DrRaghunath Mishr Tag: मुक्तक 19 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid DrRaghunath Mishr 1 Feb 2018 · 1 min read मुक्तक द्वय -कृत्रिम,नैसर्गिक कृत्रिम : 000 क्या रक्खा है, कृत्रिम जीवन जीने में. क्या मिलना है, खारा पानी पीने में. 'सहज' जियो तब, समझ सकोगे निश्चित ही, असर चुभन का, खुद ही अपने... Hindi · मुक्तक 458 Share DrRaghunath Mishr 11 May 2017 · 1 min read 'सहज' के दो मुक्तक 1. मुक्तक : 000 कर्म में विस्वाश कर. तनिक दिल में धीर धर. राह कितनी भी कठिन, ध्यान केवल लक्ष्य पर. 000 2. कर्म बिना है, फल नहीं. सिर्फ 'आज'... Hindi · मुक्तक 764 Share DrRaghunath Mishr 8 May 2017 · 1 min read डा०रघुनाथ मिश्र 'सहज' के चुनिन्दा मुक्तक 1.रखना खुश दिल रहना हिल मिल तोड़ना आसान, जोड़ना मुश्किल. 000 मुश्किल से लड़ें . ह्रिदयों से जुड़ें. ज़मीन पर चलें, हवा में न उड़ें. 000 द्वेष बढ़ने न दें,... Hindi · मुक्तक 343 Share DrRaghunath Mishr 27 Jan 2017 · 1 min read अन्दर कुछ गुल खिले ह्रदय से ह्रदय मिले. दीप से दीप जले. दूर या पास रहें, अन्दर कुछ गुल खिले. @डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता / साहित्यकार सर्वाधिकार सुरक्षित. Hindi · मुक्तक 433 Share DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 1 min read मुक्तक क़ैदखाने में कहाँ है, शुद्ध जल- ताज़ी हवा. छिन गई मजलूम से है,रोटियाँ - मरहम- दवा. भूख का तांडव ग़ज़ब,पसरा हुआ कुछ इस तरह, लग रहा यूँ दिनों से ,... Hindi · मुक्तक 506 Share DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 1 min read 'सहज' के दो मुक्तक: (एक) बंद आँखों से दिखेगा. कब उजाला. बंद होगा छीनना, कबसे निवाला. अब है पिटता दिख रहा, हमको लुटेरो, जल्द ही सारी उमर का, अब दिवाला. 000 (दो) ज्योति ज्ञान... Hindi · मुक्तक 415 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read मुक्तक: वरिष्ट सिखाएं-नवोदित सीखें -मिशन है हमारा. सब ही एक दुसरे का-मिल जुल कर-बनें सहारा.' खुद करके खाना, बाँट के खाना,कोई न देगा, सीखें सबक हम -मुफ्त में लेना-नहीं है गवारा.... Hindi · मुक्तक 373 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read मुक्तक: तुझे जी-जान से चाहा. मान-सम्मान से चाहा. सजदा न किया-सच है ए, तुझे अभिमान से चाहा. @डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता/साहित्यकार सर्वाधिकार सुरक्षित Hindi · मुक्तक 409 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read दोहा मुक्तक आयी बाढ़ बहे सभी, सपने औ अरमान. छिना खेत-गिरवी हुआ, सर्व मान-सम्मान. बनिए ने है कर लिया, तिगुना क़र्ज़ वसूल, गया ब्याज ही ब्याज में, गेहूं-जौ-औ धान. @डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज... Hindi · मुक्तक 638 Share DrRaghunath Mishr 31 Dec 2016 · 1 min read दोहा मुक्तक द्वय 1. जाड़े का आतंक है, सन सोलह का अंत. गरीब का जीवन कठिन,गम है घोर अनंत. ऐसे में मौसम बना,जब दुःख का पर्याय, स्वाभाविक ही है बहुत, सिहरन और गलंत.... Hindi · मुक्तक 603 Share DrRaghunath Mishr 30 Dec 2016 · 1 min read मुक्तक हों ऐसे हम खिले-खिले। हों न कभी हम हिले-हिले। नए वर्ष - अभिनन्दन में, ढहें द्वेष के सभी किले। @ डा०रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता /साहित्यकार सर्वाधिकार सुरक्षित Hindi · मुक्तक 542 Share DrRaghunath Mishr 30 Dec 2016 · 1 min read मुक्तक सच बात है जज़्बात है. हर दिन एक, शुरुवात है. @डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता/साहित्यकार सर्वाधिकार सुरक्षित Hindi · मुक्तक 621 Share DrRaghunath Mishr 29 Dec 2016 · 1 min read नववर्ष 2017 में भी -मुक्तक नए वर्ष 2017 में भी, हमारी मित्रता में मिठास रहे. आप सब मित्रों में विश्वाश रहे. तनाव -मलिनता से रहें दूर ही,' प्यार-मुहब्बत का आभास रहे. @डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता/साहित्यकार... Hindi · मुक्तक 357 Share DrRaghunath Mishr 28 Dec 2016 · 1 min read डॉ.रघुनाथ मिश्र के दो मुक्तक : मुक्तक द्वय 1. आगामी 000 आगामी वर्ष का, स्वागत करेंगे हम. करें कोशिश मिटे, संसार से हर गम. प्रलय से पूर्व गर, हो जायेगा प्रलय, होगा सौभाग्य, मिट जायेगा अहम.... Hindi · मुक्तक 383 Share DrRaghunath Mishr 28 Dec 2016 · 1 min read नर्म धुप मुक्तक नर्म धूप गर्म हुई कपड़ों में शर्म हुई समय का भरोसा क्या इल्लत ही कर्म हुई @डा०रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता /साहित्यकार सर्वाधिकार सुरक्षित Hindi · मुक्तक 313 Share DrRaghunath Mishr 23 Dec 2016 · 1 min read डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' के चुनिन्दा मुक्तक मुक्तक आओ मिल जुल हंसें-हंसाएं. हर सुख-दुःख में संग हो जाएँ. चाहे कुछ भी हो जाये पर, आपस में ना लड़ें - लड़ाएं. ***** जीना उसका जीना है. जिसका चौड़ा... Hindi · मुक्तक 461 Share DrRaghunath Mishr 19 Dec 2016 · 1 min read उन्वान -वजूद/हैसियत मुक्तक वक्त आने पर बताऊँगा,तुझे मैं हैसियत । जान जाएगा स्वयम् तू,,क्या है मेरी कैफ़ियत। तोड़ दे भ्रमजाल अब यदि,चाहता है जानना, क्या है मेरी इस जहां मे,वास्तव मे असलियत।... Hindi · मुक्तक 522 Share DrRaghunath Mishr 19 Dec 2016 · 1 min read मुक्तक द्वय -1.धरती 2.आकाश मुक्तक ----------------------------- 1.धरती. आज आहत है हमारी मातु धरती. जार - जार रोती है औ आह भरती. जिन्दगी धिक्कार ही है बेटों की', माँ अगर हर पल हमारी है बिलखती.... Hindi · मुक्तक 346 Share DrRaghunath Mishr 17 Dec 2016 · 1 min read दोहा मुक्तक दो दोहा मुक्तक दो दोहा मुक्तक: ००० 1. ठिठुरन बढ़ती जा रही,कलम लिखे अब आग। तभी ताप समुचित मिले,उठा कलम अब जाग। चुनौतियों से डर नहीं, कर ले तू स्वीकार,... Hindi · मुक्तक 640 Share