दीपक झा रुद्रा Language: Maithili 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid दीपक झा रुद्रा 8 Nov 2021 · 1 min read खुन सँ खत़ लिखल अछि पठाबि कोना? नोर सँ गीत लिखल यऽ गाबि कोना? राति आजुक कठिन अछि बिताबि कोना? भेल देखल नै हुनका सँ आँखिक नोर। खुन सँ खत़ लिखल अछि पठाबि कोना? दीपक झा "रुद्रा" Maithili · कविता 2 1 413 Share दीपक झा रुद्रा 25 Aug 2022 · 1 min read मैथिली कविता दुख दिवस दीन संकट देखूँ। हँ अछि अनहार विकट देखूँ। मन द्वंद सँ लड़ि रहल ऐसगर सभ आंँखिक में आयि प्रकट देखूँ। निश्छल मन प्रेम उपासक बनि.. पथ पर पसरल... Maithili · कविता · मैथिली 2 398 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read हे महादेव! हे महादेव, शंकर , प्रलयंकर,जुनि देखूँ जग केँ संहारक। अछि व्यथा सृष्टि के पालक,दृश्य समूचा हृदय विदारक । देखूंँ पसरल अछि हाथ काल केँ,जे रूप कोरोना केँ धेलक। छल हर्षित... Maithili · कविता · मैथिली · मैथिली छंद · मैथिली प्रवाहमय कविता 2 317 Share दीपक झा रुद्रा 8 Nov 2021 · 1 min read आब भोग प्रितक तों दण्ड। किये अभगला प्रीत केले तों आब भोग प्रितक तों दण्ड बड़े निक छलहू तोहर प्रेयसी बड़े रहौ ने प्रेम क घमंड !! ई प्रेम ककर भेेले अहि जग में जे... Maithili · कविता 7 2 298 Share दीपक झा रुद्रा 8 Nov 2021 · 1 min read हम दिल के दीपक मिझा रहल छी *एक टा मुक्तक या मैथिली गज़ल के एक मतला एक शे'र* हम दिल के दीपक मिझा रहल छी अहां के चिट्ठी जरा रहल छी। अहां के आदत लगल जे हमरा... Maithili · कविता 2 1 218 Share दीपक झा रुद्रा 4 Jan 2022 · 1 min read द्वीटा मुक्तक देखू द्वीटा मुक्तक देखू बहि रहल आँखि सँ देखू झरना। हाल कहू नै कोना छी सजना? शीत पसरल य रौदि रुसल य! हम निपै छी नोर सँ अंगना। हाल बुझै छी... Maithili · कविता 1 206 Share दीपक झा रुद्रा 25 Aug 2022 · 1 min read मैथिली ग़ज़ल 212 212 212 212 नोर आँखिक अखनों सुखायल की न दर्द मोनक कहूंँ अछि परायल की न प्रेम केँ पाठशाला अहिँ केँ हृदय नाम हम्मर अखन धरि लिखायल की न... Maithili · ग़ज़ल 3 295 Share दीपक झा रुद्रा 26 Jun 2022 · 1 min read धृतराष्ट्र–विदुर संवाद धृतराष्ट्र–विदुर संवाद रे विदुर ! गुमराह नै कर मन हमर ये कदाचित ज्ञात की परिणाम आयत! ज्ञात अछि भीमक बलक अक्रांता केँ हँ मुदा तखनों सुयोधन नै परायत! कर्ण सन्... Maithili · महाभारत मैथिली में · मैथिली कविता · मैथिली प्रवाहमय कविता · वीर रस 1 160 Share