Ashwini sharma 63 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Ashwini sharma 17 Mar 2020 · 1 min read जीवन मुकम्मल होने की चाहत ही नही, अधूरेपन में एक अजब सा मज़ा है। बेशक बहारे; सुकून- ओ-चैन देती है, गर खिज़ाँ नही हो तो, बहारों में जीना एक सजा है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 376 Share Ashwini sharma 16 Feb 2020 · 1 min read जीवन चलो आज बेताब मन को थोड़ा विराम दे, बेज़ार धड़कनो को थोड़ा आराम दे, भूल के रस्मे दुनिया की ,खुद को बचपन वाली वो शाम दे।। भीड़ है इर्द-गिर्द मेरे,... Hindi · कविता 1 283 Share Ashwini sharma 7 Feb 2020 · 1 min read बचपन आज मुझे फिर याद आया मेरा वो बचपन, जिन्दगी बोझ नही थी,बेझिझक था ये मन।। खेलना वो मिट्टी में, धूप से दो चार होना,फेंकना वो पत्थर पानी में, दोस्तो से... Hindi · कविता 2 1 462 Share Ashwini sharma 6 Feb 2020 · 1 min read हौसला विहंग एक उड़ा नभ में, दूर तक न तरु की छाया थी, धूप घनी थी राह कठिन थी,संघर्षो की सतत माया थी।। फिर भी वह विहंग रुका न थका, अविरल... Hindi · कविता 389 Share Ashwini sharma 30 Jan 2020 · 1 min read वतन ये वो मेरा देश जहाँ बहती है गंगा यमुना, ये वो मेरा देश जहाँ बहे स्नेह समर्पण का झरणा । इस देश की मिट्टी पावन है, जहाँ माँ की बातो... Hindi · कविता 2 512 Share Ashwini sharma 27 Jan 2020 · 1 min read जीवन जीवन बना एक मरीचिका इच्छाओं का छौर नही, खुद ही खुद मे सब उलझे है, दोषी स्वयं से बडा कोई और नही।। अब क्या है,आगे क्या होगा जीवन खेल खिलाता... Hindi · कविता 2 407 Share Ashwini sharma 16 Jan 2020 · 1 min read नियत पिता लकवा ग्रस्त थे, गर्मियों की रात थी प्यास से व्याकुल थे । पास ही सो रहे बेटे को जगाना चाहा, लेकिन बेटा आवाज सुनकर भी नही उठा और सोने... Hindi · लघु कथा 303 Share Ashwini sharma 12 Jan 2020 · 1 min read माँ माँ ही गंगा, माँ ही यमुना, माँ सरस्वती सी पावन है, माँ ही पतझड में एक चलता फिरता सावन है । माँ को देख लिया तो फिर इश्वर के दर्शन... Hindi · कविता 5 296 Share Ashwini sharma 12 Jan 2020 · 1 min read मानव अगर हो हार जीवन में तो गम नही करना, गिर जाओ गर थककर, फिर से मेहनत कम नही करना।। असफलताएं आयेंगी तुम्हे आजमायेगि बहुत, फिर उसी जोश से प्रतिकार उनका... Hindi · कविता 1 404 Share Ashwini sharma 8 Jan 2020 · 1 min read दुनिया दोषी यहाँ बात करते है अपने अधिकारो की, निर्दोष को फिक्र है यहाँ खुद को बचाने की।। उंगलियाँ उठती है यहाँ बेगुनाहो पर, शाजिस होती है यहाँ गुनहगारों को बचाने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 259 Share Ashwini sharma 5 Jan 2020 · 1 min read दोस्त उसकी फितरत थी दगा देने की ,फिर सोच ये की मुझे इल्म नही। मुझे पता है बाज़ार के हर एक खरीददार का, बैचेन हूँ, बेखबर नही।। Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 507 Share Ashwini sharma 4 Jan 2020 · 1 min read रिस्ते इन्सान की कीमत का क्या मोल यहाँ, भगवान खरीदे जाते है । अभिमान भरी इस दुनिया मे रिस्ते ठोकर खाते है ।। पल पल बिगड़ते रिस्तो की हालत ऐसी माली... Hindi · कविता 2 357 Share Ashwini sharma 3 Jan 2020 · 1 min read प्रेयसी तेरे रुखसार की लाली गुलाबों से भी गहरी है, तेरी आँखो की गहराई,सागर को भी शरमा दे। तेरे कंगन की खनखन मेरे मन को अलंकृत करती है । तू लगाती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 337 Share Previous Page 2