©️ दामिनी नारायण सिंह Language: Hindi 52 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid ©️ दामिनी नारायण सिंह 28 May 2023 · 1 min read सेंगोल और संसद समय सृजन का है एकबार फिर विरासत के गढ़न का है भारतवर्ष की जागती धरती का विशाल गर्भ साक्षी रहा है आरंभ से गौरवशाली कालखण्ड का वैश्विक सत्ता के नक्शे... Hindi · कविता · लेख 363 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 8 Nov 2021 · 1 min read छठ पूजा धुप उत्सव है या उत्सव धुप सा गीतों की गुनगुनाहट पर थिरक रही है स्मृति गाये जा रहे हैं वो गीत जिसमें शामिल है प्रकृति केले के पत्ते से लेकर... Hindi · कविता 1 2 494 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 3 Nov 2021 · 1 min read देव का दीया दिव्य रुप तुँ......तुँ ही जनमानस साश्वत जय में वास तेरा; ईश्वर तेरे नाम अनेक राम अर्थ में शामिल सिया; उत्सव है दीपों का ये कह रहा जग आज; देव दीया।... Hindi · कविता 2 2 551 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 9 Oct 2021 · 1 min read संत हृदय से मिले हो कभी संत हृदय से मिले हो कभी कभी साक्षात्कार हुआ है तुम्हारा वो या तो शुन्य होता है या विस्तार या तो मौन होता है या संवाद कोई पहले चरण में... Hindi · लेख 2 2 809 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 8 Oct 2021 · 2 min read एक प्रसंग रामायण से ? रामानंद सागर का रामायण जिसने घर घर टीवी पहुँचाया उसमें एक प्रसंग था ईक एपिसोड में रावण गुस्से में अशोकवाटिका में सीता के सामने आता है और.......ठेठ भाषा......में.....कहें..... तो धमकाता... Hindi · लेख 2 540 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 24 Sep 2021 · 1 min read संशय की बेला नहीं छुती है उनको सिंचित लय को साध लिखते जो प्रवाह, नहीं उपहास उन्हें डराता है, नहीं लोभ उन्हें हँसाता है, अंबर से मिल जो जीता आया; संदुक का गर्भ कहाँ जी पाता है... Hindi · कविता 2 406 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 17 Sep 2021 · 1 min read "अद्भुत मोदी" युग युग जिएं पीएम नरेंद्र मोदी जी ️ जन्मदिन ये भाव प्रबल भारत तुम अपना; बाँट सको जो खुद से सपना मिट्टी ललकारेगी तुमको, तुम सिंधु तक लिख जाओगे लांघ चोटियां आसमान तक; तुम कदमों से कह जाओगे निर्णय... Hindi · कविता 4 4 1k Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 16 Sep 2021 · 2 min read राजधर्म और सियाराम प्रजा की स्थिरता बनाये रखने के लिये राजधर्म कितने कठोर निर्णय से गुजर सकता है इसके साक्षी सिर्फ श्रीराम नहीं माँ सीता भी हैं...? अगर धरतीवरण की सच्चाई को मानते... Hindi · लेख 526 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 16 Sep 2021 · 1 min read "जब छलता है मानव तो" जब छलता है मानव तो; प्रकाश जैसी होती है उष्मा ? अधर तक आकर मिल प्रश्नों से; मौन उत्तर देती है उष्मा। ये दिव्यरूप सी बालाएं देखो कैसे कुंदन हो... Hindi · कविता 1 372 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 14 Sep 2021 · 1 min read हिंदी जंग है हाँ ये आखिरी, सुन सको तो सुन लो हाँ, प्राण पर आघात हो या सिंधु पे कोई बात हो, नवसृजन की बात जब फैसला उत्तरार्ध हो, हाँ, फैसला... Hindi · कविता 1 384 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 11 Sep 2021 · 1 min read "संकल्प" हरितालिका तीज कुछ और नहीं बस उस वेदी का संकल्प जिससे लयबद्ध हो अपनी आजाद आत्मा को रंग डालती हैं, सामने खड़े उस इकलौते मानवके हँथेली पर सजेलाल-पीले सिंदूर के रंग मे... Hindi · कविता 1 313 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 5 Sep 2021 · 1 min read लाइट कैमरा और ऐक्शन लाइट कैमरा और एक्शन ये सिर्फ रंगमंच की कहानी नहीं है . ये कहानी है जिंदगी की जहाँ शाम ढलने पर रात होती है और रात ढलने पर सुबह अंगारे... Hindi · लेख 1 605 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 2 Sep 2021 · 1 min read थोड़ी थोड़ी शायर सी सुना था खुशियों के बीच जिंदगी होती है पर वहाँ जल्दी क्युं सोती है ? फिर कभी नहीं जागने के लिये ©️_दामिनी नारायण सिंह Hindi · शेर 2 388 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 30 Aug 2021 · 1 min read खेल और बाजी हम गुल्ली डंडा बढ़िया खेलते थे..नहींनहीं...बहुत बढ़िया डेंगा पानी और झील कटोरा भी कबड्डी में कभी नहीं जीत पाये हाँ वो बैडमिंटन जिसमें सीमा रेखा की बंदिश न हो विथ... Hindi · लेख 343 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 26 Aug 2021 · 2 min read 26 अगस्त1303 जौहर "रानी पद्मावती" 26अगस्त1303 16000वीरांगनाएं सोलह श्रृंगार...हाँथ में पूजा की थाल...