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Tag: मुक्तक
47 posts
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
कवि दीपक बवेजा
दिये को रोशननाने में रात लग गई
दिये को रोशननाने में रात लग गई
कवि दीपक बवेजा
पत्थर को भगवान बना देते हैं
पत्थर को भगवान बना देते हैं
कवि दीपक बवेजा
कुछ कर चले ढलने से पहले
कुछ कर चले ढलने से पहले
कवि दीपक बवेजा
जिन पांवों में जन्नत थी उन पांवों को भूल गए
जिन पांवों में जन्नत थी उन पांवों को भूल गए
कवि दीपक बवेजा
सरल मिज़ाज से किसी से मिलो तो चढ़ जाने पर होते हैं अमादा....
सरल मिज़ाज से किसी से मिलो तो चढ़ जाने पर होते हैं अमादा....
कवि दीपक बवेजा
अब कुछ उम्मीदों का टूट जाना जरूरी है
अब कुछ उम्मीदों का टूट जाना जरूरी है
कवि दीपक बवेजा
अजीब लोगों ने सब अजीब बना रखा है
अजीब लोगों ने सब अजीब बना रखा है
कवि दीपक बवेजा
जिंदगी है कि उधेड़बुन में गुजर जाएगी
जिंदगी है कि उधेड़बुन में गुजर जाएगी
कवि दीपक बवेजा
यह कौन सा शौक
यह कौन सा शौक
कवि दीपक बवेजा
कुछ कसक दिल में
कुछ कसक दिल में
कवि दीपक बवेजा
मैंने जब मैंने मां लिखा
मैंने जब मैंने मां लिखा
कवि दीपक बवेजा
माँ
माँ
कवि दीपक बवेजा
रुमाल को तिजोरी में रखा हुआ है
रुमाल को तिजोरी में रखा हुआ है
कवि दीपक बवेजा
जब से गया है वह कोहिनूर सा
जब से गया है वह कोहिनूर सा
कवि दीपक बवेजा
जमाना हस रहा है मेरी हार पर
जमाना हस रहा है मेरी हार पर
कवि दीपक बवेजा
कई मौसमों के बाद मैं ,
कई मौसमों के बाद मैं ,
कवि दीपक बवेजा
सपनों को हकीकत में बदलने वाले
सपनों को हकीकत में बदलने वाले
कवि दीपक बवेजा
नहीं आया था वो रास उसको ,
नहीं आया था वो रास उसको ,
कवि दीपक बवेजा
दर्दे दिल में कई रिश्ते पाल रखे हैं
दर्दे दिल में कई रिश्ते पाल रखे हैं
कवि दीपक बवेजा
कौन है जिसको बिछड़ जाने पर गिला नहीं है
कौन है जिसको बिछड़ जाने पर गिला नहीं है
कवि दीपक बवेजा
उड़ने दो परिंदों को पर खोल लिया है
उड़ने दो परिंदों को पर खोल लिया है
कवि दीपक बवेजा
हर परिंदे की उड़ान का मोल देता है
हर परिंदे की उड़ान का मोल देता है
कवि दीपक बवेजा
सहजता से नहीं चढ़ती बुलंदी की सीडी
सहजता से नहीं चढ़ती बुलंदी की सीडी
कवि दीपक बवेजा
ऐसी किसी को बदनसीबी ना मिले
ऐसी किसी को बदनसीबी ना मिले
कवि दीपक बवेजा
बड़ी खुशनुमा जिंदगी लिखा के लाया
बड़ी खुशनुमा जिंदगी लिखा के लाया
कवि दीपक बवेजा
इतनी खुशकिस्मती ...
इतनी खुशकिस्मती ...
कवि दीपक बवेजा
बता अपने हक में भी....
बता अपने हक में भी....
कवि दीपक बवेजा
अपनों की खातिर कितनों से बैर मोल लिया है
अपनों की खातिर कितनों से बैर मोल लिया है
कवि दीपक बवेजा
गम हो भले चेहरे पर हंसी रहने दो
गम हो भले चेहरे पर हंसी रहने दो
कवि दीपक बवेजा
घर से निकले मगर दहलीज पार ना हुई
घर से निकले मगर दहलीज पार ना हुई
कवि दीपक बवेजा
उसको भेजा हुआ खत
उसको भेजा हुआ खत
कवि दीपक बवेजा
कभी गरीबी की गलियों से गुजरो
कभी गरीबी की गलियों से गुजरो
कवि दीपक बवेजा
जिसके दिल से निकाले गए
जिसके दिल से निकाले गए
कवि दीपक बवेजा
मोहब्बत हो जाए
मोहब्बत हो जाए
कवि दीपक बवेजा
अभी अभी की बात है
अभी अभी की बात है
कवि दीपक बवेजा
करीब आने नहीं देता
करीब आने नहीं देता
कवि दीपक बवेजा
कई सूर्य अस्त हो जाते हैं
कई सूर्य अस्त हो जाते हैं
कवि दीपक बवेजा
दिल की चाहत
दिल की चाहत
कवि दीपक बवेजा
हकीकत से रूबरू
हकीकत से रूबरू
कवि दीपक बवेजा
हकीकत से रूबरू होता क्यों नहीं
हकीकत से रूबरू होता क्यों नहीं
कवि दीपक बवेजा
इतना आसां कहां
इतना आसां कहां
कवि दीपक बवेजा
सच वह देखे तो पसीना आ जाए
सच वह देखे तो पसीना आ जाए
कवि दीपक बवेजा
दर्द ए हया को दर्द से संभाला जाएगा
दर्द ए हया को दर्द से संभाला जाएगा
कवि दीपक बवेजा
दिया जलता छोड़ दिया
दिया जलता छोड़ दिया
कवि दीपक बवेजा
तू जाने लगा है
तू जाने लगा है
कवि दीपक बवेजा
खूबसूरत जिंदगी
खूबसूरत जिंदगी
कवि दीपक बवेजा
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