 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read आईना काँच का गढ़ा ठोस द्रव्य , अवलोकता सुवर्ण - सा है, इसके सबब ही तो हम , देख पाते अपना आनन है, उसी को कहते आईना है। विनीते को औंधा... Hindi · कविता 332 Share Utsav Kumar Aarya 21 Jul 2022 · 1 min read ईश्वर की रहस्य आज गृह - गृह में हो रहा , ईश्वर की जयघोश दिव्य , अपनी इच्छा पूर्णता को ही करते मनुज अराधना इनकी। कौन कहता ईश्वर नहीं है? अरे! हम कहते... Hindi · कविता 361 Share Page 1 Next