अंसार एटवी 67 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 अंसार एटवी 9 Feb 2024 · 1 min read अब तक तबाही के ये इशारे उसी के हैं अब तक तबाही के ये इशारे उसी के हैं ये तख़्त ओ ताज इसलिए सारे उसी के हैं डसने का जिसका काम ही सदियों से चल रहा ये नाग हैं... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल 47 Share अंसार एटवी 9 Feb 2024 · 1 min read मुझे बेज़ार करने के उसे भी ख़्वाब रहते हैं मुझे बेज़ार करने के उसे भी ख़्वाब रहते हैं कि जैसे सामने कश्ती के कुछ गिर्दाब रहते हैं जिसे देखा गया हो बस गरजने की ही सूरत में उसी एक... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल 54 Share अंसार एटवी 9 Feb 2024 · 1 min read वो ठोकर से गिराना चाहता है वो ठोकर से गिराना चाहता है मुझे पत्थर पे लाना चाहता है जिसे अपना समझता हूँ जहाँ में वो रस्ते से हटाना चाहता है उसे होते नहीं देखा किसी का... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल 38 Share अंसार एटवी 9 Feb 2024 · 1 min read मोहब्बत का वो दावा कर रहा होगा मोहब्बत का वो दावा कर रहा होगा वो सबसे अब दिखावा कर रहा होगा चराग़ों पर अभी है गर्दिश-ए-दौराँ वो आँधी को इशारा कर रहा होगा वो रातों को बड़ी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल 46 Share अंसार एटवी 9 Feb 2024 · 1 min read लड़ने को तो होती नहीं लश्कर की ज़रूरत लड़ने को तो होती नहीं लश्कर की ज़रूरत एक दौर में काफ़ी थी बहत्तर की ज़रूरत जो मेरे लिए ही हो परेशानी का बाइस मुझको नहीं ऐसे किसी रहबर की... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल · शेर 50 Share अंसार एटवी 9 Feb 2024 · 1 min read लड़ता रहा जो अपने ही अंदर के ख़ौफ़ से लड़ता रहा जो अपने ही अंदर के ख़ौफ़ से वो क्या डरेगा अब तो बवंडर के ख़ौफ़ से मौजों से लड़ झगड़ के मैं साहिल पे आ गया लेकिन डरा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल 48 Share अंसार एटवी 9 Feb 2024 · 1 min read मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ छानी हो खाक़ जिस ने भी अपने बदन के साथ उस शख़्स से ना पूछिये उसकी ख़ुशी का हाल जिसने गुज़ारे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल 42 Share अंसार एटवी 9 Feb 2024 · 1 min read ख़ुद को फ़लक़ से नीचे उतारा अभी अभी ख़ुद को फ़लक़ से नीचे उतारा अभी अभी टूटा हो जैसे कोई सितारा अभी अभी जैसे किसी ने साँप के फन को कुचल दिया अपनी अना को ऐसे ही मारा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल 72 Share अंसार एटवी 9 Feb 2024 · 1 min read कुछ मेरा तो कुछ तो तुम्हारा जाएगा कुछ मेरा तो कुछ तो तुम्हारा जाएगा तूफाँ को जैसे ही पुकारा जाएगा कश्ती पे जिसने भी बिठाकर छोड़ा है हाथों से उसके भी किनारा जाएगा हाकिम ही जब मज़लूमों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल 52 Share अंसार एटवी 9 Feb 2024 · 1 min read जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं कैसे समझाऊँ शजर कैसे ये फल देते हैं ख़ुशबू होती है तो सीने से लगाए रखते सूख जाएँ तो... Poetry Writing Challenge-2 45 Share अंसार एटवी 9 Feb 2024 · 1 min read सच्चाई है कि ऐसे भी मंज़र मिले मुझे सच्चाई है कि ऐसे भी मंज़र मिले मुझे जब प्यास मिट गई तो समुंदर मिले मुझे हाथों को जिनके चूमा हैं अपना जिसे कहा इक दिन उन्हीं के हाथों में... Poetry Writing Challenge-2 82 Share अंसार एटवी 9 Feb 2024 · 1 min read जीने का एक अच्छा सा जज़्बा मिला मुझे जीने का एक अच्छा सा जज़्बा मिला मुझे रोते हुए भी जब कोई हँसता मिला मुझे कुछ इसलिए भी मुझसे वो आगे निकल गया ऐसा हुआ कि देर से रस्ता... Poetry Writing Challenge-2 141 Share अंसार एटवी 9 Feb 2024 · 1 min read लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया अच्छा हुआ कि कश्ती ने तेवर समझ लिया जिस दाम जिसने चाहा उसी दाम में रखा मुझको किसी ग़रीब का ज़ेवर समझ... Poetry Writing Challenge-2 153 Share अंसार एटवी 16 Jan 2024 · 1 min read भँवर में जब कभी भी सामना मझदार का होना भँवर में जब कभी भी सामना मझदार का होना ज़रूरी भी है कश्ती के लिए पतवार का होना, वतन की नीव हैं हम तो अलग हो ही नहीं सकते कभी... Quote Writer 219 Share अंसार एटवी 16 Jan 2024 · 1 min read सिर्फ़ वादे ही निभाने में गुज़र जाती है सिर्फ़ वादे ही निभाने में गुज़र जाती है ज़िन्दगी खाने कमाने में गुज़र जाती है घर तो उनका भी गिरा देती हैं ये सरकारें उम्र ही जिनकी बनाने में गुज़र... Quote Writer 121 Share अंसार एटवी 14 Jan 2024 · 1 min read मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है जितना कि मछली को पकड़ने वाला काँटा मछली के लिए ~अंसार एटवी Quote Writer 219 Share अंसार एटवी 14 Jan 2024 · 1 min read लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया अच्छा हुआ कि कश्ती ने तेवर समझ लिया जिस दाम जिसने चाहा उसी दाम में रखा मुझको किसी ग़रीब का ज़ेवर समझ... Quote Writer 226 Share Previous Page 2