जगमगाती आभा जलते दिये के बीच जागृत होता चैतन्य जैसे शुन्य पे केंद्रित निर्णय अटल दिव्यमान वो बढ़ रही होंगी; नेतृत्व की मशाल... Hindi · लेख 544 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 14 Aug 2021 · 2 min read किसने दिया ये हक था; तय कीमत पे हो आजादी ? आजाद हम तभी तक; आजाद तुम तभी तक हम हैं हमारे वश में हाँ तुम हो तुम्हारे वश में। अगर है याद तुमको; अगर है याद हमको वो जहर की... Hindi · कविता 2 350 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 11 Aug 2021 · 1 min read हाँ हमसब अराध्य श्रीराम के वंशज हैं ब्लड ग्रुप मैच होना जरूरी नहीं~न ही सरनेम जाती गोत्र के तहकीकात में समय देकर खुद को संशय में डालें हे राम! तुम पूर्वज थे या नहीं ? जैसे हवा,जल,... Hindi · लेख 1 548 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 7 Aug 2021 · 1 min read मेजर ध्यानचंद ?? उसने ही रचा था; आरंभ के पन्नों पर विश्व-नक्शे पर तुम्हारा नाम। ? एक स्टीक पर मचलती गेंद को स्थिर कर गोल तक पहुँचा; संघर्ष के हर गलियारे को लांघ।... Hindi · कविता 2 2 389 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 30 Jul 2021 · 2 min read सुनो तो ! सुनो_तो ! एक परिंदा था; उड़ता रहता बेखौफ ; अनन्त की ओर.. बिना डरे बिना रुके; शाम ढलते ही जब भी उसे गगन और आंगन में चूनना होता, बिना किसी... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 4 782 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 29 Jul 2021 · 1 min read "बस फैसले के इंतज़ार में' आन बान शान फर्क नहीं काल कोठरी या नीला अंबर कट्टे का जलवा अपराध बन अहंकार दिर्घ अंतराल से पोषित राज करता कल भी आज भी कह कानून को अंधा... Hindi · कविता 2 348 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 27 Jul 2021 · 1 min read "आज जिक्र जो सरहद तेरा आया" आज जिक्र जो सरहद-तेरा आया, वीर फरिस्तों का वो साया, दिल देख रहा है-फिर वो मंजर, लहू में लिपटी साँसें उनकी, जिद तिरंगा लहराने की, ये हिन्द तुमको याद तो... Hindi · कविता 2 4 395 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 26 Jul 2021 · 1 min read "कारगिल विजय दिवस" जब जब मांगेगी धरती कफन बन सज जाउंगा। भारतभूमि तुं अराध्य मेरी तेरे चरणों में झुक जाउंगा। ©दामिनी ?️ Hindi · कविता 1 2 319 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 24 Jul 2021 · 2 min read "ब्राह्मण कोई जीव नहीं; ब्राह्मणत्व एक गुण है" कोई विशेष नहीं, कोई अशेष नहीं तप की कसौटियों पर खुद को निर्मोही बनाता भौतिकता के आँगन में भी; सात्विकता का भोग लगाता अरे बावले! "ब्राह्मण कोई जीव नहीं ब्राह्मणत्व... Hindi · लेख 3 2 526 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 22 Jul 2021 · 1 min read "जंग कभी अच्छी नहीं लगी उसे" जंग कभी अच्छी नहीं लगी उसे बस जिंदगी की गुलाम थी~हसरतों से बहुत दुर पर आसमान के बहुत पास~ख्वाबों से इतना इश्क~हकीकत भी शरमा जाए...? उसे पता था बस एकबार... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 2 557 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 20 Jul 2021 · 1 min read "थोड़ी थोड़ी शायर सी" कहीं कोई तो पर्दा हो ✨️ वो एक रंग जर्दा हो अबकी सरहद जो कभी बोली 🌧 फिरदौस तक पहरा हो ©️_दामिनी नारायण सिंह Hindi · शेर 384 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 19 Jul 2021 · 2 min read "आधी रात के बाद" वो शाम थी; ठीक ऐसे ही बारिश वाली; मौसम सर्द ; आधी रात के बाद का वक्त, सड़क बिल्कुल सुनसान, सड़क किनारे वो खड़ी; जैसे ही दूर हेडलाइट की रोशनी... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 440 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 16 Jul 2021 · 1 min read "माँ बेटी संवाद चार वर्षीय बेटी के साथ" "संवाद" बेटीः उदास क्यूँ हो क्या हुआ ? तुम देर से क्यूँ आयी ? स्नुर (सहेली) पहले चली गयी माँः ...सॉरी...बारिश हो रही है..न...बेटा..तो ममा धीरेधीरे आ रही थी; तुम्हें... Hindi · लेख 2 552 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 15 Jul 2021 · 1 min read "समय है अपराजित" अधीर हो अगर तुम ; व्याकुल हाँ चित्त है, धीरज धरो हाँ जो कहता हृदय है, ठहरो जरा तुम हाँ ठहरो जरा तुम ! आया नहीं हाँ अभी तेरा वक्त... Hindi · कविता 400 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 15 Jul 2021 · 1 min read थोड़ी थोड़ी शायर सी:) तुम लड़खड़ाते कदमों के साहिल नहीं बेशक कारवां में शामिल हो तुम © दामिनी नारायण सिंह DaminiNarayanSinghQuotes Hindi · शेर 1 365 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 10 Jul 2021 · 2 min read जब मेले ने देखा चुड़ियों से मिल "इश्क का रंग" क्यूँ ले लिया उनका सामान ? अच्छ एक बात बताओ दीदी ! क्या ? आपने ऐसा मरद देखा है जो अपनी बीबी को चुड़ियाँ चुराकर दे दे चुप क्यूँ हो...बोलो... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 4 411 Share Page 1 Next