DrRaghunath Mishr 64 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 2 min read मुक्त छंद कविता हंस की अंतर्ध्वनि : 000 मैं खुश हूँ 000 जिन्दगी! शुक्रिया तेरा मुझे इंसान नहीं बनाया. मैं खुश हूँ इस रूप में परमात्मा का भी हार्दिक आभार हंस हूँ मैं... Hindi · कविता 2k Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read बेटी-छंद मुक्त कविता घर परिवार माता-पिता दो-दो घरों की रौनक होती है बेटी. समाज की शान देश का उत्थान परिवार का अभिमान ख़ुद में खानदान धरती-आससमान कुटुंब की आन घर की पहिचान श्रृष्टि... Hindi · कविता 757 Share DrRaghunath Mishr 9 May 2017 · 1 min read ग़ज़ल जीभ से जो हुआ, जख़्म भरता नहीं। दिल हो जब उदास, धीर धरता नहीं। अवसान की बात,पकड़ो न अभी बस, सुनहरा अवसर,कभी ठहरता नहीं। कर्म भारी हमेशा,रहा शब्द से, शब्द... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 665 Share DrRaghunath Mishr 1 Dec 2017 · 1 min read ग़ज़ल: जो बिखर गई थी टुकड़ों में, बोटी जनता की थी वह। छीना -झपटी से जो लूटा, रोटी जनता की थी वह। पानी के नल की तोड़ी जो,बस्ती सारी प्यासी है,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 560 Share DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 1 min read कुण्डलिया छंद डरता सत्य नहीं कभी, वह होता बेबाक. वह हरगिज़ झुकता नहीं,होती उसकी धाक. होती उसकी धाक, भले आयें तकलीफें सहनशील हो चले, सभी ग़म माथा घीसें. कहे 'सहज' कविराय,सत्य बस... Hindi · कुण्डलिया 1 1 514 Share DrRaghunath Mishr 27 Jan 2017 · 1 min read बेटी है श्रिष्टा का आधार बेटी है श्रिष्टि का आधार। बेटी स्वयम् है अथाह प्यार। बेटी का अनादर पाप। अनदेखी घोर अभिशाप। अभागे हैं वे यकीनन, जो मारते हैं चुपचाप। भ्रूण हत्या पशुवत व्यवहार। बेटी... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · गीत · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 546 Share DrRaghunath Mishr 11 May 2017 · 1 min read 'सहज' के दो मुक्तक 1. मुक्तक : 000 कर्म में विस्वाश कर. तनिक दिल में धीर धर. राह कितनी भी कठिन, ध्यान केवल लक्ष्य पर. 000 2. कर्म बिना है, फल नहीं. सिर्फ 'आज'... Hindi · मुक्तक 529 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read .मुक्त छंद रचना: बेटी माँ - बाप की आँखों का नूर पिता का स्वाभिमान समाज का सम्मान कल-कारखानों में खेतों-खलिहानों में दफ्तरों-विभागों में कहाँ नहीं हैं बेटियाँ हमारी फिर क्यों आखिर क्यों जवाब दे... Hindi · कविता 492 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read तरही ग़ज़ल लगाये पंख सपनों के, गगन की हूर होती है. चले जब वक़्त का चाबुक, वही बेनूर होती है. सजाये उमर भर जिनको, निहारा नाज़ से पाला, नजर उसकी गजब हमसे,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 513 Share DrRaghunath Mishr 21 Dec 2016 · 1 min read जिंदगी ग़ज़ल ग़ज़ल-------- मापनी:2222 1221 2212=21 ---------------------------- मुझको तुझसे, न कोई, गिला ज़िन्दगी। मैने जैसा, दिया है, मिला ज़िन्दगी। सारा