Kavi Kuldeep Prakash Sharma Tag: मुक्तक 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Kavi Kuldeep Prakash Sharma 13 May 2018 · 1 min read खाता हूं बाजार का डब्बा(मेरी प्यारी माँ) खाता हूं बाजार का डब्बा, तो दिल से फरियाद आती है। माँ के हाथ की बनी रोटियां, आज भी बहुत याद आती है।। रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक" मो.नं.-9628368094,7985502377 Hindi · मुक्तक 1 216 Share Kavi Kuldeep Prakash Sharma 28 Feb 2018 · 1 min read पिता की पुत्र से इच्छा बेटा!कच्ची उम्र में कच्चे अकल है। तुम्हारे पिता का इसमें दखल है।। मंजिल है लंबी यदि लक्ष्य पाना, मेहनत करो वरना मेरा कतल है।। बनकर एकलव्य अर्जुन दिखाओ। लक्ष्य मछली... Hindi · मुक्तक 460 Share Kavi Kuldeep Prakash Sharma 28 Feb 2018 · 1 min read मेरे पापा मेरे खातिर किसी से,मेरे पापा डरते नहीं। मेरी फिक्र के सिवा,वो कुछ सोचते नहीं।। आज तक मैंने न देखा,उनके जैसा कोई धनवान; जेब खाली हो फिर भी,मना करते नहीं।। रचयिता-कवि... Hindi · मुक्तक 1 387 Share Kavi Kuldeep Prakash Sharma 28 Feb 2018 · 1 min read बेवफा प्रेमिका की रंगीन होली कि चली गयी वो मुझको धोखा देके, अब मोहब्बत अधूरी,रह गयी है हमारी। वो किसी और के रंगों में भीग रही है, और यहाँ दर्द में भीगी,जिंदगी है हमारी।। कि... Hindi · मुक्तक 357 Share