उड़ने दो परिंदों को पर खोल लिया है
कई हस्तियों से हमने बैर मोल लिया है,
उड़ने दो परिंदों को पर खोल लिया है |
फतेह करके ही लौटेंगे अब शिखर को
किसी और को नहीं खुद को बोल दिया है ||
✍कवि दीपक सरल
कई हस्तियों से हमने बैर मोल लिया है,
उड़ने दो परिंदों को पर खोल लिया है |
फतेह करके ही लौटेंगे अब शिखर को
किसी और को नहीं खुद को बोल दिया है ||
✍कवि दीपक सरल