Ankita Kulshreshtha Language: Hindi 41 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Ankita Kulshreshtha 27 May 2016 · 1 min read हां नारी हूँ " मैं चपला सी तेज युक्त नभ तक धाक जमाऊँ आ सूरज, तेरी किरणों से अपना भाल सजाऊँ कभी धरा- गांभीर्य ओढकर मौन का काव्य सुनाऊँ तितली से लेकर चंचलता... Hindi · कविता 1 1 768 Share Ankita Kulshreshtha 26 May 2016 · 1 min read बाल कविता प्यारी चिड़िया चूं चूं चिड़िया आओ ना दाना रक्खा खाओ ना ???????? फुदक फुदक कर चलती हो तिनके देख मचलती हो ???????? नीड़ बनाती हो सुंदर सीखा कैसे दो उत्तर ???????? आंगन... Hindi · कविता 1 1 2k Share Ankita Kulshreshtha 22 May 2016 · 1 min read जीवन लीला जीवन - लीला रहे अधूरी सुख - दुख के संयोग बिना .. प्रीति कहाँ हो पाती पूरी कुछ दिन विरह वियोग बिना.. खट्टे - मीठे सभी स्वाद से सजी गृहस्थी... Hindi · मुक्तक 866 Share Ankita Kulshreshtha 22 May 2016 · 1 min read मुकरी सब दिन पीछे पीछे डोले कभि कुछ मांगे कभि कुछ बोले डांटूं तो रो जावे नाहक ए सखी साजन? ना सखी बालक। तन से मेरे चुनर उङावे मेरे बालों को... Hindi · कविता 3 1 1k Share Ankita Kulshreshtha 20 May 2016 · 1 min read अपना साथ दे दो ***** "प्यासी है मन की धरा नेह की बरसात दे दो।। अंजुमन की रागिनी ने प्रेम का है गीत गाया खिल उठी मन की कली कौन सा मौसम है आया... Hindi · गीत 1 5 952 Share Ankita Kulshreshtha 20 May 2016 · 1 min read क्या लिखूं प्यारा भारत वर्ष लिखूं आजादी संघर्ष लिखूं जाति धर्म में देश बंटा कैसे मैं उत्कर्ष लिखूं ।।। शोषण अत्याचार लिखूं जीने का अधिकार लिखूं आग धधकती है मन में कैसे... Hindi · कविता 1 3 1k Share Ankita Kulshreshtha 19 May 2016 · 1 min read विरहणी अक्षर अक्षर नाम तुम्हारे करती हूँ.. जब मैं इस जीवन के पन्ने भरती हूँ.. ~~~~~~~~~~~~~~~ कलियां हों या हों कंटक इन राहों में... बाधाओं से कब किंचित मैं डरती हूँ...... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 978 Share Ankita Kulshreshtha 17 May 2016 · 2 min read अॉड ईवन अॉड और ईवन" १ ~~~~~~~~~~~ निशा के घर उसकी बचपन की सहेली मोनाली आई थी। सालों बाद मिल रही थीं दोनों। मोनाली के पति का ट्रांसफर जो हो गया था... Hindi · लघु कथा 1 599 Share Ankita Kulshreshtha 17 May 2016 · 1 min read ऐसा दूल्हा चाहिए(हास्य ) ऐसा दूल्हा ढूँढना, सुन लो बाबुल बात देय सैलरी हाथ में, मॉल घुमाये रात मॉल घुमाये रात, डिनर प्रतिदिन होटल में माँगू जो भी चीज, दौड ले आये पल में... Hindi · कुण्डलिया 13 1k Share Ankita Kulshreshtha 17 May 2016 · 1 min read तेरे बिन आंखों से आंखों की भाषा पढ़ लेता हूँ तुझको पाने की अभिलाषा कर लेता हूँ जीवन गठरी धीरे धीरे रीत रही है असमंजस के जोङ गुणा में बीत रही है... Hindi · गीत 1 756 Share Ankita Kulshreshtha 16 May 2016 · 1 min read पाती पिय की 212 212 212 212 प्रेम पाती पिया की मैं ' पढ़ने लगी। मन की' कोयल खुशी से चहकने लगी। प्रीति लिखने लगी नैन की लेखनी। रात - रानी ह्रदय की... Hindi · मुक्तक 5 1k Share Previous Page 2