Tag: गीत
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यही रात अंतिम यही रात भारी।
Kumar Kalhans
गीत नया गाता हूं।
Kumar Kalhans
इक जीवन दो रूप हमारे।
Kumar Kalhans
हम अपनी छोटी सी दुनियां के भगवान बने फिरते हैं।
Kumar Kalhans
मुझको मुस्काने का हक है।
Kumar Kalhans
जो मुझे तुमसे मिला है मैं वही लौटा रहा हूं।
Kumar Kalhans
पानी की तरह बनना सीखो।
Kumar Kalhans
बरस रही हो बरखा रानी पर अंदाज़ अलग है।
Kumar Kalhans
विश्वासों ने पार उतारा।
Kumar Kalhans
भू से मिलकर नवजीवन की गाथाएं रचती हैं।
Kumar Kalhans
सूरज रोज नहीं आएगा।
Kumar Kalhans
इक दूजे की बोटी हम नुचवाते हैं।
Kumar Kalhans
मृत्यु के साये में राह जीवन चले।
Kumar Kalhans
रेलगाड़ी रेलगाड़ी
Kumar Kalhans
ऐसे बरसो तरस गए नयनो से पानी बरसे।
Kumar Kalhans
भेज रहा हूँ पास आपके ताजे ताजे गीत।
Kumar Kalhans