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माँ की ममता के तले, खुशियों का संसार |
जगदीश शर्मा सहज
जिस दिन कविता से लोगों के,
जगदीश शर्मा सहज
सत्य, अहिंसा, त्याग, तप, दान, दया की खान।
जगदीश शर्मा सहज
सरस्वती माँ ज्ञान का, सबको देना दान ।
जगदीश शर्मा सहज
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
जगदीश शर्मा सहज
तुम अगर कविता बनो तो, गीत मैं बन जाऊंगा।
जगदीश शर्मा सहज
कुंंडलिया-छंद:
जगदीश शर्मा सहज
अनेकों पंथ लोगों के, अनेकों धाम हैं सबके।
जगदीश शर्मा सहज
बड़ा सुंदर समागम है, अयोध्या की रियासत में।
जगदीश शर्मा सहज
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
जगदीश शर्मा सहज
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
जगदीश शर्मा सहज
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
जगदीश शर्मा सहज
तन को कष्ट न दीजिए, दाम्पत्य अनमोल।
जगदीश शर्मा सहज
मुक्तक
जगदीश शर्मा सहज
मुक्तक
जगदीश शर्मा सहज
वो नौजवान राष्ट्रधर्म के लिए अड़ा रहा !
जगदीश शर्मा सहज
सिंहासन पावन करो, लम्बोदर भगवान ।
जगदीश शर्मा सहज
आकाश भेद पथ पर पहुँचा, आदित्य एल वन सूर्ययान।
जगदीश शर्मा सहज
विगुल क्रांति का फूँककर, टूटे बनकर गाज़ ।
जगदीश शर्मा सहज
राजनीति के नशा में, मद्यपान की दशा में,
जगदीश शर्मा सहज
तुम अगर कविता बनो तो गीत मैं बन जाऊंगा।
जगदीश शर्मा सहज
मुक्तक
जगदीश शर्मा सहज