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एक शेर
jameel saqlaini
है चादर जिनके सर पे मुफलिसी' की।
jameel saqlaini
मैं सोंचता हूँ दर्द तबस्सुम में लू छुपा।
jameel saqlaini
सितम ये वक़्त ने ढाया' तो आँख भर आई।
jameel saqlaini
था खौफ ए दुनियां तो ख्वाबों में रबता करते
jameel saqlaini
क़िता
jameel saqlaini
ग़ज़ल
jameel saqlaini