अनुपम सक्सेना 13 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अनुपम सक्सेना 14 Jul 2018 · 1 min read मेरी ख्वाहिश मैं कभी नहीं चाहूंगा कि सत्य की सूखी टहनियों से लटक तुम अपनी जान दे दो कि नैतिकता का फीका शर्बत पी तुम अपने जीवन को बेस्वाद बना लो कि... Hindi · कविता 520 Share अनुपम सक्सेना 14 Jul 2018 · 1 min read हर चमकदार शहर के गर्भ में हर चमकदार सतह के नीचे बहुत से दाग धब्बे छिपे रहते हैं वैसे ही हर चमकदार शहर के गर्भ में होते हैं बहुत से भिखारी जो बसों और रेलवे स्टेशनों... Hindi · कविता 422 Share अनुपम सक्सेना 16 Oct 2019 · 1 min read झांक कर देख लो झांक कर देख लो हो सकता है बाहर कोई जरूरतमंद ,या भूखा व्यक्ति या कोई अनाथ बालक भी हो सकता है हो सकता है उम्मीद का जंगल ही खड़ा हो... Hindi · कविता 359 Share अनुपम सक्सेना 11 Jul 2020 · 1 min read अलविदा से पहले अलविदा से पहले आओ पास बैठो निहारें एक दूजे को हो जाएँ नि:शब्द ऐसे ही बीत जाने दें यह शाम जब तुमने जाने का फैसला कर ही लिया है तो... Hindi · कविता 2 1 329 Share अनुपम सक्सेना 11 Jul 2020 · 1 min read आहिस्ता आहिस्ता चिन्ता करने की कोई जरूरत नहीं है सब कुछ बड़े आराम से होगा पता ही नहीं चलेगा आहिस्ता आहिस्ता तुम्हारे बाल सफेद होगे झुर्रियां पड़ने लगेंगी त्वचा पर तुम बालों... Hindi · कविता 3 1 293 Share अनुपम सक्सेना 30 Jul 2018 · 1 min read महापुरुष अपनी पत्नी को देह सुख देने में असमर्थ एक बुद्धिजीवी पति पत्नी को इजाजत देता है कि वह पसंद के पुरुष से संबंध रख सकती है समाज ऐसे पति को... Hindi · कविता 239 Share अनुपम सक्सेना 14 Jul 2018 · 1 min read कल्पना से अधिक कल्पना से अधिक मन में आस्था लिये प्रेमपूर्ण हृदय के साथ हमने दीप जलाया एक विश्वास के साथ कि अंधकार दूर होगा पर हमारी कल्पना से अधिक अं धकार फैला... Hindi · कविता 227 Share अनुपम सक्सेना 11 Jul 2020 · 1 min read गिरे हुए मजदूर दिन भर गड्ढा खोदता है पसीना बहाता है वह गिरा हुआ नहीं है वह अपनी मेहनत का मूल्य पाता है वैश्या टाँगे फैला कर ग्राहकों को निपटाती है वह... Hindi · कविता 1 3 226 Share अनुपम सक्सेना 11 Jul 2020 · 1 min read दाग की सर्वव्यापकता सिर्फ विज्ञापनों की भाषा में दाग अच्छे होते हैं हकीकत में तो सभी दागों से बचना चाहते हैं कपडों पर लगे दाग डिटरजेंट से मिटाये जा सकते हैं लेकिन कुछ... Hindi · कविता 1 1 215 Share अनुपम सक्सेना 14 Jul 2018 · 1 min read प्रतिक्रियावादी मुझे प्रतिक्रियावादी करार देकर फांसी पर लटका दिया गया मैं बच सकता था यदि मैं आंखों पर पट्टी बांध लेता और सिर झुकाये बाहर निकल जाता लेकिन यह मेरी फितरत... Hindi · कविता 215 Share अनुपम सक्सेना 14 Jul 2018 · 1 min read पीछा करती आवाज़ें जाने कैसी आवाज़ें हैं ! यह किसी का रूदन है कि मां इसी तरह रोती थी यह जो फिज़ा में मर्मस्पर्शी चीखें हैं लगता है बलात्कारियों ने सामूहिक ब्लात्कार के... Hindi · कविता 202 Share अनुपम सक्सेना 11 Jul 2020 · 1 min read समरथ को नहीं दोष गोसाईं गर आप रसूखदार हैं पुलिस और प्रशासन पर आपकी पकड़ है तो आप बलात्कार का लुत्फ उठा सकते हैं गैंगरेप में भी हिस्सा ले सकते हैं किसी की हिम्मत तक... Hindi · कविता 2 2 200 Share अनुपम सक्सेना 17 Oct 2019 · 1 min read करवा चौथ करवा चौथ सिर्फ सामाजिक मान्यता है इससे पति की उम्र नहीं बढ़ती ये जानते हुए भी औरतें पति की लंबी उम्र की दुआ करती हैं यूं चाँद तकने से चाँद... Hindi · कविता 1 186 Share