करन 'मस्ताना' Language: Hindi 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid करन 'मस्ताना' 23 Nov 2018 · 1 min read देश बचाओ धू-धू जलती आग बुझाओ, हे कर्णधारों! देश बचाओ! चोर ख़जाना लूट रहा घर जर्ज़र हो टूट रहा रिसता गागर लो संज्ञान समृद्धि होती निष्प्राण आँखें खोलो जाग भी जाओ, हे... Hindi · कविता 4 3 319 Share करन 'मस्ताना' 23 Nov 2018 · 1 min read एक टीस छोड़ आया हूँ गाँव ज़िन्दगी की ख़्वाहिशों को पूरा करने के लिए, धँस गया हूँ पूरी तरह शहर की भीड़-भाड़ में! नहीं सुन पाता हूँ अब रूह की छटपटाहट और... Hindi · कविता 4 3 322 Share करन 'मस्ताना' 23 Nov 2018 · 1 min read माँ तु सुन रही है ना माँ, तु सुन रही है ना! आज फिर कराह उठा हूँ दर्द से जैसे बचपन में रोता था अक्सर गिरने के बाद! मगर तब तुम थी खड़ी मुझे संभालने को!... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 38 524 Share करन 'मस्ताना' 28 Dec 2017 · 4 min read भुलक्कड़ दोस्त मुंबई में मेरी एक प्रिय दोस्त है ऋतुज़ा, उसे मैं प्यार से ऋतु ही कहता हूँ! दोस्ती नई-नई ही हुई है लेकिन हमारी अच्छी-ख़ासी जमती है बिल्कुल सूई-डोरे की तरह!... Hindi · लेख 2 476 Share करन 'मस्ताना' 17 Jul 2017 · 1 min read क्या हिन्दू क्या मुस्लिम यारों क्या हिन्दू,क्या मुस्लिम यारों ये अपनी नादानी है! बाँट रहे हो जिस रिश्ते को वो जानी-पहचानी है!! क्या पाया है लड़कर कोई छोड़ ये ज़िद्द लड़ाई की किस हक से... Hindi · कविता 1 531 Share करन 'मस्ताना' 9 Mar 2017 · 1 min read माँ मत ला आँखों में पानी हे भारती! क्यों होती है उदास हम पूतों पर रख विश्वास नहीं लुटेगा शीश का ताज़ बची रहेगी तेरी लाज कर दूँगा न्योछावर तुझपे अपना तन-मन और जवानी, माँ! मत... Hindi · कविता 1 278 Share करन 'मस्ताना' 17 Feb 2017 · 1 min read यह उस औरत की लाश है.. यह उस औरत की लाश है यह उस औरत की लाश है...! जिसने सबको जन्म दिया गहरी पीड़ा में बहकर, मंद हुई ना ममता जिसकी अगिनत तकलीफ़े सहकर! रक्षाबंधन पर... Hindi · कविता 1 278 Share करन 'मस्ताना' 15 Feb 2017 · 1 min read टूट रहा है हिन्द हमारा सुनो समय की करुण पुकार ले डूबेगा यह अंधकार पुनः न हो जाए माँ दासी जागो मेरे भारतवासी आओ मिलकर दें सहारा, टूट रहा है हिन्द हमारा! भेदभाव की साया... Hindi · कविता 1 230 Share करन 'मस्ताना' 2 Feb 2017 · 1 min read औरत होना अभिशाप क्यों अपनी स्वतंत्रता, अपना अधिकार क्यों जग से मांगना पाप है? पुरुष होना वरदान यहाँ क्यों और औरत होना अभिशाप हैं? जग निर्माण एवं सृष्टि में मैं भी भागीदार हूँ, राज-समाज... Hindi · कविता 1 722 Share करन 'मस्ताना' 2 Feb 2017 · 1 min read अपनी यह ख़ामोशी तोड़ सहोगे कब तक यह प्रहार छीन रहा तेरा अधिकार बहुत हुआ छल-कपट,अंधेर आँखें खोल अब मत कर देर देख तुम्हें सब रहे निचोड़, अपनी यह ख़ामोशी तोड़! सिर्फ़ दिखावा है... Hindi · कविता 1 243 Share करन 'मस्ताना' 2 Feb 2017 · 2 min read परिवर्तन सड़कों पर, तीव्र गति से भागती गाड़ियाँ, आकाश में उड़ते हवाई जहाजें, सागर में दौड़ते बड़े-बड़े विशालकाय पोत सिमटी हुई छोटी सी यह दुनिया है भाग-दौड़ की भीड़ में लोप!... Hindi · कविता 1 846 Share