Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक Tag: मुक्तक 58 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 11 Feb 2017 · 1 min read माँ मातु प्रियताभाष में सद्भाव का संगीत है | आत्मसत की निकटता से भरा स्वर औ गीत है | उर-सु धड़कन से बना शुभ पालना, सद्प्रेम का | मात तुझसे उच्च... Hindi · मुक्तक 689 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 11 Feb 2017 · 1 min read माँ/संसार स्वार्थी संसार , सब जन बुद्धि के कोहिनूर है | आत्मा की किसे चिंता, जग का मन भरपूर हैं | माँ, सघन जीवन-प्रदाता- प्यार का अनुपम सगुन| शेष सब ढोते... Hindi · मुक्तक 586 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 10 Feb 2017 · 1 min read माँ श्वास से श्वासा मिली,चुंबन मिला,आनंद था| मातृमय हर रूप में, शिशु-ध्यान परमानंद था | छिन गया शुभ मातु- साया,तभी से मैं दीन बन रोया-देखा माँ-हृदय में प्रेम-सु मकरंद था| इसी... Hindi · मुक्तक 1 1 525 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 10 Feb 2017 · 1 min read बेटियाँ सुताओं में माँतु-अॉचल, दिखे पति की पूर्णिमा| पिता की हर भावना का ख्याल, बनकर सूरमा| अहं को क्षर,बंध हर लें, प्रीतिमय आधार बन | लड़कियां जीवन-प्रदाता,भाव की गुरुपूर्णिमा| इसलिए बेटी... Hindi · मुक्तक 640 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 10 Feb 2017 · 1 min read बेटियाँ सुताएं,आवाज कोयल की, दिलों का राग हैं | आज पितु की सुबह, कल ससुराल प्रिय अनुराग हैं| लड़कियाँ जागीं जहाँ पर, हँसे, वह आँगन सदा | लगे ऐसा, बेटियाँ ,... Hindi · मुक्तक 609 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 9 Feb 2017 · 1 min read माँ माँ का जीवन, मातृ-वाणी , मातु की आवाज है | रोम पुलकित, मात की भाषा का उर पर राजहै| इस तरह से तेरा जाना , रक्त कुछ कम कर गया... Hindi · मुक्तक 947 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 9 Feb 2017 · 1 min read माँ स्वार्थ में डूबे हुुए सब,माँ ही बस निष्काम थी | माता तेरी नेेह-बोली,प्रात-सा शुभ घाम थी | मोह यदि थोड़ा, तो क्या, पोषण हमेशा प्यार का| मैंने पाया,आपकी हर श्वास... Hindi · मुक्तक 648 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 9 Feb 2017 · 1 min read माँ जब तलक माँ साथ थी, आनंद का आधार था| मातृ-शुभआवाज में अनुपम सु-पावन प्यार था| वह गई, कुछ खो गया, उर रो गया, यादें बचीं| लग रहा जननी-हृदय सद्प्रीति का... Hindi · मुक्तक 692 Share Previous Page 2