जीवन, जिया है,महज़ माँगते, जिसके हिस्से लिखा,जो दिला ज़िन्दगी। है ए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 466 Share DrRaghunath Mishr 7 Feb 2018 · 1 min read ग़ज़ल पकड़ के रखना कस के यारो, आस और विश्वाश. कुछ भी कर देने से पहले, कर लो पूर्वाभ्यास. भ्रम मत पालो एक न होंगे,धरा-गगन सदियों तक, दशा बनालो खुद हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 474 Share DrRaghunath Mishr 26 Oct 2017 · 1 min read डा . रघुनाथ मिश्र 'सहज' के चुनिंदा दोहे माँ तूने जब ओढ़ ली, बेटे की हर पीर. स्वर्णाक्षर से लिख गयी, तब उसकी तक़दीर.. माँ ने माफी मांग ली, गलती पर औलाद. खुद ही तपकर आग में, उसे... Hindi · दोहा 473 Share DrRaghunath Mishr 17 Dec 2016 · 1 min read दोहा मुक्तक दो दोहा मुक्तक दो दोहा मुक्तक: ००० 1. ठिठुरन बढ़ती जा रही,कलम लिखे अब आग। तभी ताप समुचित मिले,उठा कलम अब जाग। चुनौतियों से डर नहीं, कर ले तू स्वीकार,... Hindi · मुक्तक 470 Share DrRaghunath Mishr 28 Dec 2016 · 1 min read डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' की कुण्डलिया 1.आशा 000 आशा यूँ मत छोड़ना, आशा ही संसार. इससे ही जीवन चले,है यह ही आधार. है यह ही आधार,याद रखना यह प्रियवर, इससे ही सम्मान, मिलेंगे अछे रहबर, कहे... Hindi · कुण्डलिया 465 Share DrRaghunath Mishr 27 Dec 2016 · 1 min read कुण्डलिया छंद जागो प्रियवर जागो प्रियवर मीत रे ,कहे सुनहरी भोर. चलना है गर आपको , सुखद लक्ष्य की ओर. सुखद लक्ष्य की ओर ,बढेगें अगर नही हम. विपदा होय अभेद्य ,न... Hindi · कुण्डलिया 432 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read दोहा मुक्तक आयी बाढ़ बहे सभी, सपने औ अरमान. छिना खेत-गिरवी हुआ, सर्व मान-सम्मान. बनिए ने है कर लिया, तिगुना क़र्ज़ वसूल, गया ब्याज ही ब्याज में, गेहूं-जौ-औ धान. @डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज... Hindi · मुक्तक 412 Share DrRaghunath Mishr 3 Feb 2017 · 1 min read कुण्डलिया छंद जागो प्रियवर मीत रे, कर लें रवि से प्रीत। क्या रक्खा उतपात में,छेड़ें म्रिदु संगीत। छेड़ें म्रिदु संगीत,रहें हर पल आनंदित। बहें हवा में नहीं,करें मत दुख आमंत्रित। कहें 'सहज'... Hindi · कुण्डलिया 414 Share DrRaghunath Mishr 31 Dec 2016 · 1 min read दोहा मुक्तक द्वय 1. जाड़े का आतंक है, सन सोलह का अंत. गरीब का जीवन कठिन,गम है घोर अनंत. ऐसे में मौसम बना,जब दुःख का पर्याय, स्वाभाविक ही है बहुत, सिहरन और गलंत.... Hindi · मुक्तक 430 Share DrRaghunath Mishr 30 Dec 2016 · 1 min read मुक्तक सच बात है जज़्बात है. हर दिन एक, शुरुवात है. @डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता/साहित्यकार सर्वाधिकार सुरक्षित Hindi · मुक्तक 429 Share DrRaghunath Mishr 30 Dec 2016 · 1 min read मुक्तक हों ऐसे हम खिले-खिले। हों न कभी हम हिले-हिले। नए वर्ष - अभिनन्दन में, ढहें द्वेष के सभी किले। @ डा०रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता /साहित्यकार सर्वाधिकार सुरक्षित Hindi · मुक्तक 397 