Brijpal Singh Tag: कविता 38 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Brijpal Singh 12 Jun 2025 · 1 min read पहाड़ फरी कविता पहाड़ फरी कविता पहाड़ का मनखि पहाड़ आला जरूर। जब बिक गे ह्वेली जमीं सरी पुरखु कु बणाई-बसाई बेच दे जाली जब सभी गाड़-धार, कुछ पैस्यूं कु ख़ातिर पहाड़ का... Hindi · कविता 143 Share Brijpal Singh 13 Mar 2024 · 1 min read सोचो तो बहुत कुछ है मौजूद, और कुछ है भी नहीं सोचो तो सबकुछ है मौज़ूद और कुछ भी है नहीं... ज़ीने वाले तमाम तमाम मरने वाले पेड़ पौधे और भी प्राणी.. नश्चर, निश्चल, निषभाव वेग से चलती धारें मद्धम मद्धम..... Hindi · आज की बात · कविता 1 391 Share Brijpal Singh 15 Feb 2024 · 1 min read पहाड़ पर कविता पहाड़ के लोग पहाड़ आएंगे ज़रूर जब बिक चुकी होगी जमीं सब पुरखो का बनाया/बसाया हुआ बेच दिए होंगे सभी गाड़-धार; मात्र चंद पैसों के खातिर.. पहाड़ के लोग शहरों... Hindi · कविता · पहाड़ 2 512 Share Brijpal Singh 20 Nov 2023 · 1 min read पहाड़ में गर्मी नहीं लगती घाम बहुत लगता है। पहाड़ में गर्मी नहीं लगती घाम बहुत लगता है... शुद्ध हवा के सरस्याट से गाल लाल हो जाते हैं हालांकि काम-धाम घास पाणी और पसीना मुख्य कारण समझो मैंने पहाड़... Hindi · Viral · कविता · पहाड़ 2 555 Share Brijpal Singh 27 Jan 2023 · 1 min read उन्हें नहीं मालूम उन्हें लगता है कि वो ऐसा है उन्हें नहीं मालूम कि वो वैसा है। उन्हें लगता है कि वो वैसा कमाता है, उन्हें नहीं मालूम वो कैसा कमाता है। उन्हें... Hindi · कविता · कहानी · कुण्डलिया · ग़ज़ल · हास्य-व्यंग्य 1 506 Share Brijpal Singh 29 Aug 2021 · 1 min read आज उनसे फ़िर से मुलाकात हुई आज उनसे फिर से मुलाकात हुई जैसे-तैसे कुछ बात हुई वो मुझे नज़र आ रही थी बदली-बदली सी उसे भी लगा शायद ऐसा ही कुछ आज फिर बिसरे दिन याद... Hindi · कविता 2 2 377 Share Brijpal Singh 14 Jul 2021 · 1 min read काश कोई पेड़ होता मैं इंसान की बज़ाय काश कोई पेड़ होता.. न लिख पाता ... भले ही कविताएं प्रकृति पर लेकिन मुझे सुकूँ होता कि तमाम लिखने वालों को मैं हवा दे पा... Hindi · कविता 1 657 Share Brijpal Singh 27 Dec 2020 · 1 min read दुनिया है एक ओर,सच तो कुछ है और दुनिया है एक ओर, सच तो कुछ है और.... हम पढा रहे हैं बच्चों को महँगे स्कूल/कॉलेजों में और स्कूल/कॉलेजों के बगल से बह रहे हैं काले नाले! __________________ पहाड़-प्रकृति... Hindi · कविता 1 10 508 Share Brijpal Singh 14 Dec 2020 · 1 min read मुझे सुकूँ कहाँ से मिल सकेगा भला मुझे सुकूँ कहाँ से मिल सकेगा उस पलंग पर जिसे .... मज़दूरों से मजबूरन बनाया गया हो और इससे इतर... पहले-पहल वो एक पेड़ रहा होगा हाँ वही जो... Hindi · कविता 325 Share Brijpal Singh 4 Jul 2019 · 1 min read मेरा कुछ भी लिखना दो पल तुमसे बातें करना होता है मेरा कुछ भी लिखना...? दो पल तुमसे बाते... करना होता है... शब्दों में तुम्हे उतार कर, पन्नो पर सजाना.. तुम्हे अपनी उँगलियों से.. छूना होता है... मेरा कुछ भी लिखना...?... Hindi · कविता 3 1k Share Brijpal Singh 29 May 2019 · 1 min read सवालों के घेरे में सवालों के घेरे में मैं भी आऊँगा एक दिन पूछा जाएगा जब मुझसे दुनिया लुट रही थी... तो तुम कहाँ थे उस वक्त और मेरा हमेशा की तरह एक ही... Hindi · कविता 3 621 Share Brijpal Singh 13 Feb 2019 · 1 min read बसंत ऋतु लो फ़िर बसंत आया है छंट गए बादल घनें और यही गज़ब की साया है धरा के रंग हैं बहुतेरे यहाँ गुरु ऋतुओं का नरेंद्र आया है स्वच्छ दिख गया..... Hindi · कविता 3 752 Share Brijpal Singh 26 Jan 2019 · 1 min read गणतंत्र दिवस आज फिर साहित्य जाग उठा कलमें चल पड़ी.. देशभक्ति जगने/जगाने को! आज फिर लोग जुट गए देश प्रेम गाने, गानों को.. आज मौसम भी खिल उठा आज पंक्षी भी चहचहा... Hindi · कविता 4 700 Share Brijpal Singh 26 Jun 2017 · 1 min read जाता नहीं ( शीर्षक ) कभी-कभी सोचता हूँ चुप ही रहूँ मगर चुप मुझसे रहा जाता नहीं... हो रहे ये जघन्य अपराध तमाम मुझसे दुःख सहा जाता नहीं कवि हूँ विचलित हो उठता है मन... Hindi · कविता 2 392 Share Brijpal Singh 25 Jun 2017 · 1 min read ए- ज़िन्दगी आ तेरा हिसाब कर दूँ ए ज़िन्दगी आ तेरा हिसाब कर दूँ तूने जो सुख् और दुःख दिए हैं मुझे बचपन से जवानी और अब बुढ़ापे तक कभी ज़ीता था मैं बस ज़ीने के वास्ते... Hindi · कविता 2 415 Share Brijpal Singh 22 Jun 2017 · 1 min read ये सच है कई सरकारें आई और चली भी गई हुआ क्या कुछ भी नहीं ... दाम वहाँ भी महँगे थे और यहाँ भी हुआ क्या कुछ भी नहीं... सैनिक तब भी शहादत... Hindi · कविता 2 811 Share Brijpal Singh 22 Jun 2017 · 3 min read एक खत डैड के नाम डैड... मैं अक्सर सोचता हूं कि आप मुझे छोड़कर क्यों चले गए! आप साथ क्यों नहीं हैं... मैं सोचता हूं कि आज अगर आप मेरे साथ होते, तो मुझे मेरी... Hindi · कविता 2 670 Share Brijpal Singh 3 Feb 2017 · 1 min read बचपन यादों के साये पसेरे चलना माँ के पल्लू पकड़े कभी शैतानी मनमानी कभी यूँ ..... हठ की आदत हरेक बचपना एकसमान होवे हो जाए गलती कई हँसते थे इस पर... Hindi · कविता 2 969 Share Brijpal Singh 2 Feb 2017 · 1 min read बसंत लो फ़िर बसंत आया है छंट गए बादल घनें और यही गज़ब की साया है धरा के रंग हैं बहुतेरे यहाँ गुरु ऋतुओं का नरेंद्र आया है स्वच्छ दिख गया..... Hindi · कविता 2 877 Share Brijpal Singh 6 Jan 2017 · 1 min read मैं तो कहता हूँ मैं तो कहता