भरत कुमार सोलंकी Language: Hindi 78 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 भरत कुमार सोलंकी 10 May 2024 · 1 min read Sahityapedia Sahityapedia मेरी ओकात क्या” समय के फेर बदल में मैं सैकण्ड की सुई टिक टिक कर टिक रहा घण्टा में आसानी से प्यादे के संग में बेखौफ होकर बिक रहा... Hindi · ग़ज़ल 110 Share भरत कुमार सोलंकी 10 May 2024 · 1 min read " मेरी ओकात क्या" " मेरी ओकात क्या" समय के फेर बदल में मैं सैकण्ड की सुई टिक टिक कर टिक रहा घण्टा में आसानी से प्यादे के संग में बेखौफ होकर बिक रहा... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 99 Share भरत कुमार सोलंकी 10 May 2024 · 1 min read जीवन को नया जीवन को नया खुद को खुद से ज्यादा खुद पर भरोसा है नास्तिक हूँ इसीलिए दिखावट से परे हूँ आडम्बर का रख बहाना चून , चापलुसी की चतुराई को पतवार... Hindi · ग़ज़ल 66 Share भरत कुमार सोलंकी 10 May 2024 · 1 min read जीवन की नैया जीवन की नैया खुद को खुद से ज्यादा खुद पर भरोसा है नास्तिक हूँ इसीलिए दिखावट से परे हूँ आडम्बर का रख बहाना चून , चापलुसी की चतुराई को पतवार... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 82 Share भरत कुमार सोलंकी 7 May 2024 · 1 min read "मैं मजाक हूँ " "मैं मजाक हूँ " हालात की चक्की में पीसकर बेरुखी से रूककर आज मैं अपनी ही नजर में मजाक हूँ जिन्दगी का एक लम्हा आज किताबो संग बीता कर खामोशी... Hindi · मुक्तक 89 Share भरत कुमार सोलंकी 6 May 2024 · 1 min read एकांत चाहिए "एकान्त चाहिए" वक्त के आधुनिकीकरण में रहकर अपने दिमागी संताप को भूलने खातिर इस मन को शान्ति खातिर एकान्त चाहिए खाना छोड़ में. नीर के दम पर दिन गिना रहा... Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 73 Share भरत कुमार सोलंकी 6 May 2024 · 1 min read "एकान्त चाहिए "एकान्त चाहिए" वक्त के आधुनिकीकरण में रहकर अपने दिमागी संताप को भूलने खातिर इस मन को शान्ति खातिर एकान्त चाहिए खाना छोड़ में. नीर के दम पर दिन गिना रहा... Hindi · मुक्तक 103 Share भरत कुमार सोलंकी 6 May 2024 · 1 min read मै थक गया " मैं थक गया खामोश मैं अपने पर आकर अपने पन से थक गया खोखला पन मैं खुद पर रखकर अपने हुनर से थक गया ॥ हाळात पर मेरा वश... Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 83 Share भरत कुमार सोलंकी 6 May 2024 · 1 min read मै थक गया हु " मैं थक गया खामोश मैं अपने पर आकर अपने पन से थक गया खोखला पन मैं खुद पर रखकर अपने हुनर से थक गया ॥ हाळात पर मेरा वश... Hindi · मुक्तक 98 Share भरत कुमार सोलंकी 4 May 2024 · 1 min read हुनर से गद्दारी हुनर से गद्दारी " सख्त रवैया आज अपनो का देख, मन मेरा खामोशी में खो गया रख इरादा आज सपनों का , आज पागल पन की पगडंडी पर सो गया।... Hindi · मुक्तक 83 Share भरत कुमार सोलंकी 30 Apr 2024 · 1 min read "ज्वाला "ज्वाला मन के कोहराम को देख ,समीर के दम पर, धधकती है। खामोश है आराम को देख नीर के जाम पर भड़कती है। शान्त थी ज्वाला नीर को आते देख... Hindi · Sher · शेर 1 126 Share भरत कुमार सोलंकी 30 Apr 2024 · 1 min read जवाला हाँ। धधकती मैं ज्वाला विकराल हूँ किती पुण्यात्मा का में अधुरा सवाल हूँ नाना प्रकार के रूप है हैं, मेरे मेरे नाना प्रकार का वास है मेरा कर्मों संग चल... Hindi · शेर 75 Share भरत कुमार सोलंकी 27 Apr 2024 · 1 min read नारी शक्ति नारी शक्ति जन्म संसार को उसने दिया। मां का स्थान उसे सबने दिया । सहन शीलता की बन वो मुरत ताप तपोमय से तनी तो सुरत । संसार इसकी निष्पक्षता... Hindi · कोटेशन 1 94 Share भरत कुमार सोलंकी 26 Apr 2024 · 1 min read मानव जीवन की बन यह पहचान मानव जीवन की बन यह पहचान अधिकारों से बनी यह अनजान मौका मिला उसे पूर्ण सहभागिता का हाथ जोड़ने का मजबूर हुए अपनी ही प्रतियोगिता का चरम सीमा सुखी बन... Hindi · कविता 1 77 Share भरत