Share DrRaghunath Mishr 19 Dec 2016 · 1 min read नई गीतिका -छंद विधान सहित.27/10/16 गीतिका 000 आधार छंद: विजात 1222 1222 समान्त -आर पदांत-पढ़ लेना ------------------------------- इजारेदार पढ़ लेना. धमाकेदार पढ़ लेना. जहां की फितरतें हैं क्या, विवेकाधार पढ़ लेना. कहाँ तक राह जाती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 411 Share DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 1 min read मुक्तक क़ैदखाने में कहाँ है, शुद्ध जल- ताज़ी हवा. छिन गई मजलूम से है,रोटियाँ - मरहम- दवा. भूख का तांडव ग़ज़ब,पसरा हुआ कुछ इस तरह, लग रहा यूँ दिनों से ,... Hindi · मुक्तक 382 Share DrRaghunath Mishr 2 Feb 2017 · 1 min read 'सहज' के दोहे -खामोशी खामोशी पसरी रही,लोग रहे भयभीत। दूर-दूर तक मौन थे,छन्द-ग़ज़ल औ गीत। हम जब तक खामोश थे,खूब चल गई पोल। ठान लिया अब बोलना,होगा डब्बा गोल। खामोशी से क्या मिला,समझे गए... Hindi · दोहा 403 Share DrRaghunath Mishr 29 Dec 2016 · 1 min read कुण्डलिया छंद राम नाम रटते रहो,नहीं बनेगा काम. कर्म बिना सब व्यर्थ है,इससे ही परिणाम. इससे ही परिणाम,विकल्प नहीं है दूजा. कर्म करे जा नित्य,वही है असली पूजा. कहे 'सहज' कविराय, सद्कर्म... Hindi · कुण्डलिया 440 Share DrRaghunath Mishr 11 May 2017 · 1 min read कालजयी बन जाओ कालजयी बन जाओ: एक यथार्थ परक मुक्त छन्द कविता-समीक्षार्थ: अभी -अभी स्वानुभव पर आधारित, विशिष्टतया नकारात्मक सोच वालों के नाम पाती. विमर्श के लिए" 000 प्रतिक्रिया से बचने का डर... Hindi · कविता 402 Share DrRaghunath Mishr 8 May 2017 · 1 min read मुक्त छन्द रचना -कालजयी बन जाएँ कालजयी बन जाओ: एक यथार्थ परक मुक्त छन्द कविता-समीक्षार्थ: अभी -अभी स्वानुभव पर आधारित, विशिष्टतया नकारात्मक सोच वालों के नाम पाती. विमर्श के लिए" 000 प्रतिक्रिया से बचने का डर... Hindi · कव्वाली 392 Share DrRaghunath Mishr 27 Jan 2017 · 1 min read बेटी है श्रिष्टि का आधार बेटी है श्रिष्टि का आधार। बेटी स्वयम् है अथाह प्यार। बेटी का अनादर पाप। अनदेखी घोर अभिशाप। अभागे हैं वे यकीनन, जो मारते हैं चुपचाप। भ्रूण हत्या पशुवत व्यवहार। बेटी... Hindi · गीत 1 398 Share DrRaghunath Mishr 21 Dec 2016 · 1 min read गीत कब तक गम बर्दास्त करोगे. 000 - डा०रघुनाथ मिश्र 'सहज', कोटा. कब तक गम बर्दाश्त करोगे. बिन गुनाह दोषी ठहरोगे. बोल अरे मजदूर -किसान. सोच अरे ओ छात्र -जवान. अब... Hindi · गीत 351 Share DrRaghunath Mishr 30 Dec 2016 · 2 min read डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' की कुछ रचनाएँ. कुण्डलिया 000 जागो प्रियवर मीत रे ,कहे सुनहरी भोर. चलना है गर आपको , सुखद लक्ष्य की ओर. सुखद लक्ष्य की ओर ,बढेगें अगर नही हम. विपदा होय अभेद्य ,न... Hindi · कविता 1 1 370 Share DrRaghunath Mishr 14 Mar 2017 · 1 min read गीतिका: बड़े - बड़ों को, आइना दिखा दिया हमने. हँसना - रोना, व गाना सिखा दिया हमने. कल तलक, जिन्हें मालूम नहीं थीं राहें, आज उनको भी, चला -हिला दिया हमने.... