Ravi Shukla Language: Hindi 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ravi Shukla 12 Sep 2023 · 1 min read शस्त्र संधान खुद को सिंह तुम कहते हो पर नखो को है काट दिया रणधीर क्या बनोगे जब शस्त्रों को ही त्याग दिया मैं पूछता हूं ऐ धरती क्या नभ में तेरी... Hindi · कविता 103 Share Ravi Shukla 6 Aug 2023 · 1 min read वक्त का सिलसिला बना परिंदा वक्त का सिलसिला बना परिंदा उड़ता जा रहा कहीं साल ऐसा बिता वक्त ऐसे कटे कभी उजाड़ा तो बसता चला जा रहा कहीं हासिल क्या हुआ ये किसे खबर आइना,... Hindi · Quote Writer · कविता 449 Share Ravi Shukla 26 Apr 2023 · 1 min read मंगल पांडे गुलामी से आजादी की सर्व एकल भोर हुआ नव हिंदू की इस धरा में संखनाद घनघोर हुआ II1II अधर्म की उस आंधी में धर्म ने प्रतिकार किया भड़क उठी सीने... Hindi · कविता 366 Share Ravi Shukla 26 Apr 2023 · 1 min read युद्ध रानी बचपन उसका निराला छोटी एक सुकुमारी थी फूलो सी खिलती जाती भागीरथी की प्यारी थी 1 भारत मां की मिट्टी से जनि, वो एक चिंगारी थी सूरज सी ऊर्जा वाली,... Hindi · कविता 211 Share Ravi Shukla 17 Mar 2023 · 1 min read धारा को जो मोड़ दे धारा को जो मोड़ दे ऐसा पतवार बनो तुम पत्थर को जो चूर करे ऐसा कांच बनो तुम तुम वो बीज नही जिसे बारिश ने सींचा है तुम वो वृक्ष... Hindi · कविता 92 Share Ravi Shukla 21 Feb 2023 · 1 min read हम रद्दी को जवां कर बैठे हम रद्दी को जवां कर बैठे कुछ पाए तो कुछ गवां कर बैठे वक्त की नज़ाकत को तो देखिए उड़े आसमां को एक दिन एक रात आसमां के हो बैठे... Hindi · कविता 117 Share Ravi Shukla 14 Feb 2023 · 1 min read क्यूं हताश बैठा है तू क्यूं हताश बैठा है तू थोड़ा ही, चला है तू तू बादल चूम तो सही बरस जायेगा कंकड़ के रहा मिलेंगे रक्त के पदचिन्ह बनेंगे घटा पर चढ़ तो सही... Hindi · कविता 166 Share Ravi Shukla 13 Feb 2023 · 1 min read वो कॉलेज की खूबसूरत पलों के गुलदस्ते वो कॉलेज की खूबसूरत पलों के गुलदस्ते अब तो बस यादों में हैं बसते वो खुली किताबें जो आंखों में सजाते ढेरो सपने वो रंगबिरंगे फूलों का मेला और वो... Hindi · कविता 2 397 Share Ravi Shukla 13 Feb 2023 · 1 min read थाम ले तू हाथ हरि का संभल जाएगा बंधु थाम ले तू हाथ हरि का संभल जाएगा बंधु क्या है ये जीवन,मरण में है रखा क्या है ये जीवन, मरण में है रखा तुम ही हरि के हो ,... Hindi · गीत 1 108 Share Ravi Shukla 13 Feb 2023 · 1 min read ये शहर की शाम ये शहर की शाम मैं इसमें कही फिर रहा गुमनाम ये आते जाते लोगों का मेला हजारों हैं, फिर भी मैं अकेला कही से शुरू होती हैं चार राहें मैं... Hindi · कविता 79 Share Ravi Shukla 13 Feb 2023 · 1 min read ये गांव की वादियां ये गांव की ठंडी वादियां और कुछ खूबसूरत गुलाबो की खुशबू कुछ धुएं के झोंके जो मुझे अपनी ओर खींचे चलते चलते हम वहां पहुंचे जहां अपनों के चर्चे और... Hindi · कविता 225 Share