हूँ...... मैं तो कहता हूँ हर युवा को अब जाग जाना चाहिए मोह माया के इस जंजाल से दूर भाग जाना चाहिए देश द्रोह और स्वार्थ भाव... Hindi · कविता 2 415 Share Brijpal Singh 4 Jan 2017 · 1 min read सुनहरे पल वो हर लम्हा सुनहरा होता है जो अनुरूप हमारे साथ खड़ा होता है न रंग, न रूप न ही भेद कोई समय भी कोई ख़ास नहीं होता कभी चाहकर भी... Hindi · कविता 1 807 Share Brijpal Singh 13 Dec 2016 · 1 min read धुंध ही दिखता है हर जगह मुझे अब धुंध ही दिखता है इंसान को ही देखो दर-दर बिकता है वो ज़माना था - जब दूर ही धुंध नज़र आती थी आज सामने ही धुंध... Hindi · कविता 1 1 579 Share Brijpal Singh 6 Dec 2016 · 1 min read अकेलापन उम्र का ये पड़ाव कैसा है , जहाँ सब कुछ तो है फिर भी अकेलेपन का घाव दिल पे कैसा है ! अपना तो हर कोई है आंखो के सामने... Hindi · कविता 2 1k Share Brijpal Singh 24 Nov 2016 · 1 min read मज़दूर हूँ ...... मज़दूर हूँ ....... और मज़बूर भी वो दिहाडी और वो कमाई ....... मेरे खाने तक सीमित और ....... कुछ बचाने तक मात्र ताकि कर सकूँ दवा पानी बच्चों की गर... Hindi · कविता 1 1k Share Brijpal Singh 12 Oct 2016 · 1 min read वो रात ---------- ज़िंदगी का ज़िंदगानी का भरी भागदौड, आबादी का वो रात ,वो रात...... इस भीड में भला किसे वक्त कौन सुखी, चैन कहाँ हर कोई बैचैन यहाँ वो वक्त. .... Hindi · कविता 1 700 Share Brijpal Singh 12 Oct 2016 · 1 min read मान जाओ ----------- दिल सच्चा है तो सच्चे दिखोगे यूँ ही हरदम....... बच्चों जैसे अच्छे दिखोगे न द्वेश न कहीं कपट, न घृणा न कहीं भेदभाव बच्चों जैसा संपूर्ण स्वभाव क्या रखा... Hindi · कविता 1 861 Share Brijpal Singh 12 Oct 2016 · 1 min read ज़ंग आशा और निराशा के बीच झूलते-डूबते - उतराते घोर निराशा के क्षण में भी अविरल भाव से लक्ष्य प्राप्ति हेतु आशावान बने रहना बहुत मुश्किल पर नामुमकिन नहीं होता है... Hindi · कविता 2 541 Share Brijpal Singh 10 Aug 2016 · 1 min read नहीं पता मुझे मंज़िल का नहीं पता मुझे रस्ते का नहीं पता चला जा रहा हूँ बस सुर एक है… मुझे जंगल का नहीं पता मुझे मंगल का नहीं पता अभी तो... Hindi · कविता 2 3 715 Share Brijpal Singh 22 Jul 2016 · 1 min read है कोई ............ है कोई ............ भूखे को भोजन प्यासे को पानी पिला दे बीमार को दवा और अच्छे को अच्छा बता दे जो खुद को संपन्न दूसरों को बढ़िया बता दे खुद... Hindi · कविता 2 12 997 Share Brijpal Singh 10 Jul 2016 · 1 min read क्यों बेदहमीं है आप तो आप हो जी, हम हमीं हैं सब कुछ तो ठीक है मगर तो फ़िर कहाँ कमी है ! ----------------- है सूर्य देवता ऊपर आसमां भी ऊपर है धरती,... Hindi · कविता 1 6 532 Share Page 1 Next