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 369 Share DrRaghunath Mishr 19 Aug 2017 · 1 min read ग़ज़ल तेरी आँखों की गहराई,मुझे पागल बना देगी. तेरे चेहरे की सुन्दरता,मुझे घायल बना देगी. हमारे बीच की ए गुफ़्तगू,कुछ ख़ास लगती है. तेरी बातों की रुन्झुन ही,तेरा पायल बना देगी.... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 341 Share DrRaghunath Mishr 26 Oct 2017 · 1 min read गीतिका *मापनी मुक्त गीतिका* *समान्त:डरना * *पदान्त:क्या * किया नहीं कुछ बुरा अगर,तो डरना क्या। मस्त जियो यूँ रोज-रोज, फिर मरना क्या। सुनता नहीं जनम से है, गूंगा- बहरा- बेदर्द, है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 359 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read जनक छंद में तेवरी छंद विधान: मापनी: हर प्रथम पंक्ति में मात्राएँ 22 22 212 =13 हर दुसरी पंक्ति में 22 22 212, 22 22 212 अर्थात इस तरह 13,13 पर यति गंदे से... Hindi · तेवरी 346 Share DrRaghunath Mishr 5 Dec 2016 · 1 min read हर्गीतिका हरगीतिका-एक प्रयास: मात्रा भार 28 000 संसार के दुख-दर्द का है, अंत आखिर अब कहाँ। खुशियाँ बाँटें विश्व को, ऐसे हैं माहिर अब कहाँ। अवकाश लेकर बैठने में,फायदा क्या है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 329 Share DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल 2122 2122 2122 212 मात्र भर 26 यति 14,12 क्या करूँ किससे कहूँ मैं, बात कोई ख़ास है. हर यहाँ मालिक कहे है,हर वही पर दास है. ख्वाब में कोठी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 323 Share DrRaghunath Mishr 1 Feb 2018 · 1 min read मुक्तक द्वय -कृत्रिम,नैसर्गिक कृत्रिम : 000 क्या रक्खा है, कृत्रिम जीवन जीने में. क्या मिलना है, खारा पानी पीने में. 'सहज' जियो तब, समझ सकोगे निश्चित ही, असर चुभन का, खुद ही अपने... Hindi · मुक्तक 313 Share DrRaghunath Mishr 26 Oct 2017 · 1 min read ग़ज़व मोहब्बत का जादू, असरदार होता, अगर दिल तुम्हारा,ख़बरदार होता। ए दुनियां कसम से,बहुत ख़ूब होती, अगर दिल का कमरा,हवादार होता। ख़ूबसूरत ग़ज़ल, कह गए हैं चितेरे, मज़ा उसको आता,जो हक़दार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 311 Share DrRaghunath Mishr 19 Dec 2016 · 1 min read उन्वान -वजूद/हैसियत मुक्तक वक्त आने पर बताऊँगा,तुझे मैं हैसियत । जान जाएगा स्वयम् तू,,क्या है मेरी कैफ़ियत। तोड़ दे भ्रमजाल अब यदि,चाहता है जानना, क्या है मेरी इस जहां मे,वास्तव मे असलियत।... Hindi · मुक्तक 344 Share DrRaghunath Mishr 23 Dec 2016 · 1 min read तेवरी मौजूदा दशा आज का राजनेता 12 अमीरों को ही सदा देता 16 गरीबों से ही छीन लेता, परंपरा इस देश की .16,13 =29 जो आदर्शवादी है बहुत मोह माया वादी... Hindi · तेवरी 314 Share DrRaghunath Mishr 16 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल जला है दिया, अब अंधेरा हटेगा. सुखों पर लगा है,वो पहरा हटेगा. शिकंजे में थीं चन्द, लोगों के खुशियाँ, आम लोगों से, ज़ुल्मों का डेरा हटेगा. है यह देश सबका,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 