कुमार सोलंकी 24 Apr 2024 · 1 min read सम्भाला था सम्भाला था वक्त की जुबान आज बन उफान तनी रही सख्त रख रवैया आज तुफान सनी रही खामोश निगाहो को खामोशी से सम्भाला था दारमदार हमने रख अपनी जुबां से... Hindi · कविता 1 112 Share भरत कुमार सोलंकी 24 Apr 2024 · 1 min read आहट बता गयी विसय आहट बता गयी विधा. मुक्तक दिनांक ८:४;२०२४ चली चलन से चाल मेरी चाहत कर चार धाम माल मेरा चकोर रख चांद चांदनी पर चश्मा चढा आज मोरनी पर चढी... Hindi · कविता 1 87 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 1 min read मैं शब्दों का जुगाड़ हूं कविता के ताल से निकली तु शब्दों का जाल है। कविता की गहराई में छिपी तु भावो का माया जाल है। तेरे सहारे मैं सदा अपने भावो को पिरोता हूँ... Hindi · शेर 1 88 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 1 min read रग रग में देशभक्ति 8 रग रग में देशभक्ति आई बात जबान पर तेरे, देश पर मर मिटने की माटी मैने माथे पर मेरे, लगाई सोची कुछ करने की कायर हु नजर में तेरे... Hindi · कविता 97 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 1 min read सांत्वना " सान्त्वना रास्ता हमारी सतारा के आवाजाही पर आकर खालसा हमारी आरजू पर टिककर वो सामना कर परे हो गयी । . खामोशी खालसा की खास बनाकर खरीद फरोश पर... Hindi · कविता 90 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 1 min read नाकामयाबी नाकामयाबी मस्तक पर तु हो. विराजमान प्रयास सफलता के हो अन्तरग्यान प्रयाग की बेला पर तेरा हो वरण कर्मठता के प्रयाण से चुमे सदा मेरा वो चरण कर्म की दृढ... Hindi · कविता 1 128 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 1 min read आहत बता गयी जमीर आहट बता गयी चली चलन से चाल मेरी चाहत कर चार धाम माल मेरा चकोर रख चांद चांदनी पर चश्मा चढा आज मोरनी पर चढी चीते की चतुराई देख चावल... Hindi · कविता 1 80 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 2 min read मा शारदा मा शारदा वीणा पाणि वरदायिनी शान्त चिन्त ज्ञान दायिनी तव चरणौ मम वन्दिता श्वेत पुष्पे आरुढा सुर ताल जमा ,कर-ताल से अन्धकार हर भाल से मेरे शब्दो मे हो सिध्द... Hindi · कविता 94 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 1 min read नए साल की मुबारक यह चैत्र माह की है बौछार खुशिया नये साल की है औजार नये साल की नयी बेला में ,नयी सुरत पर खुशी का इजहार है! झलक छोटी उम्र की चरण... Hindi · 6 कविता 67 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 1 min read हिन्दु नववर्ष हिन्दु पंचांग की ही जीत है हिन्दु पंचाग की ही रीत है नमूना नया नववर्ष का नव बेला का नवाचार है सजना सवरना भूल इस वर्ष का कड़वाहट संग मिठा... Hindi · मुक्तक 98 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 2 min read एहसास विसय एहसास बिधा शायरी दिनांक. 10: 4;2024 सात सुरो की सौगात बन, सरगम की तुम एहसास हो बकसे में रख बकवास किसी का खास बन, झूठे प्रेम की तुम झूठी... Hindi · मुक्तक 87 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 1 min read अकेलापन फुल हो तुम किसी डाळ का कांटा बन तनता रहा किसी भौरे का रसपान तुझे क्यो ना बरदास था | मन में हो अगर गहरा प्रेम तो उससे इजहरार कर... Hindi · Shayri 100 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 1 min read पागलपन पागलपन बचपन की गुस्ताखियो को आज़ पर ना हावि होने दूंगा। भुल भविष्य का पता नही तंकलीबो को वर्तमान की बैशाखी पर ना रहने दूंगा हावि लगी मुझे भुत-भविष्य की... Hindi · Muktak 92 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 1 min read हाँ मैन मुर्ख हु हाँ मैन मुर्ख हु शान्त्त चित्त मै घुम रहा अपनी आश में जुम रहा जुबां पर मैने रखी सच्चाई क्रोध कोप से प्रीत हटाई सोच-समझ की ना क्षमता अपनी, बिना... Hindi · Muktak 124 Share Previous Page 2