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21 Jul 2022 · 1 min read

तृष्णा इंसान

नूतन उनमुक्त वजनी हयात में ,
बचकर रहना तृष्णा इंसानों से ,
शत्रुता हो या मित्रता कभी ना ,
करना किसी तृष्णा इंसानों से।

सूरदास होते तृष्णा इंसान,
बस अवलोकता प्रलंभ इन्हें,
प्रलंभ के समादर ही ,
भूल जाते रिश्ते – नाते।

पैसा, पैसा, पैसा करते
पैसा ही जैसे जीवन इनका ,
पागल स्नेही पैसा का वह ,
वही होता है तृष्णा इंसान।

तृष्णा इंसानों को सम्प्राप्ति ,
ऐशो – आराम शोहरत है ,
पर न सम्प्राप्ति इन्हें कभी ,
द्विय लम्हें की सुख – चैन है।

विभूति का ना तृष्ण करो ,
जीने का उचित मार्ग चुनो ,
द्विय लम्हें का चैन पाओ तुम ,
पर ना कभी तृष्णा कहलाओ।

अमुल्य रत्नों से भी विपुल ,
अनर्घ होती हमारी जिंदगी ,
अपना हयात का तृष्णा करो ,
पर ना त्रुटिपूर्ण कृत्य करो।

✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या

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