311 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read हरगीतिका- मात्रा भार 28 संसार के दुख-दर्द का है, अंत आखिर अब कहाँ। खुशियाँ बाँटें विश्व को, ऐसे हैं माहिर अब कहाँ। अवकाश लेकर बैठने में,फायदा क्या है भला, जो बात अंदर ही दबी... Hindi · कविता 316 Share DrRaghunath Mishr 23 Dec 2016 · 1 min read डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' के चुनिन्दा मुक्तक मुक्तक आओ मिल जुल हंसें-हंसाएं. हर सुख-दुःख में संग हो जाएँ. चाहे कुछ भी हो जाये पर, आपस में ना लड़ें - लड़ाएं. ***** जीना उसका जीना है. जिसका चौड़ा... Hindi · मुक्तक 281 Share DrRaghunath Mishr 18 Dec 2016 · 1 min read डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' की तेवरी तेवरी काव्य डॉ.रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ की तेवरी : 000 हमने सब कुछ हारा मितवा. जग ने जैम कर मारा मितवा. घूम-घूम कर दुनिया देखि, घर है सबसे प्यारा मितवा. बहुतों... Hindi · तेवरी 291 Share DrRaghunath Mishr 27 Jan 2017 · 1 min read अन्दर कुछ गुल खिले ह्रदय से ह्रदय मिले. दीप से दीप जले. दूर या पास रहें, अन्दर कुछ गुल खिले. @डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता / साहित्यकार सर्वाधिकार सुरक्षित. Hindi · मुक्तक 296 Share DrRaghunath Mishr 31 Dec 2016 · 1 min read कुण्डलिया छंद ठण्ड बड़ी भारी हुई,कटत नहीं दिन रेन. कोहरा अपने चरम पर, कैसे पायें चैन. कैसे पायें चैन, फैसला कौन करे अब. जाड़े में बरसात , दिखाती हो आँखें जब. कहें... Hindi · कुण्डलिया 285 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read मुक्तक: तुझे जी-जान से चाहा. मान-सम्मान से चाहा. सजदा न किया-सच है ए, तुझे अभिमान से चाहा. @डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता/साहित्यकार सर्वाधिकार सुरक्षित Hindi · मुक्तक 284 Share DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 1 min read गीतिका जीना -जीकर मर जाना , भैया यह क्या बात हुई. कठिन समय में डर जाना,भैया यह क्या बात हुई. कोई मरे कुपोषण से, कोई अतिशय खा -पी कर, प्रश्न टाल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 309 Share DrRaghunath Mishr 17 Jan 2017 · 1 min read अक्षम्य है परिणाम गलती का गलत ही होगा अंततः जानकर की गई गलती अक्षम्य है विवेक है हममें ईश्वर प्रदत्त फिर भी गलती पर गलती सोचें किधर-क्यों चलते जा रहे हैं जान-बूझ... Hindi · कविता 283 Share DrRaghunath Mishr 23 Dec 2016 · 1 min read मनहरण घनाक्षरी नववर्ष मनहरण घनाक्षरी -नववर्ष ००० रोज-रोज नया वर्ष, रोज ही मनाएँ हर्ष, पा जाएं हम उत्कर्ष, उच्च ए आदर्श है। जिन्दगी का हो विकास, दिल धरती आकाश , खुश रहे... Hindi · कविता 1 1 269 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read चन्द अध्यात्मिक दोहे: प्रियतम मैं जाऊं कहाँ, दिशाहीन हूँ आज. है कोई मेरा नहीं, बस तू ही सरताज. पंथ निहारूं रात - दिन,खुद का अक्स निहार. खुद से ही तुझसे कहूँ, आ भव... Hindi · दोहा 259 Share Page 1 Next