Harshvardhan Bhardwaj 5 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Harshvardhan Bhardwaj 13 Apr 2017 · 1 min read मेरा एक दोस्त खो गया है (नज़म ) पता नहीं कहाँ गुम है वक़्त की गलियों मे वो ही गलियां जिनका शोर मुझे रात भर सोने नहीं देता कैद है नीदें एक अरसे से किसी कारागाह मे बिना... Hindi · कविता 1k Share Harshvardhan Bhardwaj 24 Jul 2017 · 1 min read शाम आखिरी हो | मत रूठा करो मुझसे यूं तुम क्या पता मेरे होठों पे ये तुम्हारा नाम आखिरी हो | यूं तो हजारों लोग मिलते हैं मील के पत्थरों की तरह क्या पता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 511 Share Harshvardhan Bhardwaj 24 Jul 2017 · 1 min read बात बाकी थी कहां चले गए थे तुम। मुझे अकेला छोड़ के।। अभी मेरी बात बाकी थी ।। रोशन बेशक थे चिराग । अधेंरी रात बाकी थी ।। अभी बहुत दूर जाना था... Hindi · कविता 412 Share Harshvardhan Bhardwaj 25 Apr 2017 · 1 min read तुम हो क़ज़ा भी तुम हो हयात भी तुम हो डायरी के पन्नों पर उतरे लफ्ज़ भी तुम | सर्द मे खिड़की से आती मीठी धुप सी तुम खलिहानो मे आयी नयी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 380 Share Harshvardhan Bhardwaj 24 May 2017 · 1 min read दर्द बाहर निकले लगा है जो सीने मे दर्द भरा लिखने बैठा तो बाहर निकलने लगा | बरस बीत गए इसे संजोते संजोते बचपन मैं थोड़ा कम हो जाता था रोते रोते | आज... Hindi · कविता 368 Share