D.N. Jha Tag: मुक्तक 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid D.N. Jha 16 May 2024 · 1 min read गोमुख सखियाॅं गंगा घाट पर, उतरी करने स्नान। आस्था अरु विश्वास से,इनकी महिमा जान। गोमुख से उद्गम हुआ,जा उतरीं बंगाल - जाने कितने नाम हैं, करते हैं गुणगान।। दीपनारायण झा'दीपक'देवघर झारखंड Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 1 115 Share D.N. Jha 15 May 2024 · 1 min read दरार धीरे धीरे घट रहा, मानव मन में मेल। रिश्ते नाते सब लगे,मतलब के अब खेल। मनमुटाव के साथ ही,दिल में पड़े दरार- षडयंत्रों के दंश को,सभी रहे हैं झेल।। Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 2 84 Share D.N. Jha 15 May 2024 · 1 min read विनती बड़ों से है यही विनती,मिले आशीष छोटों को। उसे भी देखकर आए,हॅंसी नमकीन होंठों को। करें गुणगान हम सबका,सदा सम्मान करना है- वही सहना सिखाते हैं,जगत के नर्म चोटों को।। Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 1 126 Share D.N. Jha 15 May 2024 · 1 min read तमन्ना वही पाते यहाॅं पर हम,जिसे हरदम लुटाते हैं। अगर चाहत रहे कोई,वही भरदम जुटाते हैं। वही लिखते मिटाते है,तमन्ना गर रहे कोई- अमर होते जमाने में,वही पागल कहाते हैं।। Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 2 101 Share D.N. Jha 15 May 2024 · 1 min read शिकवा जमाने से नहीं शिकवा,खुदी से ही शिकायत है। मगर कोई बहुत चाहे, यही उनकी इनायत है। जहाॅं में हैं कहीं ज्यादा,मुझे भी चाहने वाले- अजी उनसे यही कहना,यही मेरी शराफत... Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 1 79 Share D.N. Jha 15 May 2024 · 1 min read मनमीत प्रफुल्लित मन मगन होता,यहाॅं मन मीत आते हैं। जगे मन भावना प्रेमी, तभी हम गीत गाते हैं। तुम्हारा साथ जो मिलता, गमों से दूर हैं रहते - कहीं हारी हुई... Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 1 95 Share D.N. Jha 14 May 2024 · 1 min read राधे राधे बोल राधे राधे बोल कर,अंदर के पट खोल। अपने -अपने ही हृदय ,मिश्री को तो घोल। वृन्दावन के धाम में,पावन है ये नाम- राधा रानी जो जपे,नाम लगे अनमोल। डी... Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 1 71 Share D.N. Jha 14 May 2024 · 1 min read महावर सजाकर पैर में अपने,महावर को लगाती हैं। पहनती पाॅंव में पायल,कभी घुॅंघरू बजाती है। सुहागिन नारियाॅं भी सोलहों शृंगार हैं करतीं- लगाकर बाल में गजरा,अलक को भी सजाती है। ©डी... Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 1 80 Share D.N. Jha 13 May 2024 · 1 min read भस्म बजे जब भी यहाॅं डमरू,जगत के नाथ आते हैं। ब बं बं नाद हैं करते,डमड्डम डम बजाते हैं। जलाकर भस्म करते हैं,अहम का नाश हैं करते- रगड़कर भाॅंग धतुरा को,... Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 2 77 Share